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Ayodhya Diary: 'अयोध्या में कायम है अमन, पर बाहरी तत्वों से लगता है डर'

जागरण डॉट कॉम की टीम ने तीन दिन तक सरयू तट से लेकर हजरत बाबा जलील नक्शबंदी की मजार तक लोगों से बात की और उनकी राय जानी।

By Manish PandeyEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 04:36 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 04:36 PM (IST)
Ayodhya Diary: 'अयोध्या में कायम है अमन, पर बाहरी तत्वों से लगता है डर'
Ayodhya Diary: 'अयोध्या में कायम है अमन, पर बाहरी तत्वों से लगता है डर'

अयोध्या डायरी,अमित शर्मा। अयोध्या रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है। ऐसे में जागरण डॉट कॉम की टीम अयोध्या पहुंची। तीन दिन तक सरयू तट से लेकर हजरत बाबा जलील नक्शबंदी की मजार तक घूमी, लोगों से बात की। एहतियात के हिसाब से ज्यादा चाक चौबंद हो चुके अयोध्या में फैसले का सभी को इंतजार है। राम मंदिर या बाबरी मस्जिद के पक्ष से जुड़े लोगों से ज्यादा उन्हें इतजार है जिनके घरों में नवंबर को मांगलिक कार्य होने हैं। फैसले के वक्त कहीं कर्फ्यू तो नहीं लग जाएगा, माहौल तो नहीं बिगड़ जाएगा, इस तरह की शंका कई परिवारों में देखने को मिली। शादी ब्याह वाले परिवार अभी से प्रशासन से संभावित सख्ती में रियायत के लिए संपर्क साध रहे हैं।

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बहरहाल हम हनुमान गढ़ी के पास स्थित अशरफी भवन चौराहे पर पहुंचे। यहां चाय की दुकान पर कुछ लोग कहकहे लगा रहे थे। कुछ मुस्लिम थे, कुछ हिन्दू व्यापारी और कुछ मंदिर के महंत। चाय की चुस्की में शामिल होते हुए अयोध्या के मौजूदा माहौल पर चर्चा छिड़ी तो कुश्ती संघ से जुड़े घनश्याम पहलवान कहने लगे- 'हम लोगों में आपस में भाईचारा बना हुआ है। न कोई तनाव है न कोई अफ्वाह है। रोज की तरह एक दूसरे से मिलते हैं, भाईचारा कायम है। हमारे अखाडे़ पर हिन्दू मुस्लिम बच्चे पहले की तरह कुश्ती सीखते हैं, रोज वर्जिश करते हैं। कोर्ट का जो फैसला होगा माना जाएगा।'

पास ही तहमद बांधे बैठे दुकानदार सईद अहमद ने कहा कि कोई पचास साल से हम इस चौराहे पर बैठते आ रहे हैं। कभी आपस में कोई विवाद नहीं रहा। हिन्दू मुस्लिम मिल कर रहते हैं। बाहरी तत्व कई बार आ जाते हैं तो डर होता है। वो लोग हुड़दंगई करते हैं। यहां का आम नागरिक मिलजुकर रहता आया है, यही उसे पसंद है। बाहरी लोगों के यहां आकर माहौल खराब करने पर अताउल्लाह रायनी ने भी सुर से सुर मिलाया। बकौल अताउल्लाह- 'सरकारें विकास कर रही हैं। इस सरकार में भी काम हो रहा है। भाईचारा कायम है। हिन्दू के घर शादी ब्याह होता है, हम जाते हैं, वो हमारे घर आते हैं। बाहरी लोगों का आना न हो तो बेहतर है। अराजक तत्व गड़बड़ करते हैं। हिन्दू मुस्लिम यहां एक दूसरे की मदद करते हैं।'

माथे पर चंदन का तिलक लगाए चाय का आनंद ले रहे महंत बाबा रामकुमार दास कहने लगे अयोध्या में कोई तनाव नहीं है। भाईचारा बना हुआ है। सियासत के चलते अयोध्या के विकास न होने की बात भी बेमानी है। यहां भरपूर विकास हो रहा है।'' सुदीप कुमार सैनी कहते हैं- 'हमलोग मिलजुलकर रहते हैं। चाय नाश्ता करते हैं। रोज चौक पर मुलाकात होती है। हम फैसले का इंतजार कर रहे हैं। जो भी फैसला होगा उसका इंतजार कर रहे हैं।'

इस बातचीत की वीडियो रिकॉर्डिंग करते हुए हम आगे बढ़ ही रहे थे कि साधू भेष में नजर आ रहे एक सज्जन कहने से न चूके-'जन्मभूमि पर मंदिर बनने का इंतजार है। हिन्दू मुस्लिम दोनों इंतजार कर रहे हैं कि कब मंदिर बने। जय श्री राम' कमोबेश यही आलम अयोध्या से लेकर 8 किलोमीटर दूर फैजाबाद तक है। हालांकि योगी सरकार ने अब फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या ही रख दिया है। पर इस आध्यात्मिक नगरी में चाय पर चर्चा हो या कोई शादी, जन्मोत्सव का जलसा, सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले की चर्चा छिड़ ही जाती है।


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