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सेना प्रमुख बिपिन रावत बोले, हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में होना ठीक नहीं, लेकिन बदल रही सूरत

DRDO Conference सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने मंगलवार को कहा कि शस्त्रों और अन्य प्रणालियों का विकास भविष्य के युद्धों को दिमाग में रखकर होना चाहिए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 09:19 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 12:04 AM (IST)
सेना प्रमुख बिपिन रावत बोले, हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में होना ठीक नहीं, लेकिन बदल रही सूरत
सेना प्रमुख बिपिन रावत बोले, हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में होना ठीक नहीं, लेकिन बदल रही सूरत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली।  DRDO Conference : सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि 'भारत हथियारों और गोला-बारूद के सबसे बड़े आयातकों में से एक है और आजादी के 70 साल बाद भी ऐसा कहना कोई गौरव की बात नहीं है। लेकिन पिछले कुछ सालों में यह स्थिति बदल रही है। डीआरडीओ सेनाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रयासरत है जो स्वदेशी समाधानों से निकली हों।

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उन्होंने सशस्त्र बलों में स्वदेशी प्रौद्योगिकी को व्यापक रूप से शामिल करने की वकालत करते हुए कहा कि भारत अगला युद्ध देश में ही विकसित हथियार प्रणालियों और उपकरणों के साथ लड़ेगा और जीतेगा। सुरक्षा चुनौतियों और चिंताओं के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोभाल ने भी मजबूत और सुरक्षित भारत के लिए तकनीक पर जोर देने की सलाह दी। उन्होंने याद दिलाया कि तकनीक के मामले में हम हमेशा उपविजेता रहे हैं और उपविजेताओं के लिए कोई इनाम नहीं होता।

41वां डीआरडीओ सम्मेलन

दो दिवसीय 41वें डीआरडीओ सम्मेलन को संबोधित करते हुए जनरल रावत ने भविष्य के युद्धों पर बात करते हुए कहा, यह जरूरी नहीं कि आगे के युद्ध आमने-सामने लड़े जाएं। हमें साइबर क्षेत्र, अंतरिक्ष, लेजर, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और रोबोटिक्स के विकास के साथ-साथ कृत्रिम बुद्धिमता (एआइ) की ओर भी देखना होगा।' रावत ने चेतावनी भरे स्वर में कहा, 'अगर हम इस बारे में नहीं सोचेंगे तो बहुत देर हो जाएगी।।

अजीत डोभाल ने कहा कि रक्षा सेवाओं और खुफिया एजेंसियों को यह समीक्षा करनी होगी कि हमारे लिए मौजूदा वक्त में क्या चीजें जरूरी हैं जो हमें दुश्मनों पर बढ़त दिला सकती हैं। 

विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मेलन में मौजूद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जहां दुनिया को बदलने वाली विनाशकारी तकनीकों के पहलुओं पर जोर देते हुए कहा, 'भारत को इसमें नेतृत्व की भूमिका में उभरना होगा।' वहीं, उन्होंने देश को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी प्रणाली पर काम करने की वकालत भी की।


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