चुनाव आयुक्तों के हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार
दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता ने अदालत में दायर की याचिका, कहा- आयोग के पास हो उच्चतम न्यायालय जैसे अधिकार..
नई दिल्ली, प्रेट्र: चुनाव आयुक्त को पद से हटाने के लिए उसी तरह की प्रक्रिया का सहारा लिया जाए जैसी मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए अमल में लाई जाती है। एक याचिका दायर करके मांग की गई है कि चुनाव आयोग को न केवल स्वतंत्र संस्था माना जाए बल्कि उसके पास उच्चतम न्यायालय जैसे अधिकार हो।
सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपील की है कि मौजूदा समय में चुनाव आयोग के पास जो शक्तियां हैं उनमें वह सरकार पर पूरी तरह से निर्भर है। कई मामलों में वह केवल सलाह दे सकता है जबकि उसके पास कानून बनाने की शक्तियां होनी चाहिए। याचिका में ये भी कहा गया है कि आयोग को एक स्वतंत्र सचिवालय उपलब्ध कराया जाना चाहिए। उसे जो पैसा मिले वह भारत के समेकित फंड से दिया जाना चाहिए। उसके पास चुनाव से संबंधित कानून व आचार संहिता के निर्धारण का अधिकार होना बेहद जरूरी बताया गया है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग की स्थापना 1950 में हुई थी। इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो आयुक्त होते हैं। सभी का कार्यकाल छह साल का होता है लेकिन आयु सीमा 65 साल की निर्धारित की गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त को पद से तभी हटाया जा सकता है जब संसद में महाभियोग लाया जाए, अलबत्ता आयुक्तों को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश पर ही हटाया जा सकता है। हालांकि आयोग के तीनों सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट के जज जैसी सुविधाएं दी जाती हैं पर अधिकार के मामले में उसकी भूमिका केवल सलाहकार जैसी होती है। उपाध्याय ने अपील की है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को आदेश देकर नई व्यवस्था लागू कराए। याचिका में कहा गया है कि इससे आयोग को स्वायत्ता मिल सकेगी।
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