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अब 30 तक जेल में रहेंगे आसाराम

नाबालिग छात्रा से यौन उत्पीड़न मामले में जोधपुर जेल में बंद कथावाचक आसाराम बापू को अब 30 सितंबर तक सलाखों के पीछे रहना होगा। आसाराम की न्यायिक हिरासत की अवधि रविवार रात खत्म हो गई थी। उन्हें सोमवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में सेवादार शिवा के साथ पेश किया गया। न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास ने इनकी हिरासत 14 दिन और बढ़ा दी।

By Edited By: Published: Mon, 16 Sep 2013 08:23 AM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2013 10:30 PM (IST)
अब 30 तक जेल में रहेंगे आसाराम

जयपुर, जागरण संवाददाता। नाबालिग छात्रा से यौन उत्पीड़न मामले में जोधपुर जेल में बंद कथावाचक आसाराम बापू को अब 30 सितंबर तक सलाखों के पीछे रहना होगा। आसाराम की न्यायिक हिरासत की अवधि रविवार रात खत्म हो गई थी। उन्हें सोमवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में सेवादार शिवा के साथ पेश किया गया। न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास ने इनकी हिरासत 14 दिन और बढ़ा दी।

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दूसरी तरफ जोधपुर हाई कोर्ट में आसाराम की जमानत के लिए नामी वकील राम जेठमलानी की पैरवी भी पूरी हो गई। हाई कोर्ट ने 18 सितंबर तक इस मामले की केस डायरी मांगी है। 18 को ही अब सरकार की ओर से बहस होगी, जिसके बाद आसाराम की जमानत पर फैसला सुनाया जाएगा। गौरतलब है कि जोधपुर के पास मणाई आश्रम में नाबालिग के साथ दुराचार का मामला गत 19 अगस्त को दिल्ली के कमला मार्केट थाने में दर्ज हुआ था। प्राथमिकी को जोधपुर भेजने पर जांच के बाद 31 अगस्त की रात इंदौर में गिरफ्तार कर आसाराम को यहां लाया गया। एक दिन पुलिस रिमांड के बाद दो सितंबर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। उनके सेवादार शिवा ने पुलिस के समक्ष 31 अगस्त को समर्पण कर दिया था। इस मामले में छिंदवाड़ा छात्रावास की वार्डन शिल्पी और गुरुकुल संचालक शरदचंद्र की गिरफ्तारी शेष है।

आसाराम की जमानत में आफत बना धमकी का ऑडियो

शाहजहांपुर, जागरण संवाददाता। नाबालिगशिष्या से दुष्कर्म में फंसे आसाराम की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। सेशन कोर्ट से तीस सितंबर तक न्यायायिक हिरासत बढ़ने के साथ ही उनकी हाईकोर्ट से जमानत में धमकी भरा ऑडियो रोड़ा बन गया है। हालांकि जोधपुर हाईकोर्ट में उनकी जमानत पर बुधवार को सुनवाई होगी, लेकिन पीड़िता के वकील ने दमदारी के साथ ऑडियो को प्रमाण बतौर रखकर यह साबित करने की कोशिश की कि यदि आसाराम जेल से बाहर आए तो वह पीड़िता व उसके परिवार को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इधर आसाराम की न्यायिक हिरासत बढ़ने से एक बार पीड़ित परिवार के जख्मों पर राहत भरा मरहम लगा है। पीड़िता के पिता ने हाईकोर्ट में जमानत पर सुनवाई के टलने तथा न्यायिक हिरासत बढ़ने को ईश्वर की सच्ची भक्ति और अदालत के प्रति विश्वास का प्रतिफल करार दिया।

जोधपुर के सेशन कोर्ट में न्यायिक हिरासत तथा हाईकोर्ट की आसाराम की जमानत पर सुनवाई पर पीड़ित परिवार का ध्यान लगा रहा। अधिवक्ता से पल-पल की खबर के साथ ही पीड़िता के माता-पिता अनुष्ठान करते रहे। दोपहर बाद पीड़िता के वकील ने तीस सितंबर तक आसाराम की न्यायिक हिरासत बढ़ाए जाने तथा हाईकोर्ट में जमानत की सुनवाई को बुधवार तक के लिए बढ़ा दिए जाने की खबर दी। वकील ने जब यह बताया कि आसाराम ने कोर्ट में हाथ भी जोड़े तो पीड़ित छात्रा के चेहरे पर चमक आ गई। पीड़िता के पिता ने कहा कि इस खबरों से उनके परिवार ने राहत की सांस ली। रविवार को दोपहर से रखे गए अनुष्ठान का सोमवार की शाम पारायण किया और उपवास तोड़ा। इसके बाद मंदिर में मत्था टेका।

अपने ही जाल में फंसे आसाराम

शाहजहांपुर में पीड़िता के पिता के अनशन के दौरान उनके मित्र शिवनाथ गुप्ता के मोबाइल पर जो धमकी भरा फोन आया, उससे आसाराम बापू अपने बुने जाल में फंस गए हैं। मोबाइल पर टेप की आवाज को जोधपुर कोर्ट में सुनाया गया। ऑडियो में श्याम नाम के व्यक्ति ने शिवनाथ को सलाह दी कि वह अपने दोस्त पीड़िता के पिता को समझाए कि वह बयान बदल दें और केस वापस ले लें। अन्यथा आसाराम बापू और उनके लाखों साधक उन्हें कहीं का न छोड़ेंगे। यदि समय रहते न सुधरे तो आसाराम उन्हें खत्म भी करा देंगे। इस आशय का ऑडियो कोर्ट में सुनाए जाने के बाद आसाराम की जमानत में मुश्किल खड़ी हो गई है।

नगरपालिका बोर्ड में 'बालिग' है पीड़िता!

शाहजहांपुर। आसाराम के वकील ने शाहजहांपुर नगर पालिका के अभिलेखों में पीड़िता के बालिग होने का दावा किया है। हालांकि वकील की ओर से कोई अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए गए। लेकिन जमानत के लिए शाहजहांपुर नगरपालिका को आधार बनाया गया है। पीड़िता के पिता ने इस बाबत कहा कि उन्होंने पालिका में बेटी का जन्म पंजीयन ही नहीं कराया तो जन्मतिथि का अभिलेख कहां से आ जाएगा। उन्होंने बताया कि मुकदमा दर्ज होने के बाद आसाराम के लोगों ने पालिका पर फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी करने का दबाव बनाया था, जिसकी उन्होंने पालिका प्रशासन से शिकायत भी की थी। इधर नगर पालिका के स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया कि मार्च के बाद से अब तक पीड़िता और उसके माता-पिता के नाम से कोई भी प्रमाणपत्र जारी नहीं हुआ है। यदि कोई प्रमाणपत्र सामने आता है तो वह फर्जी होगा।

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