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एशिया की सबसे भारी महिला ने चार साल में घटाया 214 किलो वजन, इनकी कहानी सुनकर दंग रह जाएंगे

बांद्रा स्थित लीलावती अस्पताल में लैपराओबेसो सेंटर के संस्थापक शशांक शाह ने अमृता की दुनिया ही बदल दी। अमृता ने कहा कि पिछले आठ साल से वह पूरी तरह से बेड तक सिमट कर रह गई थी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 08 May 2019 09:56 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2019 09:56 PM (IST)
एशिया की सबसे भारी महिला ने चार साल में घटाया 214 किलो वजन, इनकी कहानी सुनकर दंग रह जाएंगे
एशिया की सबसे भारी महिला ने चार साल में घटाया 214 किलो वजन, इनकी कहानी सुनकर दंग रह जाएंगे

मुंबई, आइएएनएस। कभी एशिया की सबसे वजनी महिला मानी जाने वाली महाराष्ट्र के पालघर की एक महिला ने चार साल के अंदर 214 किलोग्राम वजन कम करने का कारनामा कर दिखाया है। उसके डॉक्टर शशांक शाह ने बुधवार को इसकी घोषणा की। महिला का वजन तीन सौ किलोग्राम से भी अधिक था।

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इस महिला की पहचान पालघर के वसई निवासी 42 वर्षीय अमृता रजनी के रूप में हुई है। ऐसा नहीं है कि उसे कोई पैदाइशी बीमारी थी। जब वह पैदा हुई थी तब सामान्य बच्चों की तरह उसका वजन तीन किलो था। लेकिन छह साल के होने पर अचानक उसका वजन बढ़ने लगा और 16 साल की होते-होते उसका वजन 126 किलो हो गया था।

अमृता के बढ़ते वजह से चिंतित उसके घरवालों ने देश और दुनिया के कई डॉक्टरों से संपर्क किया। लेकिन किसी के इलाज का उस पर असर नहीं हुआ। धीरे-धीरे उसे अपने रोज के काम करने में दिक्कत होने लगी। भारी वजन से उसका आत्मविश्वास भी डगमगा गया। उसने घर से निकलना छोड़ दिया।

लेकिन बांद्रा स्थित लीलावती अस्पताल में लैपराओबेसो सेंटर के संस्थापक शशांक शाह ने उसकी दुनिया ही बदल दी। अमृता ने कहा, 'पिछले आठ साल से वह पूरी तरह से बेड तक सिमट कर रह गई थी। लेकिन डॉ. शाह ने वजन कम करने में उसकी मदद की। इसके चलते अब वह पूरी तरह से आजाद है। खुद से चलती है। अपनी पसंद के कपड़े पहनती है और सामान्य जीवन का पूरा आनंद उठा रही है।

अमृता की मां ममता रजनी ने बताया कि तीन सौ किलो से ज्यादा वजन होने के बाद बिना घरवालों की मदद से वो कुछ नहीं कर पा रही थी। उसे सांस लेने में भी दिक्कत होती थी। उसे ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती थी।

डॉ. शाह ने बताया कि अमृता पहली बार उनके पास 2015 में आई थी। तमाम जांच के बाद उन्होंने उसकी सर्जरी करने का फैसला किया। उसे अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस में सोफा लगाना पड़ा था। अस्पताल में उसके लिए खास तरह के बेड का इंतजाम किया गया। 2015 और 2017 में उसकी दो सर्जरी हुई थी। सर्जरी के बाद उसका वजह कम होने लगा और इस समय उसका वजन 86 किलो है। उसे अब किडनी, ब्लड प्रेशर, डाइबिटीज जैसी बीमारियों से भी मुक्ति मिल गई है।

डॉ. शाह ने बताया कि अब उसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने ने वजन बढ़ने की बीमारी की गंभीरता का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि बदलते पर्यावरण के प्रभाव से लोगों का वजन बढ़ रहा है। देश में पहले जहां हर पांचवें व्यक्ति को वजन बढ़ने की शिकायत थी, अब वह तीसरे व्यक्ति पर आ गई है।

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