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'सेना में समलैंगिक रिश्तों को इजाजत नहीं, निपटने के लिए हैं पर्याप्त कानून'

Army Chief General Bipin Rawat, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि आतंकवाद और वार्ता एक साथ संभव नहीं है और तालिबान मामले की कश्मीर से तुलना नहीं की जा सकती है। सीमापार से 300 आतंकी घुसैपठ के लिए बैठे। उन्होंने कहा, समलैंगिक रिश्तों को सेना में इजाजत नहीं।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 12:49 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 03:01 PM (IST)
'सेना में समलैंगिक रिश्तों को इजाजत नहीं, निपटने के लिए हैं पर्याप्त कानून'
'सेना में समलैंगिक रिश्तों को इजाजत नहीं, निपटने के लिए हैं पर्याप्त कानून'

नई दिल्ली, एएनआइ। जम्मू-कश्मीर में सीमापार से करीब 300 आतंकी घुसपैठ के लिए बैठे हैं। सेना प्रमुख बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने इसकी जानकारी देते हुए पाकिस्तान (Pakistan) को चेतावनी दी है। उन्होंने पाकिस्तान को सख्त हिदायत देते हुए कहा है कि  आतंकवाद और वार्ता दोनों एक साथ नहीं हो सकती है, इसलिए बंदूकों को छोड़ो और हिंसा बंद करो। 

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कश्मीर से नहीं की जा सकती तालिबान की तुलना 
यह बात जनरल रावत ने राजधानी दिल्ली में आयोजित सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही। जहां कश्मीर मसले (Kashmir Conflict) पर बड़ा बयान देते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद और बातचीत एक-साथ संभव नहीं है। रावत ने कहा कि तालिबान मामले की तुलना जम्मू-कश्मीर से बिल्कुल नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हमारी शर्तों पर ही बातचीत होगी। 

वार्ता और आतंकवाद साथ संभव नहीं
जनरल रावत ने कहा कि बातचीत और आतंक एक साथ नहीं चल सकता। यह जम्मू-कश्मीर पर भी लागू होता है।  जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर बात करते हुए जनरल रावत ने कहा कि कश्मीर में स्थिति और और सुधारने की जरूरत है। शांति के लिए हम केवल वहां माध्यम है।'

कश्मीर मसले पर तीसरे पक्ष के लिए जगह नहीं 
इस बीच सेना प्रमुख ने कश्मीर मुद्दे पर किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप से साफ इन्कार किया है। रावत ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर दो देशों के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है। इसमें तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के लिए कोई जगह नहीं है। हमें अपने नियमों और शर्तों पर बात करनी हैं। हमारे नियम और शर्तें बहुत स्पष्ट हैं। बातचीत की मेज पर आएं और वार्ता करें, लेकिन बंदूक और हिंसा को छोड़ना होगा।'

नागरिक और आतंकी को पहचानना मुश्किल
कश्मीर में स्थानीय लोगों पर हुई हिंसा पर पूछे गए सवाल पर जनरल रावत ने कहा, 'भारतीय सेना जानबूझकर किसी नागरिक को लक्षित नहीं करती है, लेकिन हम जानते हैं कि उसी धरती पर उन्हीं लोगों के बीच कुछ आतंकी भी सक्रिय हैं, जो सीमा पार करने का प्रयास करते हैं। इसलिए किसी नागरिक और आतंकवादी को पहचानना बहुत मुश्किल हो जाता है।'

वहीं, सीमा सुरक्षा पर बात करते हुए रावत ने कहा कि हमने चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर बेहतर तरीके से स्थिति को संभाला है। 

तालिबान से बातचीत के मुद्दे पर कहा 
इस बीच तालिबान (Taliban) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'अगर कई देश तालिबान से बात कर रहे हैं और भारत की अफगानिस्तान में रुचि है, तो हमें भी इसमें शामिल होना चाहिए।'

सेना में समलैंगिक रिश्तों को इजाजत नहीं
इस बीच सेना प्रमुख ने यह भी साफ कर दिया कि 'सेना में समलैंगिक रिश्तों को इजाजत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि समलैंगिक यौन संबंध के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सेना में लागू नहीं किया जा सकता है। उन्होंन कहा कि इससे निपटने के लिए पर्याप्त कानून हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सेना कानून के ऊपर नहीं है। रावत ने कहा, 'हम सेना में ऐसा नहीं होने देंगे।'


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