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सत्ता की डगर: कांग्रेस के भविष्य के लिए बेहद निर्णायक साबित होंगे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव

कांग्रेस के नए नेतृत्व का असमंजस अभी दूर भी नहीं हुआ है कि अप्रैल-मई महीने में होने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की बढ़ी सरगर्मियों ने पार्टी के लिए एक और बड़ी चुनौती के रूप में दस्तक दे दी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 07:19 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 07:19 PM (IST)
सत्ता की डगर: कांग्रेस के भविष्य के लिए बेहद निर्णायक साबित होंगे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव
केरल, असम और तमिलनाडु चुनाव पर टिकी पार्टी सियासत को नया जीवन देने की उम्मीद।

संजय मिश्र, नई दिल्ली। कांग्रेस के नए नेतृत्व का असमंजस अभी दूर भी नहीं हुआ है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की बढ़ी सरगर्मियों ने पार्टी के लिए एक और बड़ी चुनौती के रूप में दस्तक दे दी है। अधिकांश राज्यों की सत्ता से दूर हुई कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत विपक्ष के रूप में फिर से वापसी के लिए अप्रैल-मई महीने में होने जा रहे पांच राज्यों के चुनाव बेहद अहम हो गए हैं। इसमें भी बंगाल के मुख्य चुनावी मुकाबले में कांग्रेस-वामपंथी गठबंधन की कमजोर स्थिति को देखते हुए पार्टी की आस केरल, असम और तमिलनाडु के चुनाव पर ज्यादा टिकी है।

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कांग्रेस: केरल, असम और तमिलनाडु चुनाव पर टिकी सियासत को नया जीवन देने की उम्मीद

पार्टी का मानना है इन तीन राज्यों में गठबंधन या अपने बूते सत्ता की डगर तक पहुंच पार्टी को नया जीवन देने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकती है। कांग्रेस के भविष्य के लिहाज से इन चुनावों की अहमियत का ही तकाजा है कि नए अध्यक्ष के चुनाव पर जारी ऊहापोह के बावजूद पार्टी हाईकमान ने पांचों राज्यों की चुनावी तैयारियों को लेकर अपेक्षाकृत ज्यादा तत्परता दिखाई है। इसके लिए अपने चुनावी प्रबंधन की पुरानी शैली में बदलाव करते हुए पार्टी ने भाजपा की तरह वरिष्ठ नेताओं को अलग-अलग प्रदेशों के चुनाव का जिम्मा सौंपा है।

पार्टी की राजनीतिक वापसी की सियासी संजीवनी पांच राज्यों के चुनाव से ही मिलेगी

इन चुनावों से जुड़े कांग्रेस के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने कहा कि पार्टी की जमीनी स्थितियां और चुनौतियां अब इंतजार नहीं कर सकतीं। संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है तो दो सप्ताह आगे-पीछे नए अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा। अध्यक्ष चुनाव के बाद पार्टी की राजनीतिक वापसी की सियासी संजीवनी इन पांच राज्यों के चुनाव से ही मिलेगी।

कांग्रेस की केरल में चुनावी राह आसान नहीं

कांग्रेस के हिसाब से केरल इसमें सबसे पहले नंबर पर है जहां पार्टी वामपंथी दलों से सत्ता छीनने को तत्पर है। सूबे की वाममोर्चा सरकार के खिलाफ आए कई बड़े प्रकरण कांग्रेस की इस उम्मीद का आधार हैं। हालांकि बीते महीने केरल के स्थानीय निकाय चुनावों में वाममोर्चा ने कांग्रेस को जिस तरह झटका दिया उससे साफ है कि पार्टी की चुनाव राह आसान नहीं है, इसीलिए सोनिया गांधी ने कांग्रेस के सबसे प्रभावशाली मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को केरल के चुनाव का जिम्मा सौंपा है। केरल में चुनावी कामयाबी की कांग्रेस की जरूरत का अहसास इससे भी लगाया जा सकता है कि स्थानीय निकाय के खराब परिणामों के बाद हाईकमान की पहल पर प्रदेश कांग्रेस के सभी नेता गुटबाजी को किनारे कर एकजुट होकर लड़ने पर सहमत हुए।

असम के चुनावी अखाड़े में कांग्रेस का सीधा मुकाबला भाजपा से है

असम के चुनावी अखाड़े में भी कांग्रेस का सीधा मुकाबला भाजपा से है जहां नागरिकता संशोधन कानून तथा एनआरसी विवाद को लेकर हुए आंदोलनों के बाद कांग्रेस चुनाव में अपनी वापसी की गुंजाइश देखने लगी है। हालांकि बोडोलैंड पर्वतीय परिषद चुनाव में स्थानीय पार्टियों के साथ गठबंधन कर भाजपा ने अपनी खिसकती जमीन को थामने का संदेश पहले ही दे दिया है। तरुण गोगोई जैसे दिग्गज नेता के निधन ने भी कांग्रेस की चुनौतियां बढ़ाई हैं। इसके बावजूद रिपुण बोरा और गौरव गोगोई जैसे नई पीढ़ी के नेताओं के सहारे पार्टी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की चुनावी रणनीति की तर्ज पर जनता को रिझाने की जमीनी कसरत शुरू कर चुकी है। नौकरी-रोजगार से लेकर किसानों की कर्ज माफी जैसे मुद्दों के सहारे कांग्रेस असम की सियासी फिजा गरमाने लगी है।

बंगाल में वाम दलों के साथ गठबंधन तय 

छत्तीसगढ़ के चुनाव में कांग्रेस की कामयाबी के मुख्य सूत्रधार रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को असम की चुनावी जिम्मेदारी सौंपा जाना दर्शाता है कि पार्टी के लिए यह चुनाव कितना अहम है। बंगाल कांग्रेस प्रभारी जितिन प्रसाद ने बीते एक महीने से सक्रियता बढ़ाई है और वाम दलों के साथ गठबंधन भी लगभग तय हो गया है, मगर पार्टी को भी यह सियासी हकीकत मालूम है कि ममता और भाजपा के बीच मुख्य चुनावी मुकाबले को कहीं-कहीं त्रिकोणीय बनाने से ज्यादा उम्मीद करना बेमानी होगी।

द्रमुक तमिलनाडु की सत्ता में वापसी करेगा, कांग्रेस का द्रमुक के साथ गठबंधन 

तमिलनाडु में भी रजनीकांत के सियासत से हटने के एलान के बाद कांग्रेस को उम्मीद है कि द्रमुक राज्य की सत्ता में वापसी करेगा। ऐसे में द्रमुक के साथ गठबंधन में मनमुताबिक सीटें लेना पार्टी का लक्ष्य है, मगर बिहार चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन ने पार्टी की चुनौती इस मोर्चे पर बढ़ा दी है।

पुडुचेरी में कांग्रेस ने दोबारा वापसी की उम्मीद

केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी का चुनावी मिजाज काफी कुछ तमिलनाडु से तय होता है और यहां कांग्रेस अपनी सरकार की दोबारा वापसी की उम्मीद कर रही है।


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