कश्मीर में पत्थर खाने वाले जवानों ने ईद-उल-फितर पर बांटीं मिठाइयां
सेना के जवान अनंतनाग में गली-बाजारों में हाथों में मिठाई लिए लोगों का मुंह मीठा करा ईद की खुशियों में भागीदार बन रहे थे।
श्रीनगर, ब्यूरो। ईद-उल-फितर के मुबारक मौके पर सोमवार को जिस समय दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, बीजबिहाड़ा और कुलगाम में शरारतीतत्व भड़काऊ नारे लगाते हुए सुरक्षाबलों पर पत्थर बरसा रहे थे, उस समय सेना के जवान अनंतनाग में गली-बाजारों में हाथों में मिठाई लिए लोगों का मुंह मीठा करा ईद की खुशियों में भागीदार बन रहे थे।
अनंतनाग में विभिन्न जगहों पर तैनात और गश्त कर रहे सेना के जवान जिस गली-मुहल्ले से गुजर रहे थे, वहीं लोगों को ईद मुबारक बोलते हुए उन्हें मिठाई खिला रहे थे। जवानों को मिठाई बांटते देख कई लोग उन्हें घर आने और चाय पीने की दावत देने लगे। कुछ लोग अपने आसपास खड़े अन्य लोगों को देख जवानों से मिठाई लेने से हिचक भी रहे थे, लेकिन जिनसे वह शरमा रहे थे, जब वह खुद आकर सेना के जवानों से कहने लगे कि भई ईद तो हमारी है। हमारा यहां घर-परिवार है, तुम हमारे घर आकर चाय पीयो तो जो झिझक रहे थे, उन्होंने झट से जवानों के हाथ से मिठाई ली।
खन्नाबल चौक में खड़े जावेद अहमद और रियाज ने कहा कि हमें जब फौजी ने रोका तो हम डर गए, क्योंकि कुछ समय पहले यहां पथराव हो रहा था। हमें लगा कि यह शायद हमें पत्थरबाज समझकर पीटेंगे, लेकिन जब उन्होंने हमें रोकते हुए ईद मुबारक कहा और मिठाई का डिब्बा आगे किया तो खुद पर शर्म आई। मिठाई हमें खिलानी चाहिए थी।
रामनारायण नामक एक जवान ने कहा कि हमारे लिए त्योहार किसी मजहब तक सीमित नहीं है। फौज भी सभी त्योहार मिलकर मनाते हैं। हमारा परिवार हमारा देश ही है। कश्मीर के लेाग भी हमारे ही भाई-बहन हैं तो हम कश्मीरियों के साथ ही ईद की खुशियां सांझी करेंगे। पेशे से अध्यापक सरताज अहमद ने कहा कि ईद है, फौजी को भी पूरा हक है। त्योहार किसी एक मजहब तक सीमित हो सकता है, लेकिन उसकी खुशियां पूरे जहान के लिए होती हैं।
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