सिनौली गांव के हर घर के नीचे दफन हैं रहस्य, एएसआइ के लिए बना खास
यहां सिर्फ खेतों में ही दुर्लभ पुरावशेष दफन नहीं हैं, बल्कि गांव की गलियों और मोहल्लों में स्थित घर-घर के नीचे प्राचीन भारत का इतिहास बाहर आने को बेचैन है।
बागपत [जागरण संवाददाता]। खुदाई में धरती के नीचे से प्राचीन भारत के रथ और ताबूत मिलने के बाद पुरातात्विक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण हो चुकी सिनौली साइट इतिहास के उस नए अध्याय से पर्दा हटा रही है, जो अब तक रहस्य ही था। यहां सिर्फ खेतों में ही दुर्लभ पुरावशेष दफन नहीं हैं, बल्कि गांव की गलियों और मोहल्लों में स्थित घर-घर के नीचे प्राचीन भारत का इतिहास बाहर आने को बेचैन है।
टीम ने लगभग 15 फुट खोदाई की
इस पर मुहर लगाते हुए सिनौली के सुनील पालीवाल बताते हैं कि फरवरी में एएसआइ के अधिकारियों ने उनसे कहा था कि गांव में ऐसा स्थान बताओ जो सबसे ऊंचा हो। वह एएसआइ के अधिकारियों को अपने बैठक में ले गए। वहां पर एएसआइ की टीम ने लगभग 15-16 फुट खोदाई की तो जमीन से नर कंकाल, तांबे के दो कड़े, मिट्टी के बर्तन, बड़े मटके, खंडहरनुमा रसोई निकली। यह देख एएसआइ की टीम सोचने पर मजबूर हो गई। उसके बाद खोदाई बंद कर दी गई।
सिनौली गांव दुनिया भर की सुर्खियां बटोर रहा
गांव के लोग दावा करते हैं कि गांव में जहां भी खोदाई होगी, वहां से रहस्य अवश्य उजागर होगा। घर-घेर ही नहीं, बल्कि कब्रिस्तान तक के नीचे अवशेष होने की बात भी सामने आ रही है। कई बार ऐसा भी हुआ है कि मकान की नींव की खोदाई करते समय भी मिट्टी के बर्तन आदि निकले हैं। यही कारण है कि बड़ौत-छपरौली मार्ग पर स्थित लगभग 18 हजार आबादी वाला सिनौली आज दुनिया भर की मीडिया की सुर्खियां बटोर रहा है।
पुरातात्विक दृष्टि से हमारा गांव धनी
गांव की प्रधान उषा देवी ने बताया कि यह तो एएसआइ के शोध के बाद पता चलेगा कि सिनौली के नीचे कौन से काल का इतिहास दफन है, लेकिन इतना तय हो गया है कि पुरातात्विक दृष्टि से हमारा गांव बहुत धनी है। जहां खोदाई करोगे, वहां कुछ न कुछ अवश्य मिलेगा। इसलिए सरकार सिनौली को पर्यटन गांव के रूप में विकसित करना चाहिए, जिससे लोग सिनौली को एक बार देखने आए।
निकल चुकी हैं मूर्तियां
खोदाई स्थल से चंद कदम दूरी पर चामुंडा देवी का मंदिर है। पुजारी सुरेंद्र शर्मा और पूरण ङ्क्षसह बताते हैं कि पुराने समय में यहीं जमीन के नीचे से शाकुंभरी और चामुंडा देवी की मूर्ति निकली थी, जिसके बाद मंदिर का निर्माण कराया गया था। खोदाई में निकल रहे अवशेष और मूर्तियों का भी संबंध हो सकता है। कई बार मंदिर का भवन जर्जर हुआ और कई बार मंदिर का जीर्णोद्वार कराया गया। गांव में शिव मंदिर भी है। गांव के ही पाली और भोपाल बताते हैं कि शवाधान मिलने के 14 साल बाद रथ, ताबूत और हथियार मिलने के बाद यह बात सच हो चुकी है कि आने वाले समय में सिनौली दुनिया के सामने नया इतिहास लेकर सामने आएगा। सिनौली के नीचे कितने ही रहस्य छिपे हुए हैं, जिन्हें समय के साथ उजागर करने की जरूरत है।
पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है सिनौली गांव
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान के निदेशक डा. संजय मंजुल बताते हैं कि सिनौली गांव में खेतों में ही नहीं, बल्कि गांव के गली-मोहल्लों में भी जमीन के नीचे पुरावशेष दफन हैं। कई माह पहले गांव में एक स्थान पर खोदाई की गई थी तो वहां से अवशेष निकले थे। इससे तय हो गया कि सिनौली के खेत ही नहीं, बल्कि गांव भी पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
-डा. संजय मंजुल, निदेशक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान