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जवान गोलियां बरसाते रहे और लोग दम तोड़ते रहे

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा थोपे गए आपातकाल की पीड़ा यूं तो पूरे देश ने झेली, लेकिन सत्ता नगरी दिल्ली में इसका असर कुछ ज्यादा ही महसूस हुआ था। बड़ी संख्या में नेताओं को उत्पीड़ित किया गया। लेकिन तुर्कमान गेट पर झुग्गियों को उजाड़ने और विरोध करने वाले लोगों पर

By anand rajEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2015 09:54 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2015 10:04 AM (IST)
जवान गोलियां बरसाते रहे और लोग दम तोड़ते रहे

नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो)। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा थोपे गए आपातकाल की पीड़ा यूं तो पूरे देश ने झेली, लेकिन सत्ता नगरी दिल्ली में इसका असर कुछ ज्यादा ही महसूस हुआ था। बड़ी संख्या में नेताओं को उत्पीड़ित किया गया। लेकिन तुर्कमान गेट पर झुग्गियों को उजाड़ने और विरोध करने वाले लोगों पर गोलियां बरसाने की घटना बेहद पीड़ादायक है।

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आपातकाल के दौरान जेल में बंद किए गए नेताओं में शामिल रहे दिल्ली के पूर्व महापौर महेश चंद्र शर्मा बताते हैं कि असल में आधिकारिक रूप से भले इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं, लेकिन उनके बेटे संजय गांधी सुपर प्राइममिनिस्टर की तरह सारे अधिकार अपने कब्जे में ले चुके थे। संजय गांधी की शह पर तुर्कमान गेट इलाके में झोपड़ियों को ढहाने की योजना बनी।

डीडीए उपाध्यक्ष जगमोहन, नवीन चावला को लेकर मौके पर पहुंचे। जगमोहन ने कहा कि उपराज्यपाल से आदेश लेना होगा, इस पर नवीन चावला ने कहा कि आदेश वो लाकर देंगे। यहां से हर हाल में झोपड़ियां हटनी चाहिए। हालात ऐसे बने कि अर्ध सैनिक बल के जवान और आम लोग एक दूसरे के आमने-सामने आ खड़े हुए। जवान गोलियां बरसाते रहे और आम लोग दम तोड़ते रहे। करीब 30 हजार से ज्यादा झोपड़ियां हटा दी गईं। लोग बेघर हो गए, जवानों के डर से यहां-वहां पलायन करना पड़ा। इस घटना में सौ से ज्यादा लोगों की जान गई थी।

बकौल शर्मा, वे मंजर कभी भूलने वाले नहीं हैं जब आपातकाल का विरोध करने वाले नेताओं को खोज-खोजकर पुलिस जेलों में बंद कर रही थी। उन दिनों 12 दिन तक मैं इधर-उधर भटकता रहा। इस बीच आठवें दिन पता चला कि घर का सारा सामान कुर्क कर दिया गया है। पत्नी व बेटों की हालत काफी खराब है। सबको थाने में बंद कर दिया गया है। यह सुनकर मैं दिल्ली चला आया। चोरी छिपे परिवार के सदस्यों से निगमबोध घाट पर मिलना होता था।

आइटीओ प्रेस एरिया की बिजली काट दी गई थी

महेश चंद्र बताते हैं कि 25 तारीख को वह लोकनायक जयप्रकाश नारायण को गांधी पीस फाउंडेशन छोड़कर वापस लौट रहे थे तो रास्ते में इंजीनियर जीएम सिंह मिले। उनसे पूछा कि आइटीओ प्रेस एरिया की बिजली खराब हो गई है क्या, इतनी रात को कहां घूम रहे हैं। इसपर उनका जवाब सुन कान खड़े हो गए, उन्होंने कहा कि बिजली गुल नहीं हुई है बल्कि पूरे प्रेस एरिया की बिजली काटी जा रही है। करीब रात दस बजे बिजली काट दी गई। पूरे आइटीओ प्रेस परिसर में हाहाकार मचा हुआ था। इंडियन एक्सप्रेस के डाक एडिशन को छोड़ दें तो एक हिन्दुस्तान टाइम्स अखबार ही छप पाया था।

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