दिखा मोदी का अटल अवतार
त्वरित टिप्पणी-प्रशांत मिश्र। राजग के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित होने के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश आए नरेंद्र दामोदरदास मोदी अटल बिहारी वाजपेयी के अवतार के प्रयास में नजर आए। उन्होंने कानपुर के अपने संबोधन में संयम, सद्भाव, सहमति और मध्यमार्गी राजनीति का न केवल संदेश दिया, बल्कि भविष्य में राजग का कुनबा बढ़ाने का भी
त्वरित टिप्पणी-प्रशांत मिश्र। राजग के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित होने के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश आए नरेंद्र दामोदरदास मोदी अटल बिहारी वाजपेयी के अवतार के प्रयास में नजर आए। उन्होंने कानपुर के अपने संबोधन में संयम, सद्भाव, सहमति और मध्यमार्गी राजनीति का न केवल संदेश दिया, बल्कि भविष्य में राजग का कुनबा बढ़ाने का भी प्रयास भी किया।
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यहां मोदी का विकास मंत्र और मुखर दिखा। उनके संबोधन में विकास के साथ संविधान और सर्वधर्म समभाव की बानगी भी नजर आई। मोदी के मिजाज के अनुरूप रामजन्म भूमि का जिक्र नहीं होना, उत्तर प्रदेश की वर्तमान सांप्रदायिक स्थिति पर खुली टिप्पणी से बचना उनके समर्थकों के एक वर्ग को जरूर साल रहा होगा, लेकिन मोदी समझ रहे हैं कि उनके शुभचिंतकों और मतदाताओं के मन में बनी 'छवि' को तोड़ना भविष्य के लिए बड़ी राजनीतिक चुनौती है। इसमें वह सफल भी रहे।
नरेंद्र मोदी ने कोयले की राख कानपुर में गिराकर न केवल स्थानीय, प्रादेशिक और देश के भ्रष्टाचार का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ा, बल्कि प्रधानमंत्री की स्वीकारोक्ति पर तीखी टिप्पणी भी की। मोदी ने उत्तर प्रदेश के संदर्भ में कांग्रेस, सपा और बसपा को तिकड़ी करार दिया। इशारा साफ था कि कांग्रेस अपने बचाव में हमेशा दोष गठबंधन की राजनीति पर मढ़ती है। कांग्रेस और प्रदेश सरकार अपने गुनाहों को छिपाने के लिए धर्मनिरपेक्षता को एक हथियार बनाने की कोशिश करती है। मोदी ने उसी हथियार की धार को कुंद करने की पूरी कोशिश की।
संभव है कि मुलायम को उनके घर में घुसकर फिर घेरें मोदी। हालांकि मोदी का पहला प्रयास उन जगहों से शुरू हुआ है जो सपा-बसपा की पट्टी है। 25 अक्टूबर को उनकी रैली झांसी में तय है, जो कि बुंदेलखंड और शिवपाल के 'घर' में ललकारने की कोशिश होगी। अगली रैली बहराइच में है, जो कांग्रेस की पट्टी पर सीधा हमला होगी।
आज मोदी के निशाने पर 'शहजादे' यानी राहुल थे। उन्होंने कांग्रेस के शहजादे के कंधे पर बंदूक रखकर उसके साथ-साथ और सपा-बसपा पर अभेद्य निशाना साधा। सपाट शब्दों में कहा कि ये सब अपने गुनाह छिपाने के लिए एक-दूसरे के कंधे का सहारा ले रहे हैं। अपार और ऐतिहासिक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने सम्मोहन, भावुकता और संविधान के पालन के लिए अपनी विशिष्ट शैली का उपयोग किया। साथ ही भावुक शब्दों में यह संदेश भी दिया कि देश के लोगों को अपना मत देकर राष्ट्र के प्रति दायित्व भी निभाना चाहिए। मोदी की शैली संबोधन से आगे बढ़कर संवाद पर थी। भीड़ इसका प्रतिसाध भी कर रही थी।
मोदी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश का राजनीतिक मिजाज, संदर्भ और भौगोलिक कारक देश से बहुत भिन्न हैं। संकेत है कि वह अगली रैली में प्रदेश सरकार पर और निशाना साधेंगे। अस्सी संसदीय क्षेत्रों वाले इस प्रदेश में उनकी शुरुआत बहुत नपी तुली थी। धीरे-धीरे मोदी न केवल आगे बढ़ने वाले हैं, बल्कि उनके निशाने पर तिकड़ी ही होगी। संदर्भ बदलेंगे, संकेत बदलेंगे, लेकिन मोदी की आंख निशाने पर होगी। उत्तर प्रदेश में यह आगाज है, अंजाम खुद मोदी तय करेंगे।
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