कांग्रेस के साथ नहीं पकी खिचड़ी, केजरी ने जनता से मांगी माफी
दिल्ली की सत्ता छोड़ने के लिए केजरीवाल ने अब राज्य की जनता से माफी मांग ली है। उन्होंने अब साफ तौर पर माना है कि सत्ता छोड़ने का फैसला लेने में उनसे गलती हुई। अपनी पार्टी के विधायकों से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, 'जो लोग दिल्ली में आप की सरकार को बने रहते देखना चाहते थे, उनसे हम माफी मांगते हैं। हमारी सरकार
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली की सत्ता छोड़ने के लिए केजरीवाल ने अब राज्य की जनता से माफी मांग ली है। उन्होंने अब साफ तौर पर माना है कि सत्ता छोड़ने का फैसला लेने में उनसे गलती हुई। अपनी पार्टी के विधायकों से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, 'जो लोग दिल्ली में आप की सरकार को बने रहते देखना चाहते थे, उनसे हम माफी मांगते हैं। हमारी सरकार ने दिल्ली में लोगों को जो सुविधाएं मुहैया कराई थीं, लोग चाहते थे कि वह जारी रहें। मगर हम जन लोकपाल बिल पास कराना चाहते थे। विधानसभा में यह बिल गिर गया। उसके बाद हमने सैद्धांतिक आधार पर इस्तीफे का फैसला लिया था। फैसला लेने में हुई गलती के लिए लोगों से माफी मांगते हैं।'
सरकार बनाने पर यू-टर्न
दिल्ली के अपने विधायकों के साथ बैठक के बाद उन्होंने राज्य में सरकार बनाने के ताजा प्रयास को फिर से छोड़ देने का ऐलान भी किया। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि इसके लिए न तो कोई प्रयास होगा और न ही कोई जनमत संग्रह। साथ ही उन्होंने माना कि मंगलवार को उन्होंने उपराज्यपाल से मिल कर राज्य में सरकार गठन की संभावना तलाशने की गुजारिश की थी। केजरीवाल ने कहा कि राज्य में जितने लोगों से वे मिल रहे थे, उनमें से अधिकांश इस बात से नाराज थे कि उन्होंने दिल्ली में सरकार क्यों छोड़ी। इसलिए उन्होंने उपराज्यपाल से मुलाकात कर इसके लिए एक कोशिश की थी। मगर अब यह साफ हो गया है कि ताजा घटनाक्रम के बाद मौजूदा विधानसभा में सरकार का गठन मुमकिन नहीं।
कांग्रेस के साथ खिचड़ी पकाने में नाकाम रहे केजरीवाल
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। यदि अरविंद केजरीवाल के पास बहुमत साबित करने लायक नंबर नहीं थे तो आखिर किस दम पर वे उपराज्यपाल नजीब जंग से मिलकर सरकार बनाने की संभावनाएं तलाशने मंगलवार को राजनिवास पहुंच गए। क्या सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच कोई खिचड़ी पक रही थी? सूबे के सियासी गलियारों में यह चर्चा बुधवार को दिन भर चलती रही। यह भी सवाल उछलते रहे कि आखिर कहां गड़बड़ हो गई।
क्या आम आदमी पार्टी की ओर से सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस से कोई संपर्क किया गया था? इस सवाल का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। हालांकि उन्होंने यह जरूर माना कि सार्वजनिक जीवन में होने के नाते विभिन्न दलों के नेताओं के फोन व्यक्तिगत कारणों से भी उनके पास आते रहते हैं। हालांकि उन्होंने साफ किया कि कांग्रेस दोबारा सरकार बनाने के लिए आम आदमी पार्टी को समर्थन नहीं देगी। इस बारे में किसी को कोई भ्रम नहीं होना चाहिए।
जानकार सूत्रों की मानें तो दोनों दलों के कुछ नेताओं के बीच संपर्क जरूर हुआ था। आम आदमी पार्टी की ओर से कांग्रेस से दोस्ताना रिश्ते कायम करने की पहल की गई थी लेकिन प्रदेश कांग्रेस के जोरदार विरोध के मद्देनजर यह कोशिश रंग नहीं ला पाई। बताया यह भी जा रहा है कि इस बार केजरीवाल खुद मुख्यमंत्री नहीं बनकर मनीष सिसोदिया को आगे करना चाहते थे। कांग्रेस के कुछ विधायकों के टूटने की संभावना को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का कहना था कि सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की बात कोई भला सोच भी कैसे सकता है। उन्होंने ऐसी तमाम खबरों को आधारहीन और गलत करार दिया।
इधर भाजपा द्वारा सरकार बनाने की कोशिशें भी रंग लाती नहीं दिख रही हैं। 28 सदस्यीय आम आदमी पार्टी अथवा आठ सदस्यीय कांग्रेस के दो तिहाई सदस्यों को तोड़ पाना आसान नहीं है ओर ऐसा किए बगैर भाजपा की गाड़ी भी आगे नहीं बढ़ने वाली है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व यह नहीं मानने को तैयार है कि कुछ सदस्य बहुमत वाले दिन सदन से गैरहाजिर हो जाएं और पार्टी बहुमत साबित कर दे।