एकता परिषद में नीतीश ने थपथपाई अपनी पीठ
राजनीतिक मजबूरी में भाजपा से अलग हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने संबोधन में अल्पसंख्यकों को जोड़ने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे। सोमवार को राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में भी उन्होंने अल्पसंख्यकों के लिए किए जा रहे कार्यो का प्रमुखता से उल्लेख किया। सलाह के तौर पर उन्होंने धार्मिक जुलूसों में राजन
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। राजनीतिक मजबूरी में भाजपा से अलग हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने संबोधन में अल्पसंख्यकों को जोड़ने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे। सोमवार को राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में भी उन्होंने अल्पसंख्यकों के लिए किए जा रहे कार्यो का प्रमुखता से उल्लेख किया। सलाह के तौर पर उन्होंने धार्मिक जुलूसों में राजनीति आधारित कार्टून पर पाबंदी लगाने की बात कही।
दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में नीतीश सांप्रदायिक दंगों के आसपास केंद्रित रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल भी वोटों की खातिर असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देते हैं। ऐसा बिहार में भी करने की कोशिश हुई थी, लेकिन राज्य प्रशासन ने उसे सही समय पर रोक दिया। परोक्ष रूप से भाजपा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि सरकारों को विकास के साथ-साथ सामाजिक समरसता भी पैदा करनी होगी। यह भी ध्यान रखना होगा कि पुलिस में भी वही भावना पैदा हो। गौरतलब है कि दो दिन पहले राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के एक समारोह में भी उन्होंने परोक्ष रूप से अपने पुराने साथी भाजपा को घेरने की कोशिश की थी। उसी तर्ज पर सोमवार को भी उन्होंने हमला बोला। धार्मिक यात्राओं और जुलूसों को लेकर भी नीतीश आशंकित थे। परोक्ष रूप से विहिप की चौरासी कोसी यात्रा पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि नाम बदलकर यात्राएं निकाली जाती हैं। इतिहास गवाह है कि दंगों का सबसे ज्यादा बीज इन जुलूसों में ही पनपता है।
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