मानव जीवन में आमूलचूल बदलाव का वाहक बनेगा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस
रोजगार की दृष्टि से किसी भी क्षेत्र में लोगों की दिलचस्पी पैदा करने का सबसे अच्छा जरिया है। इसलिए ग्रामीणों को आइटी एवं इलेक्ट्रानिक सामान बनाने वाली कंपनियों में नौकरियां दिलाना सरकार की सबसे अहम चुनौती मानी जा सकती है।
अभिषेक कुमार सिंह। देश के तकनीकी विकास और संपूर्ण डिजिटलीकरण की राह में कुछ चुनौतियां ऐसी हैं, जिनका समाधान खोजे बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते। पहली चुनौती देश में ही इलेक्ट्रानिक्स सामानों के उत्पादन की है। मोबाइल फोन से लेकर कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रानिक सामानों में लगने वाले सर्किट, माइक्रो चिप और सेमी कंडक्टर आदि को यदि विदेश से ही आयात किया जाता रहा तो कोई भी सफलता आधी-अधूरी कहलाएगी।
सेमी कंडक्टर की आपूर्ति
सेमी कंडक्टर की कमी से जुड़े मुद्दे ने साबित किया है कि कैसे एक छोटी-सी चीज की आपूर्ति में आई कोई रुकावट कार, मोबाइल फोन, कंप्यूटर, एयर कंडीशनर और वाशिंग मशीन आदि तमाम उपयोगी उत्पादों का निर्माण कार्य ठप कर सकती है। कोरोना और उसके बाद चीन-ताइवान के बीच पैदा तनाव से सेमी कंडक्टर की आपूर्ति की वैश्विक श्रृंखला ऐसी गड़बड़ाई है कि उसमें कोई सुधार नहीं हो पा रहा है।
स्मार्ट फोन एवं इलेक्ट्रानिक उत्पाद
यह अच्छी बात है कि भारत सरकार ने सेमी कंडक्टर देश में ही बनाने की शुरुआत का माहौल बनाने के संकेत दिए हैं। कुछ कंपनियों ने संबंधित कामकाज भी यहां शुरू कर दिया है, लेकिन मुश्किल यह है कि भारत कैसे बड़ी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को समझाएगा कि यहां इन सामानों की फैक्टियां लगाना उनके लिए फायदेमंद है। हालांकि इस संबंध में हमारे देश को एक बढ़त इसलिए हासिल है, क्योंकि इसके पास बड़ी आबादी की वजह से इन सामानों का बड़ा ग्राहक वर्ग है। यदि देसी कंपनियां जनता में यह भरोसा पैदा कर पाईं कि उनके बनाए सेमी कंडक्टर से लेकर स्मार्ट फोन एवं अन्य इलेक्ट्रानिक उत्पाद दुनिया की बड़ी कंपनियों को टक्कर देने की हैसियत में हैं तो इस समस्या का आसान समाधान निकल सकता है।
गौरतलब है कि देश में ऐसी ज्यादातर फैक्टियां शहरों के नजदीक लगाने का चलन है। अगर गांवों को इस मामले में उपेक्षित रखा गया तो वे शायद ही कभी डिजिटल क्रांति का असली स्वाद चख सकेंगे। यही स्थिति डिजिटल (आइटी) क्षेत्र के रोजगारों के मामले में भी है। आइटी और इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद बनाने वाली कंपनियां अपने कारखाने और दफ्तर शहरों में और उनके नजदीकी इलाकों में खोलती रही हैं। गांवों पर उनका कभी फोकस नहीं रहा।
तकनीकी विकास का महाअभियान
अच्छा हो यदि सरकार ग्रामीण बीपीओ जैसे प्रविधान लेकर आए और उनमें ग्रामीणों को नौकरियां मुहैया कराए। रोजगार किसी भी क्षेत्र में लोगों की दिलचस्पी पैदा करने का सबसे अच्छा जरिया है। इसलिए ग्रामीणों को आइटी एवं इलेक्ट्रानिक सामान बनाने वाली कंपनियों में नौकरियां दिलाना सरकार की सबसे अहम चुनौती मानी जा सकती है। यदि टेकेड-रूपी इस अभियान में ग्रामीण इलाके पहले की ही तरह वंचित और उपेक्षित रह गए तो देश के तकनीकी विकास का महाअभियान सार्थक नहीं कहलाएगा।
[संस्था एफआइएस ग्लोबल से संबद्ध]