भविष्य के युद्धों में बड़ा असर डालेगा आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस, बदल जाएगा तकनीक युद्धों का स्वरूप
वायुसेना प्रमुख ने बताया कि आंकड़ों और खुफिया सूचनाओं के विश्लेषण रखरखाव और निर्णय में सहायक व्यवस्था बनाने में भी एआइ के इस्तेमाल की संभावना तलाशी जा रही है। इस प्रकार से एआइ के इस्तेमाल को लेकर निकट भविष्य में बड़ा क्षेत्र तैयार होने वाला है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भविष्य के युद्धों में आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (एआइ) पर बड़ा असर डालेगा। यह तकनीक युद्धों का स्वरूप बदलकर रख देगी। भारतीय वायुसेना प्रशिक्षण, खतरे के आकलन समेत कुछ क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। सोमवार को यह जानकारी वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने दी।
वायुसेना प्रमुख ने मिलिटरी एप विकसित करने में औद्योगिक क्षेत्र से मांगा सहयोग
वायुसेना प्रमुख ने बताया कि आंकड़ों और खुफिया सूचनाओं के विश्लेषण, रखरखाव और निर्णय में सहायक व्यवस्था बनाने में भी एआइ के इस्तेमाल की संभावना तलाशी जा रही है। इस प्रकार से एआइ के इस्तेमाल को लेकर निकट भविष्य में बड़ा क्षेत्र तैयार होने वाला है। एयर चीफ मार्शल फिक्की द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र से अनुरोध किया कि वह एआइ के मिलिटरी एप्लीकेशन विकसित करने के लिए आगे आए, जिन पर सेनाओं को कार्य करने में सुविधा हो। आने वाले समय में एआइ जैसी स्मार्ट तकनीक से प्रशिक्षण और युद्ध की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी। हम बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं जिसमें हमें ज्यादा से ज्यादा सीखने की जरूरत है।
कई देशों की गतिविधियों से भारत को खतरा
वायुसेना प्रमुख ने कहा- सेना, औद्योगिक क्षेत्र, वैचारिक संस्थाओं और एआइ विशेषज्ञों के लिए यह सही समय है, जब वे अगली पीढ़ी को आकाशीय युद्ध के लिए तैयार कर सकते हैं। इस समय तकनीक विकास का ऐसा पेड़ लगाए जाने की जरूरत है जो भविष्य में खूब फले-फूले। विभिन्न देशों ने एआइ से जुड़े कार्य तेज कर दिए हैं। कई देशों की गतिविधियों से भारत को खतरा भी बढ़ रहा है। लेकिन वायुसेना ने भी एआइ से जुड़ी यात्रा शुरू कर दी है। कई क्षेत्रों में चल रहे कार्यो का फायदा मिल रहा है। हमारा ऑपरेशन वर्क स्मार्ट बन रहा है।