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ड्रग्स और हथियारों की तस्करी रोकने के लिए भारत-म्यांमार सीमा पर सतर्कता बढ़ी

म्यामार के दो विद्रोहियों को तियाउ नदी के द्वारा भारत में प्रवेश करने की कोशिश करते हुए देखा गया। जब जवानों ने उन्हें ललकारा तो वे हथियारों से भरा बैग नदी में भागकर म्यामार की तरफ भाग गए।

By Srishti VermaEdited By: Published: Tue, 04 Jul 2017 11:59 AM (IST)Updated: Tue, 04 Jul 2017 01:43 PM (IST)
ड्रग्स और हथियारों की तस्करी रोकने के लिए भारत-म्यांमार सीमा पर सतर्कता बढ़ी
ड्रग्स और हथियारों की तस्करी रोकने के लिए भारत-म्यांमार सीमा पर सतर्कता बढ़ी

आईजोल (आइएएनएस)। भारत-म्यांमार सीमा के साथ-साथ पूर्वी मिजोरम में ड्रग्स और हथियारों की तस्करी को रोकने के लिए असम राइफल्स के अर्धसैनिक बलों ने सुरक्षा बढ़ा दी है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए कहा, पोरस सीमा पर हथियार और ड्रग्स तस्करी की सूचना मिलने के बाद हमने भारत-म्यामार सीमा (510 किमी) और मिजोरम पर तैनात सेनाओं को इस संबंध में अलर्ट कर दिया है साथ ही सुरक्षा कड़ी कर दी है। इस दौरान सेनाओं ने रविवार को मिजोरम के फर्कवान और वाफई गांवों के बीच कुछ लोडेड AK-56 राइफल्स जब्त किये हैं।

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सेना रविवार को तियाउ नदी के पास सुरक्षा में तैनात थी कि तड़के सुबह म्यामार के दो विद्रोहियों को तियाउ नदी के द्वारा भारत में प्रवेश करने की कोशिश करते हुए देखा गया। जब जवानों ने उन्हें ललकारा तो वे हथियारों से भरा बैग नदी में भागकर म्यामार की तरफ भाग गए। मिजोरम में असम राइफल्स के जवानों के द्वारा पकड़ा गया यह हथियारों का विशाल जखीरा है। ये हथियार संभवत मणिपुर के विद्रोही समूहों को भेजा रहा था। सेना के जवानों का कहना था कि मिजोरम के शांतिपूर्ण राज्य हैं लेकिन यहां म्यामार की तरफ से हथियार और ड्रग्स तस्करी की वजह से राज्य की शांति भंग हो सकती है। 

इससे पहले 12 जून को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह किरण रिजिजु ने चार उत्तरपूर्वी राज्य जो म्यामार के साथ अपनी सीमा साझा करते हैं, के मुख्यमंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी। ये राज्य हैं, अरुणाचल प्रदेश (520 किमी सीमा), नागालैंड (215 किमी), मिजोरम (510 किमी), मणिपुर (398 किमी), जो म्यामार के साथ 1,643 किमी पहाड़ी सीमा का साझा करते हैं। मिजोरम बांग्लादेश के साथ भी 318 किमी सीमा साझा करता है। यहां भारी मात्रा में सीमा सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। बैठक में नागालैंड और कुछ अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में रहने वाले आदिवासियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारत-म्यांमार की सीमाओं पर बाड़ लगाने का निर्माण किया गया।

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