देश को बचाने वाले जवान खुद की समस्याओं से दे रहे जान
वर्ष 2015 में अर्धसैनिक बलों के जवानों की खुदकुशी का आंकड़ा बढ़कर 60 तक हो गया था।
नई दिल्ली, आइएएनएस। देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त रखने की अहम जिम्मेदारी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों पर होती है लेकिन इन्हीं जवानों की निजी जिंदगी का हालात अच्छे नहीं होते। यही वजह है कि इनकी आत्महत्या का आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है। इनकी आत्महत्या की मुख्य वजह आर्थिक तंगी और पारिवारिक विवाद होते हैं। वर्ष 2015 में अर्धसैनिक बलों के जवानों की खुदकुशी का आंकड़ा बढ़कर 60 तक हो गया था।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2015 में हुई जवानों की असामान्य मौतों की वजहों पर गौर करें तो पता चलता है कि 30 जवानों ने पारिवारिक और वैवाहिक कारणों से आत्महत्या की, जबकि 12 ने आर्थिक कारणों या कर्ज में फंसकर मौत को गले लगाया। चार ने अपनी जान जमीन-जायदाद के विवाद में फंसकर दी, जबकि 13 जवानों की खुदकुशी का कारण पता नहीं लग सका। केवल एक जवान ने नौकरी के कारण पैदा अवसाद के कारण जान दी।
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में कुल 9,44,000 जवान हैं। इन बलों में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएस), केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल (सीआरपीएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ), भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (आटीबीपी), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), असम राइफल्स (एआर) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) शामिल हैं। वर्ष 2015 में जिस संगठन के सर्वाधिक जवानों ने आत्महत्या की वह बीएसएफ रहा। उसके कुल 27 जवानों ने आत्महत्या की जबकि सीआइएसएफ के 17 जवानों ने खुदकुशी की। बीएसएफ के पूर्व महानिदेशक डीके पाठक के अनुसार आत्महत्या के लिए घरेलू विवादों को मुख्य कारण पाया गया है। पाया गया है कि जवान जब छुट्टी से लौटकर आता है, ज्यादातर मामलों में उसके दो-तीन महीने बाद ही वह आत्महत्या करता है। बीएसएफ समस्याओं को तलाशने में जुटा हुआ है और उसे अपने जवानों को असामयिक मौतों से बचाने में सफलता भी मिली है।
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