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तेल कुएं की आग से जैव विविधता को भारी नुकसान, किसानों के जीविकोपार्जन का जरिया तबाह

असम के तिनसुकिया जिले में तेल के कुएं की आग ने जैव विविधता को व्यापक नुकसान पहुंचाया है। इस आग से किसानों के जीविकोपार्जन का जरिया तबाह हो गया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 12 Jun 2020 07:03 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jun 2020 07:16 PM (IST)
तेल कुएं की आग से जैव विविधता को भारी नुकसान, किसानों के जीविकोपार्जन का जरिया तबाह
तेल कुएं की आग से जैव विविधता को भारी नुकसान, किसानों के जीविकोपार्जन का जरिया तबाह

गुवाहाटी, पीटीआइ। असम के तिनसुकिया जिले में तेल के कुएं से उठने वाली लपटों ने डिब्रू-सैखोवा नेशनल पार्क और मागुरी मोटापुंग वेटलैंड इलाके की जैव विविधता को व्यापक नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा आग ने किसानों के जीवनयापन के जरिए को तबाह कर दिया है। ऑयल इंडिया लिमिटेड के कुएं से 27 मई से लपटें उठ रही हैं। करीब दो हफ्ते तक अनियंत्रित तरीके से गैस निकलने से वहां बड़े पैमाने पर आग फैल गई थी। नौ जून को कुएं में विस्फोट हुआ था। 

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घर छोड़ने को मजबूर हुए लोग 

कुएं से गैस निकलने और आग बढ़ने के बाद इलाके के लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। तिनसुकिया स्थित पर्यावरणविद रंजन दास ने कहा कि जैवमंडल, डिब्रू-सैखोवा नेशनल पार्क और मागुरी-मोटापुंग वेटलैंड को शायद कभी भरपाई नहीं होने वाली क्षति हुई है। नजदीक के इलाके से 1500 से ज्यादा परिवारों को हटना पड़ा है। उन्होंने बताया कि 7000 लोग बेघर हो गए हैं और उनके धान के खेत तबाह हो गए हैं। 

दोबारा खेती की संभावना नहीं 

रंजन दास की मानें तो प्रभावित भूमि में फिर से खेती होने की संभावना नहीं है। इलाके के अधिकांश गांव छोटे चाय उत्पादक हैं और उनके बाग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। दास ने कहा, 'क्षति का वास्तविक आकलन करने में हम असमर्थ हैं। इसका कारण यह है कि आग की लपटें अभी भी उठ रही हैं। अधिकारी हमें प्रभावित इलाके के समीप जाने नहीं दे रहे हैं। लोग हालांकि हम तक अपनी अपूरणीय क्षति की शिकायतों के साथ पहुंचे हैं।' 

30 किलोमीटर दूर से दिख रहीं लपटें  

आग की लपटें इतनी विशाल हैं कि उसे 30 किलोमीटर दूर से गहरे काले धुएं के साथ देखा जा सकता है। आग से दो की जान जा चुकी है। सरकारी कंपनी ने आग पर काबू पाने के लिए सिंगापुर से विशेषज्ञ बुलाए हैं। आग पर नियंत्रण पाने के लिए अमेरिका और कनाडा से भी तीन विशेषज्ञ दो दिनों में असम पहुंचेंगे। बताया जाता है कि विशेषज्ञों के वीजा और अन्य जरूरी प्रक्रियाएं पूरी की जा चुकी हैं।

एफआइआर भी दर्ज

इस मामले में ओआइएल और उसके निजी कुआं संचालक 'जॉन एनर्जी' के खिलाफ एक एफआइआर भी दर्ज की गई है। पत्रकार और पर्यावरणविद अपूर्बा बल्लव गोस्वामी की शिकायत पर दर्ज एफआइआर में आग की वजह से क्षेत्र की जैव विविधिता को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है।

उच्चस्तरीय जांच के आदेश

गैस कुएं में लगी आग की परिस्थितियों की जांच के लिए केंद्र और असम सरकार ने अलग-अलग उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने हाइड्रोकार्बस के महानिदेशक एससीएल दास की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति गठित की है। यह समिति एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसमें ओएनजीसी के पूर्व चेयरमैन बीसी बोरा और ओएनजीसी के पूर्व निदेशक टीके सेनगुप्ता सदस्य हैं। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भी उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।  

467 मीट्रिक टन तेल उत्पादन का नुकसान

ओआइएल ने बताया कि मकुम, बारेकुरी, हपजन, लंकाशी, नागजन, हेबेडा और धकुल में स्थानीय लोगों और विभिन्न छात्र संगठनों द्वारा किए गए ब्लॉकेड की वजह से 10 जून को 59 कुओं से 467 मीट्रिक टन कच्चे तेल के उत्पादन का नुकसान हुआ। साथ ही गैस उत्पादन भी असर पड़ा है।

मंत्री के बयान से भड़का गुस्सा

असम के उद्योग और वाणिज्य मंत्री चंद्र मोहन के एक बयान से लोगों का गुस्सा भड़क गया है। आक्रोशित लोगों ने गुरुवार को तिनसुकिया जिले में विरोध प्रदर्शन किए और चंद्र मोहन का पुतला फूंका। चंद्र मोहन ने कहा था रूस में एक भीषण आग करीब 80 दिनों तक लगी रही थी। रूस के मुकाबले यह कुछ नहीं है। ऐसी आग ईरान में भी लग चुकी हैं। लोगों का कहना है कि इसकी तुलना दूसरे देशों से नहीं किया जाए।


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