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असम का एनआरसी डाटा हुआ गायब, पूर्व परियोजना अधिकारी के खिलाफ एफआइआर

शासकीय गोपनीयता अधिनियम के तहत एनआरसी की पूर्व परियोजना अधिकारी के खिलाफ पलटन बाजार थाने में इफआइआर दर्ज की गई है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 07:58 PM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 07:58 PM (IST)
असम का एनआरसी डाटा हुआ गायब, पूर्व परियोजना अधिकारी के खिलाफ एफआइआर
असम का एनआरसी डाटा हुआ गायब, पूर्व परियोजना अधिकारी के खिलाफ एफआइआर

गुवाहाटी, प्रेट्र। असम में वेबसाइट nrcassam.nic.in से राज्य का अपडेट नागरिकता डाटा गायब होने के कुछ घंटे बाद पूर्व एनआरसी अधिकारी के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है। यह प्राथमिकी नौकरी छोड़ने से पहले उनके द्वारा संवेदनशील दस्तावेजों का पासवर्ड नहीं देने के लिए दर्ज की गई है।

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एनआरसी के राज्य संयोजक हितेश देव शर्मा ने गुरुवार को प्रेट्र को बताया कि शासकीय गोपनीयता अधिनियम के तहत एनआरसी की पूर्व परियोजना अधिकारी के खिलाफ पलटन बाजार थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने कई बार लिखित में स्मरण पत्र भेजे जाने के बावजूद दस्तावेजों का पासवर्ड नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि पिछले साल 11 नवंबर को इस्तीफा देने के बाद भी उन्होंने पासवर्ड नहीं दिया। वह अनुबंध पर थीं और नौकरी छोड़ने के बाद उनको पासवर्ड अपने पास रखने का अधिकार नहीं था।

शर्मा ने यह भी कहा कि एनआरसी कार्यालय ने कई बार उन्हें पासवर्ड देने के लिए लिखा। लेकिन, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। हमें पता था कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। इसलिए पासवर्ड के लिए उन्हें कई बार पत्र लिखा। लेकिन, इतने महीने में उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इसलिए बुधवार को हमने उनके खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन करने का एक मामला दर्ज कराया। हमें पता होना चाहिए कि उन्होंने इस्तीफा देने के बाद इन संवेदनशील जानकारियों से छेड़छाड़ तो नहीं की है। हालांकि, उन्होंने इसके पीछे किसी तरह की दुर्भावना के आरोप को खारिज किया।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद असम में एनआरसी की प्रक्रिया शुरू हुई थी। अगस्त 2019 में प्रकाशित एनआरसी की अंतिम सूची से करीब 19 लाख लोग बाहर रह गए थे। एनआरसी को लेकर मंगलवार को लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने जानकारी दी थी कि अगर असम एनआरसी में माता-पिता का नाम है, तो छूटे बच्चों को डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा। उन्‍होंने बताया कि अटॉर्नी जनरल ने 6 जनवरी 2020 को शीर्ष कोर्ट के समक्ष कहा था कि ऐसे बच्चों को उनके अभिभावकों से अलग नहीं किया जाएगा और डिटेंशन सेंटर भी नहीं भेजा जाएगा।


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