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असम सरकार बाल विवाह के खिलाफ चला रही अभियान, लोगों ने गिरफ्तारियों के पीछे गलत आईडी कार्ड का दिया हवाला

असम में हिमंता बिस्वा सरमा सरकार बाल विवाह के खिलाफ व्यापक अभियान चला रही है। बाल विवाह के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में पुलिस ने 2241 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने कहा कि कुल 4074 एफआईआर दर्ज हुई हैं।

By AgencyEdited By: Shashank MishraPublished: Mon, 06 Feb 2023 04:58 PM (IST)Updated: Mon, 06 Feb 2023 04:58 PM (IST)
असम सरकार बाल विवाह के खिलाफ चला रही अभियान, लोगों ने गिरफ्तारियों के पीछे गलत आईडी कार्ड का दिया हवाला
कई परिवारों ने दावा किया कि पुलिस ने मामला दर्ज करने के लिए गलत जन्मतिथि वाली आईडी का हवाला दिया।

मोरीगांव, पीटीआई। असम में हिमंता बिस्वा सरमा सरकार बाल विवाह के खिलाफ अभियान चला रही है। ऐसे में अब असम पुलिस ने धरपकड़ की कार्रवाई तेज कर दी है। प्रशासन के इस कार्रवाई के बीच कुछ परिवार का दर्द भी सामने आया है। असम सरकार द्वारा बाल विवाह पर कार्रवाई जारी रखने के कारण अधिक से अधिक युवा खुद को सलाखों के पीछे पा रहे हैं, उनकी पत्नियां यह साबित करने के लिए दस्तावेजों को खोजने के लिए दर-दर भटक रही हैं कि वे नाबालिग नहीं हैं।

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राज्य में अब तक कुल हुई 2,241 गिरफ्तारियां

कई प्रभावित परिवारों ने यह भी दावा किया कि पुलिस ने मामला दर्ज करने के लिए महिलाओं की गलत जन्मतिथि वाले पहचान दस्तावेजों का हवाला दिया था। चार दिन पहले शुरू की गई कार्रवाई के तहत 4,074 एफआईआर के आधार पर राज्य में अब तक कुल 2,241 गिरफ्तारियां की गई हैं।

मोरीगांव जिले के भूरागांव निवासी एक बुजुर्ग ने दावा किया कि अधिकांश बाल विवाह के मामले स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर दर्ज किए गए है। जो सरकारी योजनाओं की कवरेज सुनिश्चित करने के लिए गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और छोटे बच्चों वाले परिवारों पर नजर रखते हैं।

आधार कार्ड में जन्मतिथि की त्रुटियों के कारण हो रही गिरफ्तारी

“ये स्वास्थ्य कार्यकर्ता आधार कार्ड की जानकारी का उपयोग करते हैं, क्योंकि यह ग्रामीणों के पास नवीनतम दस्तावेज है। हालांकि, आधार कार्ड में जन्मतिथि से संबंधित त्रुटियां पाई गई हैं, लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। एक अन्य ग्रामीण, जमालुद्दीन ने कहा कि उसके बेटे को उसकी बहू के जन्म की तारीख के आधार पर गिरफ्तार किया गया, जैसा कि आधार कार्ड में दर्ज है। “उसने गर्भावस्था के दौरान हमारी स्थानीय आशा ‘बाईदेव’ (बड़ी बहन) को अपना आधार विवरण प्रदान किया था।

हम कभी नहीं जानते थे कि अधिकारियों द्वारा जन्म के वर्ष में की गई गलती हमें इतनी महंगी पड़ेगी।” उनकी बहू को अब पुराने पहचान दस्तावेजों को सही जन्म तिथि के साथ लाने के लिए मोरीगांव शहर में अपने पैतृक घर जाना पड़ रहा है।

प्रभावित लोगों की पहचान गुप्त रखने के लिए उनके नाम बदल दिए गए हैं। मामले में सलाखों के पीछे उसी गांव के एक अन्य युवक राशिदुल हुसैन के पिता ने भी कहा कि सरकारी पहचान पत्र में त्रुटि के कारण उनके बेटे की गिरफ्तारी हुई।

आशा या आंगनवाड़ी स्वयंसेवकों जैसे स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जमा किए गए पहचान दस्तावेजों के अनुसार जन्म तिथि के कारण भी रोनिता बिस्वास और सिम्पी रॉय मोंडल अपने पतियों की गिरफ्तारी के बाद मोरीगांव के एक सरकारी आश्रय गृह में आ गईं।

पहचान पत्र में गलत जानकारी के आधार पर की गई गिरफ्तारी के आरोपों के जवाब में एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि इस तरह के दावों को अदालत के सामने साबित करना होगा। “वे सभी सरकारी लाभों का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने पहले ऐसी गलतियां क्यों नहीं बताईं?” अधिकारी ने कहा, "हम कानून के अनुसार अभियान जारी रखेंगे और आरोपी और उनके परिवार राहत के लिए कानूनी साधनों का सहारा ले सकते हैं।"

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