SC/ST रिजर्वेशन मामलेे को 7 जजों वाली बेंच को सौंपने का आग्रह
अटॉर्नी जनरल ने एससी/एसटी रिजर्वेशन मामलेे को सात जजों वाली बेंच को सौंपने का आग्रह किया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सोमवार को अनुसूचित जाति व जनजाति समुदाय मामले को 7 जजों की बेंच को भेजे जाने का आग्रह किया है। इसपर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दो हफ्ते बाद सुनवाई की सहमति जताई गई है।
केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले वर्ष 2018 मामले में लिए गए फैसले पर रिव्यू पीटिशन दाखिल की गई। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति समुदाय की क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभ से बाहर रखने का आदेश दिया गया था।
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अनुसूचित जाति व जनजाति समुदाय से क्रीमी लेयर को हटाने के मामले को बड़े बेंच को सौंपा जाए। यह मामला चीफ जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस बीआर गवई व सूर्यकांत के पास है। इसके लिए समता आंदोलन समिति ने जनहित याचिका दायर की थी।
केंद्र ने अनुसूचित जाति व जनजातियों के क्रीमी लेयर (संपन्न तबके) को आरक्षण से वंचित करने के फैसले से इंकार कर दिया था। केंद्र का कहना है कि समूचा समुदाय ही पिछड़ा है। इस पर कोर्ट ने जब इस मामले में फैसला लिया था तब गैर सरकारी संगठन के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा था कि क्रीमी लेयर को आरक्षण लाभ से बाहर न करने से समुदाय के जरूरतमंद इससे वंचित हो रहे हैं।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि SC/ST पर भी क्रीमी लेयर का नियम लागू करना उचित है क्योंकि समुदाय के जो लोग पिछड़े नहीं हैं वे आरक्षण का लाभ न लें।
2006 में आया था नागराज फैसला, जानें
अक्टूबर 2006 में नागराज बनाम भारत संघ के मामले में पांच जजों की संविधान बेंच ने फैसला दिया था कि नौकरी के प्रमोशन में इस समुदाय के लिए रिजर्वेशन को लेकर राज्य किसी तरह से बाध्य नहीं है। साथ ही यह भी कहा था कि इसके बावजूद यदि राज्य ऐसा चाहता है तो समुदाय से संबंधित तमाम डेटा जैसे उनके पिछड़ेपन और सार्वजनिक रोजगार में अपर्याप्तता आदि का संग्रह करे।