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नितिन गडकरी ने हड़पी किसानों की जमीन

नई दिल्ली। सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के बाद राजनीतिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने अब भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी पर निशाना साधा है। उनके मुताबिक गडकरी ने राकांपा नेता अजीत पवार के साथ मिलकर महाराष्ट्र में किसानों की जमीन हासिल कर ली। इसी तरह किसानों के नाम पर बनाए गए बांध का पानी गडकरी के कारखानों को दिया जा रहा है। इन सबके बदले में गडकरी महाराष्ट्र के सिंचाई घोटाले को छुपाने में मदद कर रहे हैं। इस मिलीभगत से विदर्भ के किसानों की हालत और खराब हुई।

By Edited By: Published: Wed, 17 Oct 2012 05:41 PM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2012 10:17 PM (IST)
नितिन गडकरी ने हड़पी किसानों की जमीन

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के बाद राजनीतिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने अब भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी पर निशाना साधा है। उनके मुताबिक गडकरी ने राकांपा नेता अजीत पवार के साथ मिलकर महाराष्ट्र में किसानों की जमीन हासिल कर ली। इसी तरह किसानों के नाम पर बनाए गए बांध का पानी गडकरी के कारखानों को दिया जा रहा है। इन सबके बदले में गडकरी महाराष्ट्र के सिंचाई घोटाले को छुपाने में मदद कर रहे हैं। इस मिलीभगत से विदर्भ के किसानों की हालत और खराब हुई।

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अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि इस मामले को उन्होंने इसलिए उठाया, क्योंकि गडकरी ने दावा किया था कि उनको राकांपा नेता शरद पवार या उनकी सरकार से कोई फायदा नहीं मिला। केजरीवाल ने कागजात पेश कर दावा किया कि महाराष्ट्र के नागपुर जिले में बांध बनाने के लिए अधिग्रहित की गई जमीन राज्य सरकार ने गडकरी की संस्था को दे दी। बांध सिर्फ 24 एकड़ में बना और लगभग सौ एकड़ जमीन बची रह गई। किसानों ने बची हुई अपनी जमीन खेती के लिए वापस मांगी। मगर दो साल तक सरकार ने जवाब नहीं दिया। जबकि गडकरी ने तत्कालीन सिंचाई मंत्री अजीत पवार को पत्र लिखकर 37 एकड़ जमीन अपनी संस्था को और 11 एकड़ जेम्स ऑफ इंडिया को देने की मांग की। पवार ने चार दिन के अंदर जमीन उन्हें देने की सिफारिश विदर्भ सिंचाई विकास निगम को कर दी। निगम ने तुरंत यह जमीन उन्हें दे भी दी। जबकि इसके सचिव ने साफ तौर पर कहा कि ऐसा करना गैरकानूनी होगा।

केजरीवाल के साथ मौजूद 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' की महाराष्ट्र की कार्यकर्ता अंजली दमानिया ने वह पत्र भी पेश किया जो गडकरी ने पवार को लिखा था। साथ ही सरकार का वह आदेश भी पेश किया, जिसके मुताबिक सिंचाई के लिए अधिग्रहित कोई जमीन किसी भी निजी संस्था को नहीं दी जा सकती। दमानिया ने जेम्स आफ इंडिया को दी जाने वाली जमीन गडकरी के संगठन को देने वाला दस्तावेज भी पेश किया। इस पर भी अजीत पवार के दस्तखत मौजूद हैं। दमानिया ने कहा, 'पिछले दिनों मैंने गडकरीजी से मिल कर सिंचाई घोटाले को उठाने को कहा तो उन्होंने कहा था कि हम इस मुद्दे को कैसे उठा सकते हैं। चार काम हम उनके करते हैं। चार काम वे हमारे करते हैं। ये उन्हीं चार काम का नमूना है।'

केजरीवाल ने कहा कि शरद पवार की पार्टी ने गडकरी को उनके कारोबार में फायदा दिलाया। जबकि इसके बदले में भाजपा अध्यक्ष ने तो देश के लोगों के विश्वास का सौदा कर लिया। उन्हें बताना चाहिए कि क्या वे विदर्भ के किसानों के हितों की कीमत पर व्यापार करना चाहते हैं? एक मामूली कार्यकर्ता की जांच से ऐसे मामले सामने आ गए लेकिन सरकारी जांच एजेंसियां क्या कर रही हैं। साथ ही आरोप लगाया कि बांध का पानी गडकरी के कारखाने को दिया जा रहा है। उनकी चीनी मिल से निकलने वाले कचरे ने वहां की नदी को जानवरों के लायक भी नहीं रहने दिया है। इस पर भी सरकार आंखें बंद किए हुए है। प्रशांत भूषण ने कहा कि महाराष्ट्र में बांध बनाने में बड़ा घोटाला किया गया। अधिकांश बांध पर नहर नहीं बनाई गई। लगभग सारा पानी अजीत पवार ने गडकरी जैसे लोगों की कंपनियों को दे दिया। केजरीवाल ने कहा कि भाजपा, कांग्रेस और राकांपा सहित सभी पार्टियां मिल कर किसानों को लूट रही है। ऐसे में सरकार से कोई मांग करने की बजाय हम चाहते हैं कि जनता इस साठगांठ को समझे।

अध्यक्ष के साथ खड़ी हुई भाजपा

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के बारे में अरविंद केजरीवाल की चेतावनी से आशंकित भाजपा बुधवार को उनके खुलासे के साथ ही निश्चिंत हो गई। पहले से ही तैयार सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने न सिर्फ तर्को के साथ गडकरी पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को निर्मूल साबित करने की कोशिश की, बल्कि केजरीवाल और उनकी विश्वसनीयता पर सवाल भी उठाए। सुषमा और जेटली ने साफ कहा कि गडकरी के साथ पूरी पार्टी और नेतृत्व खड़ा है।

सुबह से ही भाजपा की नजरें केजरीवाल की शाम की पत्रवार्ता पर टिकी थीं। यही वजह थी कि केजरीवाल और उनके साथियों ने खुलासे पर बोलना शुरू किया तो गडकरी के आवास पर पार्टी के वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। पत्रकार वार्ता खत्म होते-होते गडकरी और पार्टी नेताओं के चेहरे पर राहत के भाव थे और आक्रामक रूप से बचाव का खाका तैयार था। गडकरी के लिए राहत इसलिए भी थी क्योंकि पार्टी अध्यक्ष के दूसरे कार्यकाल को लेकर अब उनके सामने रास्ता और आसान है।

गडकरी ने जहां चुनिंदा पत्रकारों के सामने अपनी सफाई दी, वहीं सुषमा और जेटली ने संयुक्त रूप से केजरीवाल की दलीलों को खारिज किया और पलटवार करते हुए उन पर ही सवाल खड़े कर दिए। सुषमा ने कहा कि 1997 में डैम बनने के बाद 2006 में गडकरी के ट्रस्ट को 11 साल की लीज पर जमीन दी गई है। वह बंजर भूमि थी जिस पर गडकरी का ट्रस्ट गन्ने की पौध उपजाता है और बाजार से आधे से भी कम कीमत पर विदर्भ के किसानों को देता है। उन्होंने उस आरोप को भी खारिज किया कि डैम का पानी किसान नहीं गडकरी उपयोग कर रहे हैं।

जेटली ने केजरीवाल की मंशा और विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि आकर्षण का केंद्र बनने की ललक में शायद यह आरोप लगाया गया है, लेकिन वह खुद घिर गए हैं। इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाकर दो मुख्य राजनीतिक दलों को एक पायदान पर खड़े करने की कोशिश में केजरीवाल असफल रहे हैं। जेटली ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के 22 साल बाद जो जमीन गडकरी को दी गई वह भी सार्वजनिक हित के लिए ही उपयोग हो रही है।

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