मोदी ने उठाया बड़ा कदम, सेना की फायरिंग रेंज इस्तेमाल करेंगी हथियार निर्माता निजी कंपनियां
इन फायरिंग रेंज में निजी कंपनियां छोटे हथियारों के साथ राइफल पिस्टल असाल्ट राइफल एयर डिफेंस गन पम्प एक्शन गन जैसे हथियारों का परिक्षण कर सकेंगी।]
शिवांग माथुर, नई दिल्ली। रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने के इरादे से सरकार ने हथियार बनाने वाली निजी कंपनियों के लिए देश की दो बड़ी सरकारी फायरिंग रेंज को खोल दिया है। जहां ये कंपनिया अपने बनाए हुए हथियारों की टेस्टिंग कर पाएंगी। आर्डनेंस फैक्ट्री पश्चिम बंगाल और राइफल फैक्ट्री तमिलनाडु की फील्ड फायरिंग रेंज को इस काम के लिए चुना गया है।
सरकार ने यह फैसला रक्षा औद्योगिक उत्पादन में निजी क्षेत्र की कंपनियों को बढ़ावा देने के तहत किया है। अब तक सैन्य हथियारों के निमार्ण का कार्य केवल सरकारी कंपनियों द्वारा ही किया जा रहा था, लेकिन सरकार की 'मेक इन इंडिया' पॉलिसी को आगे बढ़ाते हुए इस मामले में नीतिगत बदलाव किया है।
सैन्य तैयारियों और हथियार परिक्षण के लिए बनी ये 50 मीटर से 550 मीटर तक की फायरिंग रेंज लंबे अरसे से सैन्य बलों के काम आती रही है। देश भर में सैन्य बलों के लिए करीबन 60 फायरिंग रेज पहले से मौजूद है, वहीं वर्ष 2018 में ही सरकार ने अलग-अलग जगहों पर 17 नई फायरिंग रेंज बनाने की इजाजत दी थी।
इन सभी फायरिंग रेंज को पूरी तरह से कवर करके बनाया गया है ताकि फायरिंग के दौरान होने वाले हादसों से निजात मिल सके। इन फायरिंग रेंज में कंपनियां छोटे हथियारों के साथ राइफल, पिस्टल, पम्प एक्शन गन जैसे हथियारों का परिक्षण कर सकेंगी। साथ ही ग्रेनेड, असाल्ट राइफल, एयर डिफेंस गन जैसे दूसरे हथियारों का भी परिक्षण किया जा सकेगा।
इसके अलावा भी कई ऐसी रक्षा परियोजनाएं हैं जिनमें पीएम मोदी की पहल पर मेक इन इंडिया को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसके तहत भारत न सिर्फ आयात के विकल्प के उद्देश्य से निर्माण करेगा, बल्कि भारत में निर्मित रक्षा उत्पादों का निर्यात अन्य देशों को करने के लिए भी रक्षा उत्पादन को प्रोत्साहन देगा।