सेना मना रही इन्फैंट्री डे, जानिए- इसका पाकिस्तान से क्या है कनेक्शन
कबायलियों की एक फौज ने 24 अक्टूबर, 1947 को तड़के सुबह हमला कर दिया। हरि संह ने भारत से मदद की अपील की।
नई दिल्ली, जेएनएन। आज पूरे देश में इन्फैंट्री डे (पैदल सेना दिवस) मनाया जा रहा है हैं। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। पैदल सेना भारतीय सशस्त्र बलों का एक अहम अंग है। ये किसी देश की सेना के वे आक्रामक सैनिक हैं, जिन्हें युद्ध के मैदान में दुश्मन के खिलाफ पैदल और आमने-सामने लड़ने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है। देश की सुरक्षा में पैदल सेना का अहम योगदान है। इसके योगदानों और गौरवशाली इतिहास को 27 अक्टूबर का दिन समर्पित किया गया और हर साल इस दिन पैदल सेना दिवस या इन्फैंट्री डे मनाते हैं।
वर्ष 1947 में देश की आजादी के कुछ महीने हुए थे। तीन देशी रियासतों ने भारत में विलय से इनकार कर दिया था। इन रियासतों में जम्मू-कश्मीर भी शामिल थी। उस समय जम्मू-कश्मीर के शासक राजा हरि सिंह थे। कश्मीर में मुस्लिमों की बड़ी आबादी थी, जिसकी वजह से जिन्ना की उस पर नजर थी और वह कश्मीर का पाकिस्तान में विलय करना चाहता था, लेकिन राजा हरि सिंह ने इससे साफ इनकार कर दिया। हरि सिंह के इस फैसले से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा और उसने कश्मीर को जबरन हड़पने की योजना बनाई। पाकिस्तान ने कबायली पठानों को कश्मीर में घुसपैठ के लिए तैयार किया।
कबायलियों की एक फौज ने 24 अक्टूबर, 1947 को तड़के सुबह हमला कर दिया। हरि संह ने भारत से मदद की अपील की। महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तुरंत बाद भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन से एक पैदल सेना के दस्ते को हवाई जहाज से दिल्ली से श्रीनगर भेजा गया। इन पैदल सैनिकों के जिम्मे पाकिस्तानी सेना के समर्थन से कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आक्रमणकारी कबायलियों से लड़ना और कश्मीर को उनसे मुक्त कराना था। स्वतंत्र भारत के इतिहास में आक्रमणकारियों के खिलाफ यह पहल सैन्य अभियान था।
हमलावर कबायलियों की संख्या करीब 5000 थी, जिन्हें पाकिस्तान का पूरा समर्थन मिला हुआ था। कबायलियों ने एबटाबाद से कश्मीर घाटी पर हमला किया था। भारतीय पैदल सैनिकों ने अपने अदम्य साहस और त्याग का परिचय दिया और कश्मीर को कबायलियों के चंगुल से 27 अक्टूबर, 2018 को मुक्त करा लिया कश्मीर से पाकिस्तानी घुसपैठिए मार भगाए। चूंकि इस पूरे सैन्य अभियान में सिर्फ पैदल सेना का ही योगदान था। शौर्य की ऐसी गाथा रची कि इसे क्वीन ऑफ बैटल कहा गया और इन्फैंट्री डे की परंपरा शुरू हुई। तभी से हर साल 27 अक्टूबर को पैदनल सेना दिवस मनाया जाने लगा।
क्यों कहा जाता है 'क्वीन ऑफ द बैटल'
पैदल सेना को 'क्वीन ऑफ द बैटल' यानी 'युद्ध की रानी' कहा जाता है, क्योंकि यह भारतीय थल सेना की रीढ़ की हड्डी के समान है। किसी भी युद्ध में पैदल सैनिकों की बड़ी भूमिका होती है। शारीरिक चुस्ती-फुर्ती, अनुशासन, संयम और कर्मठता पैदल सैनिकों के बुनियादी गुण हैं। जंगल, पहाड़ और नदियों तक सेना का जवान अपने सीने में जोश और मुख पर हंसी लिए हुए देश की रक्षा के लिए जुटा रहता है। इंफेंट्री बटालियन दूसरे देशों में भी शांति सेना के रूप में नए कीर्तिमान बना रही है।