घरेलू खर्च के लिए पैसे मांगना दहेजउत्पीड़न नहीं कहा जा सकता: अदालत
महिला का कहना है कि शादी के बाद से ही उसे तंग किया जाने लगा। कुछ दिनों बाद पति व सुसराल पक्ष के लोग उससे कुछ कीमती सामान व पांच लाख रुपये की मांग करने लगे।
मुंबई, प्रेट्र। दहेज उत्पीड़न, क्रूरता के मामले में सुनवाई करते हुए मुंबई की एक अदालत ने कहा कि घरेलू खर्च के लिए पैसे मांगने को दहेज उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता। बोरीवली की अदालत ने सभी आरोपियों को बरी करते हुए महिला से सवाल किया कि उसने शिकायत दो साल बाद क्यों की।
महिला ने पुलिस के पास शिकायत 24 मार्च 2015 को दर्ज कराई थी। उसका विवाह पांच मई 2011 को हुआ था। महिला का कहना है कि शादी के बाद से ही उसे तंग किया जाने लगा। कुछ दिनों बाद पति व सुसराल पक्ष के लोग उससे कुछ कीमती सामान व पांच लाख रुपये की मांग करने लगे। जबकि शादी में उन्हें कैश व आभूषण दिए गए थे। बाद में उसने पचास हजार रुपये पति को दे दिए, लेकिन उसके बाद भी मार्च 2013 में उसे घर से निकाल दिया गया।
पति उसे दोबारा अपने साथ ले गया पर जून में उसे फिर से वापस मायके भेज दिया गया। इस मामले में अदालत के साथ बचाव पक्ष ने भी महिला से सवाल किया कि वह दो साल के बाद पुलिस के पास क्यों गई।अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पूरे मामले में ऐसा नहीं लग रहा है कि क्रूरता के जरिये महिला से पैसे वसूले गए। बचाव पक्ष यह भी साबित करने में विफल रहा कि दहेज मांगा गया था।
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