बंद हो एफडीआई का बेवजह विरोध
घोटालों के आरोपों से घिरे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भाजपा के दो पूर्व मंत्रियों ने राहत दी है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी और राजग सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी ने मनमोहन का बचाव किया है। अरुण शौरी ने कहा है कि डीजल कीमतों में वृद्धि वक्त की जरूरत है। उन्होंने एफडीआइ पर बेवजह का विरोध बंद करने की भी अपील की है। हालांकि इन दोनों ही नेताओं ने पार्टी लाइन से अलग हटकर अपना बयान दिया है, जो उनके लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। घोटालों के आरोपों से घिरे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भाजपा के दो पूर्व मंत्रियों ने राहत दी है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी और राजग सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी ने मनमोहन का बचाव किया है। अरुण शौरी ने कहा है कि डीजल कीमतों में वृद्धि वक्त की जरूरत है। उन्होंने एफडीआइ पर बेवजह का विरोध बंद करने की भी अपील की है। हालांकि इन दोनों ही नेताओं ने पार्टी लाइन से अलग हटकर अपना बयान दिया है, जो उनके लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने डीजल मूल्य वृद्धि को वक्त की जरूरत करार दिया है। राजग सरकार में मंत्री रहे शौरी ने रविवार को भोपाल में संवाददाताओं से कहा कि मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई पर बेवजह का विरोध बंद होना चाहिए, इससे न तो फायदा होने जा रहा है, न ही नुकसान। प्रधानमंत्री ने पहली बार अपनी ताकत दिखाई है। जबकि, देहरादून में पार्टी लाइन से अलग भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता बीसी खंडूड़ी ने कहा कि प्रधानमंत्री का इस्तीफा कोई हल नहीं है, इससे सियासी गतिरोध खत्म नहीं होगा। एक इंटरव्यू में मनमोहन को अच्छा अर्थशास्त्री बताते हुए खंडूड़ी ने कहा कि पीएम अत्यधिक दबाव में हैं और कुछ कर नहीं पा रहे हैं।
मनमोहनी भाषा बोलते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गठबंधन राजनीति के अड़ंगों ने सुधारों की राह रोक रखी है। पीएम का त्यागपत्र समाधान नहीं है, दूसरा आएगा और फिर यही कहानी दोहराई जाएगी। लिहाजा समस्या का तुरत-फुरत हल निकालने की बजाय हमें धीरज रखकर भ्रष्ट व्यवस्था में बदलाव के लिए उसकी जड़ों पर प्रहार करना होगा। सुधार जरूरी हैं लेकिन राजनीतिक स्थिरता के बिना यह संभव नहीं है।
राजनीतिक सुधारों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, स्थिरता के लिए सरकारों का कार्यकाल नियत कर दिया जाना चाहिए। अस्थिर सरकारें अपने कार्यक्रम लागू नहीं कर पातीं। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन पर वह बोले कि अन्ना हजारे ने इसे राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है। अन्ना के राजनीति में जाने के सवाल पर उनका कहना था कि हजारे को अपने रास्ते पर चलना चाहिए।
वहीं अब सरकार आर्थिक सुधारों की रफ्तार बढ़ाने पर विचार कर रही है। बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा में वृद्धि और पेंशन क्षेत्र आर्थिक सुधार की दिशा में अगला कदम हो सकते हैं। इस हफ्ते केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इन दोनों प्रस्तावों पर विचार होने की संभावना है।
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