भारतीय नौसेना की बढ़ी ताकत, बेड़े में शामिल हुआ 90 फीसद 'मेड इन इंडिया' INS कवरत्ती
आईएनएस कवरत्ती का नाम 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तानी गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले युद्ध में अपने अभियानों के जरिये अहम भूमिका निभाने वाले युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती के नाम पर मिला है। भूतपूर्व आईएनएस कावारत्ती अरनल क्लास मिसाइल युद्धपोत था।
नई दिल्ली, एएनआइ। चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच भारत अपनी सैन्य क्षमता में इजाफा करने में लगा हुआ है। इसी कड़ी में भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवने विशाखापट्टनम में स्वदेशी निर्मित एंटी-सबमरीन युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती (INS Kavaratti) को नौसेना में शामिल किया। इस की खासियत है कि यह रडार की पकड़ में नहीं आता। कवरत्ती के बेड़े में शामिल होने से नौसेना की ताकत में और भी अधिक इजाफा होगा। प्रोजेक्ट 28 के तहत निर्मित चार स्वदेशी युद्धपोत में से यह अंतिम है।
आईएनएस करवत्ती को भारतीय नौसेना के संगठन डायरेक्टॉरेट ऑफ नेवल डीजाइन (डीएनडी) ने डिजाइन किया है। इससे पहले नौसेना को ऐसे ही तीन युद्धपोत आईएनएस कमोर्ता, आईएनएस कदमत और आईएनएस किलतानसौंपे जा चुके हैं। इस मौके पर सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने ने कहा कि INS Kavaratti का कमीशन हमारे देश के समुद्री सिमाओं की सुरक्षा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
#WATCH Andhra Pradesh: Anti-Submarine Warfare Corvette “INS Kavaratti” commissioned into Indian Navy by Indian Army Chief General Manoj Mukund Naravane at Naval Dockyard, Visakhapatnam. pic.twitter.com/1B9jJdD0K4— ANI (@ANI) October 22, 2020
कवारत्ती को स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस किया गया है जिसमें एक मध्यम श्रेणी की बंदूक, टारपीडो ट्यूब लांचर, रॉकेट लांचर और एक करीबी हथियार प्रणाली शामिल है। नौसेना अधिकारियों ने बताया कि आईएनएस कवरत्ती में अत्याधुनिक हथियार प्रणाली है और ऐसे सेंसर लगे हैं जो पनडुब्बियों का पता लगाने और उनका पीछा करने में सक्षम हैं। इस युद्धपोत में इस्तेमाल की गई 90 फीसद चीजें स्वदेशी हैं।
क्यों पड़ा ये नाम
आईएनएस कवरत्ती का नाम 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तानी गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले युद्ध में अपने अभियानों के जरिये अहम भूमिका निभाने वाले युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती के नाम पर मिला है। भूतपूर्व आईएनएस कावारत्ती अरनल क्लास मिसाइल युद्धपोत था।