Ayodhya Case: फैसले से पहले इंटेलिजेंस अलर्ट, अफवाह फैलाने वालों पर रखी जा रही नजर
Ayodhya Case 500 साल पुराने इस विवाद में फैसला आने के बाद किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए दंगा नियंत्रण टीम समेत अर्धसैनिकों बलों को भी अलर्ट पर रखा गया है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। वर्षों पुराने अयोध्या केस को लेकर जैसे-जैसे फैसले की घड़ी करीब आ रही है, गहमागहमी बढ़ती जा रही है। फैसले के बाद शांति-व्यवस्था कायम रखने के लिए पुलिस-प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। देशभर में केंद्र सरकार, राज्य सरकार सहित जिला स्तर पर पुलिस-प्रशासन हर स्थिति से निपटने के लिए तैयारियां करने में जुटा हुआ है।
अयोध्या केस राजनीतिक और सांप्रदायिक रूप से बेहद संवेदनशील मामला है। यही वजह है कि केंद्र से लेकर राज्य सरकारें, फैसले के बाद शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर जरूरी तैयारियां कर रही हैं। उत्तर प्रदेश में इसे लेकर खास सतर्कता बरती जा रही है। यूपी के सभी जिलों में पुलिस-प्रशासन ने सभी धर्म के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर शांति समिति की बैठकें शुरू कर दी हैं। बैठकों में विशेष तौर पर हिंदू-मुस्लिम धार्मिक गुरुओं व संस्थाओं के प्रतिनिधियों को निर्देश जारी किए जा रहे हैं। केंद्र से लेकर जिला स्तर पर बैठकों का दौर जारी है।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में 6 अगस्त से नियमित सुनवाई शुरू की थी। आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट सप्ताह में तीन दिन ही किसी केस की नियमित सुनवाई करता है। अयोध्या मामला काफी पुराना, पेचीदा और महत्वपूर्ण होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में सप्ताह के पांचों दिल लगातार सुनवाई की। ये पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे किसी ऐतिहासिक मामले की सुनवाई रिकॉर्ड 40 दिनों में पूरी की है।
Ayodhya Case Preparations Live Updates...
- केंद्र सरकार में फैसले के बाद कानून-व्यवस्था कायम रखने और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए बैठकों का दौर जारी है।
- केंद्र सरकार लगातार राज्य सरकारों के संपर्क में है और हर स्थिति पर नजर बनाए हुए है। राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया है कि वह हर छोटी-बड़ी घटना की जानकारी तुरंत केंद्रीय एजेंसियों को उपलब्ध कराएं।
- केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को भी शरारती तत्वों पर नजर रखने के लिए अलर्ट किया गया है। केंद्रीय खुफिया एजेंसियां, स्थानीय खुफिया एजेंसियों के लगातार संपर्क में हैं।
- राज्य स्तर पर सभी जिलों के एसएसपी व डीएम को निर्देश जारी किए जा चुके हैं। उन्हें संवेदनशील स्थानों और शरारती तत्वों को चिह्नित करने के निर्देश दिए गए हैं।
- जिला स्तर पर डीएम-एसएसपी लगातार शांति समिति की बैठकें कर आवश्यक निर्देश जारी कर रहे हैं।
- धर्म गुरुओं व धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों को निर्देशित किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, उसे खुले दिल से स्वीकार किया जाए।
- फैसले के बाद न तो किसी तरह का जश्न मनाया जाएगा और न ही कोई विरोध कर सकेगा। ऐसा करने वाले के खिलाफ पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी।
- अगर कोई असामाजिक तत्व फैसले के बाद गड़बड़ी फैलाता है तो उस पर गुंडा एक्ट, NSA, क्रिमिनल लॉ एमेंडमेंट एक्ट समेत अन्य संगीन धाराओं में कार्रवाई होगी।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह के भ्रामक मैसेज वायरल किए जा रहे हैं।
- पुलिस समेत अन्य खुफिया एजेंसियां सोशल मीडिया के वायरल संदेशों पर भी कड़ी निगरानी कर रही है।
- लोगों को सलाह दी जा रही है कि वह किसी भी वायरल मैसेज को बिना सोचे-समझे फॉरवर्ड न करें। विशेष तौर पर अयोध्या केस से जुड़े वायरल मैसेज या धार्मिक उन्माद फैलाने वाले मैसेज को फॉरवर्ड न करें।
- किसी अप्रिय घटना, शरारती तत्वों और फेक वायरल मैसेज की जानकारी तत्काल संबंधित राज्य अथवा जिले की पुलिस को दें।
- यूपी समेत कई राज्यों में किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए विशेष पुलिस कंट्रोल रूम बनाए गए हैं।
- दंगा नियंत्रण टीमों, पीएएसी, रिजर्व पुलिस बल और अर्धसैनिकों बलों को भी अलर्ट रहने के निर्देश जारी किए जा रहे हैं।
अयोध्या केस करीब 500 वर्ष पुराना है। 206 साल से इस केस में फैसले का इंतजार हो रहा है। 17 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को सेवानिवृत्त होना है। लिहाजा सुनवाई शुरू होने से पहले ही ये लगभग तय हो चुका था कि इस केस में चीफ जस्टिस के रिटायरमेंट से पहले फैसला आ जाएगा। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने रिकॉर्ड समय में केस की सुनवाई पूरी की है।