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सेना प्रमुख बोले, अनिश्चितताओं को दूर करने की जरूरत, सीमा सुरक्षा के लिए IBG तैयार

थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने (Army Chief Gen Manoj Mukund Naravane) ने कहा है कि उचित समय सीमा के भीतर आईबीजी की तैनाती शुरू कर दी जाएगी...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 10 May 2020 06:09 PM (IST)Updated: Mon, 11 May 2020 03:09 AM (IST)
सेना प्रमुख बोले, अनिश्चितताओं को दूर करने की जरूरत, सीमा सुरक्षा के लिए IBG तैयार
सेना प्रमुख बोले, अनिश्चितताओं को दूर करने की जरूरत, सीमा सुरक्षा के लिए IBG तैयार

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने (Army Chief Gen Manoj Mukund Naravane) ने रविवार को राष्‍ट्रीय सुरक्षा को और व्‍यापक बनाने की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि भारतीय सशस्त्र बल सुरक्षा प्रहरी के तौर पर देश की प्रतिष्ठा को मजबूती देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम उचित समय सीमा के भीतर ही पाकिस्‍तान चीन सीमा पर आईबीजी की तैनाती शुरू कर देंगे। उन्‍होंने कहा कि वक्‍त आ गया है कि भूभाग में रणनीतिक अनिश्चितताओं को दूर करने के लिए सरकार के स्‍तर पर व्‍यापक (whole-of-government approach) एप्रोच अपनाई जाए... हालांकि सेना प्रमुख ने यह साफ नहीं किया कि उन्‍होंने यह बात किस पृष्‍ठभूमि में कही है। 

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पूरे सरकारी तंत्र को साथ आना होगा

नरवाने ने कहा है कि देश के समक्ष उभरती नई चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरे सरकारी तंत्र को साथ आना होगा। अब समय आ गया है कि सरकार के सभी मंत्रालय, प्रशासनिक अमला और एजेंसियां महामारी जैसी गैर पारंपरिक चुनौतियों से निपटने के लिए साझा प्रयास करें। देश के राष्ट्रीय सुरक्षा के सिद्धांत को भी व्यापक बनाए जाने की जरूरत है। सेना प्रमुख ने कहा कि देश के अड़ोस-पड़ोस में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। ऐसे में यह जरूरी है कि होल-ऑफ-गवर्नमेंट एप्रोच अपनाया जाए यानी सरकार के सभी अंग साथ मिलकर इनका सामना करें। 

सशस्त्र सेनाएं प्रतिबद्ध 

सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने (Army Chief Gen Manoj Mukund Naravane) ने यह भी कहा कि सशस्त्र सेनाएं भारत की छवि क्षेत्र में एक सुरक्षा प्रदान करने वाले देश के रूप में बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, उन्होंने राजनीतिक अस्थिरता के बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा। लेकिन उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान समर्थित तालिबान अफगानिस्तान में सात्त पर कब्जा करने की कोशिशों में जुटा है और चीन श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार और मालदीव जैसे देशों के साथ सैन्य संबंधों को विस्तार देने का सतत प्रयास कर रहा है।

अफगानिस्तान को लेकर भारत चिंतित

अमेरिका अफगानिस्तान से अपनी सेना निकालने में लगा है। इसके लिए उसने तालिबान के साथ समझौता भी किया है। जाहिर है अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान का दखल बढ़ेगा, जिसको लेकर भारत भी चिंतित है। इसको लेकर तो सेना प्रमुख ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि हमारी सशस्त्र सेनाएं सुरक्षा को समग्र अवधारणा के रूप में लेती हैं और अपनी निहित शक्तियों और क्षमताओं के साथ क्षेत्र में भारत की छवि सुरक्षा प्रदान करने वाले देश के रूप में स्थापित करेंगी।

एलएसी पर सुरक्षा में ढिलाई नहीं

सेना प्रमुख ने कहा कि भारत के सामने जो पारंपरिक खतरे हैं उससे निपटने में हमारी सशस्त्र सेनाएं पूरी तरह से सक्षम और तैयार हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि कोरोना महामारी के चलते चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की सुरक्षा में किसी तरह की कमी नहीं आई है। एलएसी दोनों देशों के बीच की सीमा रेखा है। एलएसी पर पहले की तरह की गश्त हो रही है। ये जरूर है कि दोनों देशों के सैन्य अफसरों के बीच होने वाली पारंपरिक बैठकों को अभी रोक दिया गया है।

होल-ऑफ गवर्नमेंट एप्रोच

सेना प्रमुख ने एक नए नजरिये की जरूरत पर जोर देने के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल किया उनका आशय सरकार के सभी अंगों के साथ आने से है। प्राय: इसका इस्तेमाल सरकारी नीतियों के संदर्भ में किया जाता है। यह काम करने के एक तरीके को प्रतिबिंबित करता है, जिसके तहत किसी विशेष समस्या या मुद्दों का समाधान निकालने के लिए सरकारी तंत्र साझा प्लेटफार्म पर संयुक्त रूप से काम करता है। इसका मकसद यह भी है कि ऐसे मामलों से निपटने में किसी तरह की विभागीय अड़चन न आने पाए और साझा रणनीति कायम हो।

कोरोना के कारण आईबीजी की तैनाती में देरी 

मालूम हो कि कोरोना महामारी के आने से पहले भारतीय सेना ने एक बहुत बड़ी रणनीति बनाई थी। खास तौर पर चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर भारतीय सेना ने अपनी युद्धक क्षमता में आमूल-चूल सुधार के तहत थल सेना, ऑर्टिलरी, हवाई रक्षा (air defence), टैंकों एवं दूसरी इकाइयों को मिलाकर इंटिग्रे‍टेड बैटिल ग्रुप यानी आईबीजी (Integrated Battle Groups, IBGs) के गठन की योजना बनाई थी। सेना प्रमुख ने इस मसले पर स्‍वीकार किया कि कोरोना के कारण और महत्वपूर्ण संसाधनों में रोक की वजह से आईबीजी की तैनाती में देरी हुई है। 

पाकिस्‍तान चीन सीमा पर जल्‍द होगी तैनाती 

हालांकि, सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि यकीन मानिए हम उचित समय सीमा के भीतर ही आईबीजी की तैनाती शुरू कर देंगे। उन्‍होंने बताया कि इस मसले पर जमीनी कार्य पूरा हो गया है और महामारी शुरू होने से पहले आईबीजी की तैनाती को लेकर परीक्षण भी पूरा हो चुका है। सेना प्रमुख ने कहा कि कोरोना के चलते रक्षा उत्पादन और अधिग्रहण की प्रक्रियाओं में कुछ बाधा पैदा हो सकती है लेकिन इसे अस्‍थाई ही मानिये... यानी सेना प्रमुख ने साफ कर दिया है कि चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर आईबीजी तैनाती अब दूर नहीं है। 

सैन्‍य खरीद पर अस्‍थाई असर 

आईबीजी की तैनाती से युद्ध की स्थिति में दुश्‍मन पर तुरंत हमला करने में मदद मिलेगी। निर्धारित परिकल्‍पना के मुताबिक, आईबीजी की कमान एक मेजर जनरल संभालेंगे जिसमें करीब पांच हजार सैनिक होंगे। आईबीजी को क्षेत्र की भौगोलिक संरचना और दुश्‍मन से संभावित खतरे से निपटने के लिए स्‍पेशल ऑपरेशनों के लिहाज से तैयार किया जाएगा। क्‍या महामारी के कारण सेना की सैन्य खरीद प्रभावित होगी। इसके जवाब में जनरल नरवाने ने कहा कि सैन्‍य साजो सामान की खरीद पर कुछ असर पड़ सकता है लेकिन यह अस्‍थाई होगा। 

चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बीच बड़े संकेत 

ऐसे में भारत-चीन सीमा से लगने वाले सिक्किम सेक्टर के नाकू ला के पास भारत और चीन के सैनिकों के बीच तीखी झड़प की खबरें सामने आई हैं... सेना प्रमुख का यह बयान बड़े संकेत देता है। सूत्रों की मानें तो उक्‍त झड़प में कई सैनिकों को मामूली चोटें भी आई हैं। हालांकि इस तरह की घटना काफी समय बाद हुई है। सनद रहे अगस्त 2017 में लद्दाख में पेंगोंग झील में भ्‍ज्ञी इस तरह की झड़प हो गई थी। यही नहीं भारत और चीन के सैनिकों के बीच साल 2017 में ही डोकलाम में सड़क निर्माण को लेकर 73 दिन तक गतिरोध चला था जिससे दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका भी पैदा हो गई थी।


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