Move to Jagran APP

AUKUS का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक को सुरक्षित करना, भारत के साथ मिलकर होगी रक्षा: आस्ट्रेलिया

हिन्द प्रशांत में चीन का सामने करने के रूप में देखी जा रही साझेदारी अमेरिका और ब्रिटेन को पहली बार परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों को विकसित करने के लिए आस्ट्रेलिया को प्रौद्योगिकी प्रदान करने की अनुमति देगी।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 01:28 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 01:28 PM (IST)
AUKUS का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक को सुरक्षित करना, भारत के साथ मिलकर होगी रक्षा: आस्ट्रेलिया
AUKUS का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक को सुरक्षित करना, भारत के साथ मिलकर होगी रक्षा: आस्ट्रेलिया

नई दिल्ली, पीटीआइ। आस्ट्रेलिया ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन के साथ एक ऐतिहासिक सुरक्षा समझौते में शामिल होने के उसके फैसले का उद्देश्य हिंद-प्रशांत और विकासशील क्षमताओं को हासिल करना है जो भारत और अन्य देशों के साथ मिलकर इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए खतरे को रोकने में योगदान दे सकते हैं।

loksabha election banner

हिन्द प्रशांत में चीन का सामने करने के रूप में देखी जा रही साझेदारी, अमेरिका और ब्रिटेन को पहली बार परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों को विकसित करने के लिए आस्ट्रेलिया को प्रौद्योगिकी प्रदान करने की अनुमति देगी।

भारत में आस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फैरेल ने कहा कि परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों के माध्यम से आस्ट्रेलिया की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना एक सुरक्षित और समृद्ध इंडो-पैसिफिक में देश के योगदान का हिस्सा होगा।

दूत ने कहा कि आस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने AUKUS (आस्ट्रेलिया, यूके और यूएस) साझेदारी की घोषणा से पहले निर्णय के बारे में सूचित करने के लिए भारत में अपने समकक्षों से बात की। उन्होंने कहा कि यह निर्णय एक अधिक चुनौतीपूर्ण रणनीतिक वातावरण को दर्शाता है। एक ऐसा वातावरण जिसे हम भारत के साथ शेयर करते हैं, जहां महान शक्ति प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है, जहां दक्षिण चीन सागर, ताइवान और अन्य जगहों पर क्षेत्रीय तनाव अधिक चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।

उन्होंने पत्रकार को कहा, 'सैन्य क्षमता के दृष्टिकोण इंडो-पैसिफिक पर निवेश एक अभूतपूर्व दर से आगे बढ़ रहा है और निश्चित रूप से बाद वाला बिंदु चीन द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिसका दुनिया में सबसे बड़ा सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम चल रहा है। इसलिए परमाणु-संचालित पनडुब्बियों के माध्यम से आस्ट्रेलिया की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना एक सुरक्षित और समृद्ध इंडो-पैसिफिक के लिए आस्ट्रेलिया के योगदान का हिस्सा होगा और यह क्षमता आस्ट्रेलिया के रणनीतिक दम को बढ़ाएगी और हमें अपने क्षेत्र के भविष्य के पथ को अधिक प्रभावी ढंग से आकार देने की अनुमति देते हैं।'

ओ फैरेल ने कहा कि आस्ट्रेलिया ने गहन और गंभीर सोच के बाद यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा, 'यह उन बदलती सामरिक परिस्थितियों के लिए है, लेकिन यह पूरे क्षेत्र में द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और चतुर्भुज रूप से हमारे संबंधों का भी हिस्सा है।' उन्होंने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन के साथ पनडुब्बियों के संबंध में हमने जिन साझेदारियों की घोषणा की है, उनमें ये साझेदारी आसियान केंद्रीयता के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता सहित मौजूदा क्षेत्रीय संरचनाओं को मजबूत करती है।

उच्चायुक्त ने कहा कि आस्ट्रेलिया एक समावेशी क्षेत्रीय व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास कर रहा है जहां सभी क्षेत्रों के अधिकारों का सम्मान किया जाता है, चाहे वे बड़े हों या छोटे।

उन्होंने कहा कि यह किसी विशेष क्षेत्रीय शक्ति को उकसाने की कोशिश करने के संबंध में नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि हमारे पास भारत और अन्य देशों के साथ उन खतरों, जो हिन्द-प्रशांत में शांति और सुरक्षा के लिए अच्छे नहीं है, को रोकने में शक्ति हासिल है।

बता दें कि चीन को घेरने के लिए अमेरिका-आस्ट्रेलिया व ब्रिटेन ने गठबंधन बनाया है। अमेरिका और ब्रिटेन अगले 18 महीनों में आस्ट्रेलिया को आठ परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बी उपलब्ध कराएंगे। यह घोषणा सीधे तौर पर भारत के सुरक्षा चक्र को भी मजबूत करेगा, क्योंकि ना सिर्फ भारत और आस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक गठजोड़ लगातार मजबूत हो रहा है, बल्कि दोनों देश अमेरिका के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बनाए जा रहे क्वाड गठबंधन में भी साझेदार हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.