पर्यावरण दिवस विशेष: 74 साल की उम्र में भी ग्रीनहाउस मिशन पर है ये वैज्ञानिक
पांच साल पहले उन्हेंने कैमिकलयुक्त रसायन को कम करने के लिए 20-20 मॉडल का प्रस्ताव दिया था जिससे ना सिर्फ उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि रसायन का प्रयोग भी घटेगा।
वडोदरा। आज पर्यावरण दिवस है और इस मौके पर दुनियाभर में लोग पर्यावरण को साफ रखने और पेड़ पौधों की बात कर रहे हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने पर्यावरण को स्वच्छ करना अपनी जिंदगी का मिशन बना लिया है। आइए आपको मिलवाते हैं ऐसे ही एक शख्स से जो अपनी उम्र के 74वें साल में भी पर्यावरण को हरा भरा करने के मिशन पर हैं।
इनका नाम हैं एम एच मेहता जो फिलहाल वड़ोदरा में विलुप्त होती प्राचीन नदियों को बचाने के लिए वहो विश्वमित्री अभियान चला रहे हैं।
गुजरात एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर एम एच मेहता को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जा चुका है और अब वो 74 साल की उम्र में भी पूरे जोश और जज्बे के साथ पर्यावरण को साफ करने की मुहीम चला रहे हैं। एम एच मेहता कहते हैं कि उनकी जिंदगी के दो मिशन है पहला वहो विश्वमित्री अभियान और दूसरा इको एग्रीकल्चर। वैज्ञानिक रहे एम एच मेहता कहते हैं कि हरित क्रान्ति के बाद अब इको एग्रीकल्चर लाने का समय आ गया है।
पांच साल पहले उन्हेंने कैमिकलयुक्त रसायन को कम करने के लिए 20-20 मॉडल का प्रस्ताव दिया था जिससे ना सिर्फ उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि रसायन का प्रयोग भी घटेगा। इस मॉडल को कई राज्यों जैसे बिहार, पंजाब, तमिलनाडू, मध्य प्रदेश और गुजरात ने अपनाया है बल्कि मॉरिशस और चीन ने भी प्रौ.मेहता के मॉडल को लागू किया है।
प्रोफेसर मेहता फिलहाल उत्तराखंड के लिए बायोशिल्ड बनाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं जहां सबसे ज्यादा बाढ़ का खतरा रहता है।
आपको बता दें कि साल 2001 में गुजरात के कच्छ में जब भयानक भूकंप आया था, तब प्रोफेसर मेहता ने लोगों के लिए कम कीमत पर पर्यावरणहित ग्रीनहाउस का निर्माण किया जिससे लोगों के सिर पर छत आई थी। इसी तर्ज पर प्रोफेसर मेहता ने नेपाल के लिए भी ग्रीनहाउस घर तैयार किए हैं।