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सबरीमाला केस और संवैधानिक नैतिकता मसले पर अटॉर्नी जनरल ने खुलकर रखें विचार

सबरीमाला मंदिर और संवैधानिक नैतिकता के मसले पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल खुलकर बोले।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 08:17 AM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 08:23 AM (IST)
सबरीमाला केस और संवैधानिक नैतिकता मसले पर अटॉर्नी जनरल ने खुलकर रखें विचार
सबरीमाला केस और संवैधानिक नैतिकता मसले पर अटॉर्नी जनरल ने खुलकर रखें विचार

नई दिल्ली, एएनआइ। सबरीमाला मंदिर और संवैधानिक नैतिकता के मसले पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल खुलकर बोले। उन्होंने कहा कि सबरीमाला मामले में असंतोष पर न्यायाधीश ने कहा कि हम विश्वास के मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते है, लेकिन अन्य चार न्यायाधीशों को संवैधानिक नैतिकता का सामना करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के लिए एक व्यक्ति से निपटना एक बात है, लेकिन यहां आप पूरी आबादी से निपट रहे हैं।'

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अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने शनिवार को कहा कि भारत के सुप्रीम कोर्ट के पास बहुत सारी बड़ी शक्तियां है, जो कि दुनिया में अन्य किसी सर्वोच्च न्यायालय से कई गुना ज्यादा है। इसका व्याख्यान संविधान के अनुच्छेद 142 में किया गया है कि यह शक्तियां कानून से भी ऊपर हैं।

दूसरे जे दादाचंजी मेमोरियल डिबेट में बोलते हुए, वेणुगोपाल ने सबरीमाला मामले में संविधान नैतिकता की अवधारणा पर निर्भर न्यायपालिका को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक नैतिकता का उपयोग बहुत खतरनाक हो सकता है।

साथ ही उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि संवैधानिक नैतिकता पैदा होने से पहले ही खत्म हो जाए। अन्यथा हमारे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर नेहरू का डर सच साबित होगा। जिन्होंने कहा था कि परिणामस्वरूप भारत का सर्वोच्च न्यायालय संसद का तीसरा कक्ष बन जाएगा।


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