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लोकसभा चुनाव से भिन्न होंगे विधानसभा चुनाव के नतीजे: चव्हाण

लोकसभा चुनाव में राज्य की 48 में से 42 सीटें गंवा चुके महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण नहीं मानते कि दो माह बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव के परिणाम भी लोकसभा जैसे ही होंगे। चह्वाण का मानना है कि लोकसभा चुनाव में लोगों का तात्कालिक गुस्सा था, जो खत्म हो चुका है। अब लोग यह सोचकर पछता रहे हैं कि विपक्ष का इस प्रकार शून्य हो जाना भी लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।

By Edited By: Published: Mon, 11 Aug 2014 08:05 AM (IST)Updated: Mon, 11 Aug 2014 12:51 PM (IST)
लोकसभा चुनाव से भिन्न होंगे विधानसभा चुनाव के नतीजे: चव्हाण

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। लोकसभा चुनाव में राज्य की 48 में से 42 सीटें गंवा चुके महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण नहीं मानते कि दो माह बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव के परिणाम भी लोकसभा जैसे ही होंगे। चह्वाण का मानना है कि लोकसभा चुनाव में लोगों का तात्कालिक गुस्सा था, जो खत्म हो चुका है। अब लोग यह सोचकर पछता रहे हैं कि विपक्ष का इस प्रकार शून्य हो जाना भी लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।

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चह्वाण यह भी नहीं मानते कि कांग्रेस का राहुल कार्ड फेल हो चुका है। दैनिक जागरण से बात करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों में महंगाई, भ्रष्टाचार जैसे कई कारणों को लेकर गुस्सा था। इसलिए हार का ठीकरा किसी एक नेता पर नहीं फोड़ा जाना चाहिए। उनके अनुसार लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद की स्थिति में अब बदलाव आ रहा है। कार्यकर्ताओं का उत्साह भी बढ़ रहा है। हम अपने कार्यो को जितना ज्यादा से ज्यादा जनता तक पहुंचा सकेंगे, विधानसभा चुनाव में उसका उतना लाभ हमें मिलेगा।

अपनी सरकार के विरुद्ध किसी सत्ता विरोधी लहर से इन्कार करते हुए चह्वाण शिवसेना-भाजपा पर प्रहार करने से भी नहीं चूकते। वह कहते हैं कि 1995-99 के बीच चली शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार का अनुभव लोग एक बार ले चुके हैं। उसके बाद 15 साल तक उन्होंने इन दलों को सत्ता के आसपास भी नहीं फटकने दिया। इन वर्षो में हमारी सीटें लगातार बढ़ती गई हैं। मुझे उम्मीद है कि लोग काम के आधार पर मेरी सरकार का आकलन करेंगे।

राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की भूमिका पर चह्वाण कहते हैं कि वह जितना अच्छा लड़ेगी, उतना फायदा कांग्रेस को होगा। हालांकि चह्वाण ने यह भी साफ किया कि कांग्रेस उन्हें लड़वाने में मदद नहीं करेगी। बता दें कि मनसे की वोटकटवा भूमिका का लाभ 2009 में कांग्रेस को मिल चुका है। सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एवं अपनी ही पार्टी के अंदरूनी विरोधियों से जूझते रहे चह्वाण अब खुलकर नेतृत्व की भाषा बोलने लगे हैं।

परम विरोधी नारायण राणे का जिक्रआते ही खुलकर बोलते हैं कि विधानसभा चुनाव का नेतृत्व मैं कर रहा हूं। बाकी तो सभी वर्गो के नेताओं को लेकर चुनाव प्रचार समिति का गठन किया जाएगा। राणे पर टिप्पणी से बचते हुए वह कहते हैं कि उनकी शिकायत नौ साल पहले कही गई किसी बात को लेकर थी, उसका मुझसे कोई लेनादेना नहीं है। सदैव अपना विरोध करने वाली राकांपा के नेता शरद पवार से भी वह अपना तालमेल अच्छा बताते हैं।

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