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'बाल विवाह रोकने के लिए विभिन्न कानूनों की विषमताएं दूर होनी चाहिए'

एनसीपीसीआर की अध्यक्ष स्तुति कक्कड़ ने कहा कि जिन राज्यों में बाल विवाह ज्यादा होता है उन राज्यों के साथ आयोग ने राज्य स्तरीय परामर्श किया है।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 01 Jun 2017 10:22 PM (IST)Updated: Thu, 01 Jun 2017 10:22 PM (IST)
'बाल विवाह रोकने के लिए विभिन्न कानूनों की विषमताएं दूर होनी चाहिए'
'बाल विवाह रोकने के लिए विभिन्न कानूनों की विषमताएं दूर होनी चाहिए'

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बाल विवाह न सिर्फ बच्चों की गरिमा का उल्लंघन है बल्कि मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है। ये बात सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एके सीकरी ने भारत में बाल विवाह के अध्ययन पर एक रिपोर्ट जारी करते हुए गुरूवार को कही। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जस्टिस सीकरी ने विवाह संबंधी विभिन्न कानूनों की विषमताओं की ओर ध्यान खींचते हुए कहा कि विधायिका को इन कानूनों की विषमताएं दूर करने पर ध्यान देना चाहिए ताकि इस सामाजिक बुराई को खत्म किया जा सके।

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जस्टिस सीकरी ने एनसीपीसीआर को सुझाव दिया कि जिन राज्यों में बाल विवाह की समस्या ज्यादा है वहां पर वह पैरा लीगल वालेंटियर की मदद से नेशनल लीगल सर्विस अथारिटी के साथ मिल कर सेमिनार आयोजित करे। इस मौके पर एनसीपीसीआर की अध्यक्ष स्तुति कक्कड़, महिला एवं बाल विकास सचिव राकेश श्रीवास्तव और गैर सरकारी संगठन यंग लाइव इंडिया की भारत में निदेशक रेनू सिंह मौजूद थीं। यंग लाइवस एनजीओ एनसीपीसीआर के साथ मिल कर इंटरनेशनल चाइल्डहुड पावर्टी, पर अध्यन और शोध करता है।

राकेश श्रीवास्तव ने नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की चौथी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बाल विवाह की दर में पहले से कमी आयी है। ये तीसरी रिपोर्ट में 47 फीसद थी जो कि घट कर 26 फीसद रह गयी है। पांचवी रिपोर्ट मे इसके और घटने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हाल ही में कर्नाटक राज्य ने बाल विवाह अधिनियम 2005 में संशोधन किया है और उसके जरिये बाल विवाह को शून्य घोषित कर दिया है। श्रीवास्तव ने उम्मीद जताई कि अन्य राज्य भी ऐसा करें। उन्होने एनसीपीसीआर से कहा कि वह बाल विवाह की अधिकता वाले 13 राज्यों में सरकार के साथ मिल कर सेमिनार आयोजित करे।

एनसीपीसीआर की अध्यक्ष स्तुति कक्कड़ ने कहा कि जिन राज्यों में बाल विवाह ज्यादा होता है उन राज्यों के साथ आयोग ने राज्य स्तरीय परामर्श किया है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह रोकने के लिए अच्छी रणनीति की जरूरत है। यंग इंडिया की निदेशक रेनू सिंह ने कहा कि बाल विवाह की दर मे कमी आने के बावजूद अभी भी 10 से 14 वर्ष आयु के 1.1 मिलियन लड़के और 1.8 मिलियन लड़कियां हैं जिनकी शादी हो चुकी है। बाल विवाह पर जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 640 जिलों में से 70 जिलों में बाल विवाह ज्यादा होता है। रिपोर्ट बताती है कि इन 70 जिलों में शादी की वयस्क उम्र से कम आयु की देश की 14 फीसद आबादी रहती है जहां से देश मे होने वाले बाल विवाह का कुल 21 फीसद भाग आता है।


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