मुश्किल दौर में ऑटोमोबाइल कंपनियां, लॉकडाउन से बिक्री हुई चौपट
मार्च के महीने में ऑटोमोबाइल कंपनियों में बिक्री को लेकर भारी गिरावट दर्ज की गई जो आगे भी सुधरने के आसार नहीं दिखा रहा।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। देश की ऑटोमोबाइल कंपनियां संभवतः अपने इतिहास के सबसे मुश्किल दौर में है। पहले से ही इनकी बिक्री घट रही थी जो मार्च के महीने में लॉकडाउन की वजह से पूरी तरह से जमीन पर आ गई है।
भविष्य में भी सुधार की उम्मीद नहीं
सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी के कारों की बिक्री 47 फीसद कम हुई है तो आयशर के वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री 83 फीसद, अशोक लीलैंड के ट्रकों व बसों की बिक्री में 90 फीसद की गिरावट देखी गई है। दूसरी कंपनियों के आंकड़ें अभी आने हैं लेकिन वे इससे भी खराब हो सकते हैं। लॉकडाउन अगर अप्रैल मध्य तक समाप्त हो जाता है तब भी कारों की बिक्री की रफ्तार बढ़ने की संभावना नहीं है।
कारों के भविष्य पर सवालिया निशान
कोरोनावायरस की वजह से जो हालात पैदा हुए हैं उसकी वजह से ना सिर्फ पिछले कुछ महीनों में लांच की गई कारों की बिक्री ठप्प हो गई है बल्कि अगले तीन-चार महीनों के दौरान लांच की जाने वाले कम से कम छह कारों के भविष्य पर भी सवालिया निशान लग गए हैं। हुंडई की तरफ से लांच की गई नई क्रेटा ने बाजार में जबरदस्त हलचल मचाई और लांचिंग से पहले ही इसकी 14 हजार बुकिंग हो गई थी। लेकिन लॉकडाउन की वजह से ना तो डीलरों को सप्लाई हो पा रही ह और ना ही ग्राहकों को।
23 मार्च से बंद हैं तमाम फैक्ट्री
कंपनी ने 23 मार्च, 2020 से अगले नोटिस तक फैक्ट्री बंद कर दिया है। कुछ ऐसी ही स्थिति होंडा की है। इसने अपनी प्रख्यात सिटी का नए रंग रूप में उतारने की सारी तैयारी कर ली थी लेकिन लाकडाउन की वजह से सारे मंसूबों पर पानी फिर गया है। मारुति सुजुकी ने अपनी सबसे ज्यादा बिकने वाली काम्पैक्ट सिडान डिजायर को नया अवतार उतारा लेकिन लॉकडाउन की वजह से बिक्री शुरु नहीं हो पाई है।
बिक्री के आंकड़े-
अब देखते हैं मार्च में इन ऑटोमोबाइल कंपनियों की बिक्री के आंकड़ों को। बुधवार को मारुति सुजुकी ने बताया है कि मार्च में उसकी कुल बिक्री 47 फीसद घट गई है जबकि समूचे वित्त वर्ष के लिए बिक्री में 16.1 फीसद की गिरावट हुई है। वर्ष 2019-20 में कंपनी ने कुल 18,62,449 कारों की बिक्री की है। बुधवार को ट्रक व बस बनाने वाली दो कंपनियों आयशर और अशोक लीलैंड ने अपनी बिक्री के आंकड़े जारी किये जो बहुत ही निराशाजनक है। दोनों के वाणिज्यक वाहनों की बिक्री क्रमशः 83 फीसद और 90 फीसद की बिक्री हुई है।
आने वाले महीनों में जिस तरह से लाकडाउन की वजह से औद्योगिक उत्पादन सुस्त रहने की संभावना है उसे देखते हुए वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री और कम हो सकती है।