'प्रेस की आजादी और पीड़ितों के अधिकार में संतुलन की जरूरत'
महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की सुनवाई के दौरान SC को बताया गया कि प्रेस की आजादी, पीड़िता की निष्पक्ष सुनवाई के बीच एक संतुलन बनाने की जरूरत है।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि प्रेस की आजादी और पीड़िता की निष्पक्ष सुनवाई के बीच एक संतुलन बनाने की जरूरत है। जस्टिस मदन बी. लोकुर, एस. अब्दुल नजीर और दीपक गुप्ता की खंडपीठ में बुधवार को अदालत की न्यायमित्र व वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि जिन मामलों की सुनवाई चल रही होती है, उसमें मीडिया समानांतर सुनवाई करती है।
जयसिंह ने कहा कि अदालत को महिला के खिलाफ आपराधिक मामले की रिपोर्टिंग में मीडिया के लिए गाइडलाइंस तैयार करनी चाहिए। जयसिंह ने यह भी दावा किया कि अदालत में आरोपपत्र दायर करने से पहले ही पुलिस मीडिया को जानकारी लीक कर देती है। यह न्यायिक प्रशासन के काम में दखलंदाजी है।
उन्होंने कठुआ सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड का उदाहरण देकर कहा कि आरोपपत्र दायर होने से पहले ही मीडिया ने घोषणा कर दिया कि कुछ आरोपित निर्दोष हैं। इसके जवाब में अतिरिक्त सालिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने केंद्र की तरफ से पेश होते हुए कहा कि उन्हें इसके जवाब के लिए कुछ समय चाहिए। इसके बाद खंडपीठ ने 11 सितंबर तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी।