एंटी टेररिज्म डे: 12 बड़ी आतंकी घटनाएं, जिनसे हिल गया हिन्दुस्तान
21 मई को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि मनाई जाती है। इस दिन को आतंकवाद रोधी दिवस (एंटी टेररिज्म डे) के रूप में भी मनाया जाता है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। 21 मई को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि मनाई जाती है। इस दिन को आतंकवाद रोधी दिवस (एंटी टेररिज्म डे) के रूप में भी मनाया जाता है। 21 मई 1991 को लिट्टे आतंकवादियों ने राजीव गांधी की हत्या की थी।
इस दिन को मनाने का प्रमुख उद्देश्य देश में एकता, शांति, भाईचारा और समन्वय को बनाए रखना है। भारत लंबे समय से आतंकवाद से पीड़ित है। पड़ोसी देशों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय और भारत की जमीन पर ही पनपे आतंकी गुटों ने देश में खूब खून बहाया है।
इस अवसर पर एक नजर हाल के वर्षों में भारत में हुई बड़ी आतंकी घटनाओं पर...
1. 26/11 मुंबई हमला
समुद्र के रास्ते पाकिस्तान से आए 10 आत्मघाती आतंकवादियों ने 26 नवंबर 2011 देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर हमला किया। आतंकियों ने कामा अस्पताल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ओबराय ट्राइडेंट होटल, ताज महल होटल, लियोपोल्ड कैफे, नरीमन हाउस और मेट्रो सिनेमा में कत्ल-ए-आम मचाया। आतंकी घटना में 166 लोग मारे गए, जबकि 293 देशी-विदेशी नागरिक घायल हुए। पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के भेजे 9 आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया, जबकि एक आतंकी अजमल आमिर कसाब जिंदा पकड़ा गया। कसाब को लंबी चली सुनवाई के बाद दोषी पाए जाने और राष्ट्रपति से भी माफी नहीं मिलने पर फांसी दी गई।
2. 1993 मुंबई धमाके
12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए सिलसिलेवार धमाके भारत में सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक थे। इन धमाकों से मुंबई ही नहीं पूरा देश हिल गया था। यह धमाके अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और इसकी डी-कंपनी ने कराए। यह धमाके माहिम में मछुआरों की कॉलोनी, जावेरी बाजार, प्लाजा सिनेमा, सेंचुरी बाजार, कथा बाजार, सी रॉक होटल, सहार एयरपोर्ट, एयर इंडिया बिल्डिंग, जूहू सेंटूर होटल, वर्ली, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज बिल्डिंग और पासपोर्ट दफ्तर में हुए। कहा जाता है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने इसमें अहम भूमिका निभायी और कई पाकिस्तानी व भारतीय तस्करों ने इसके लिए रुपये उपलब्ध कराए थे। इन धमाकों में 257 लोग काल के गाल में समा गए, जबकि 713 लोगों को चोटें आईं।
3. 2002 अक्षरधाम मंदिर हमला, अहमदाबाद
गुजरात के सबसे बड़े शहरों में से एक अहमदाबाद स्थित अक्षरधाम मंदिर में 24 सितंबर 2002 को आतंकियों ने अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दिया। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकी मुर्तजा हाफिज यासिन व अशरफ अली मोहम्मद फारूक दोपहर करीब तीन बजे स्वचालित हथियारों और हैंड ग्रेनेड के साथ मंदिर परिसर में घुसे। यहां उन्होंने निर्दोष महिलाओं, बच्चों और पुरुषों पर अंधाधुंध गोली चलाना शुरू कर दिया। रात तक एनएसजी कमांडो ने इन दोनों आतंकियों को मार गिराया। इस आतंकी कृत्य में 31 लोगों की मौत हुई, जबकि 80 घायल हो गए।
4. 2005 दिल्ली सीरियल बम ब्लास्ट
दिवाली से सिर्फ दो दिन पहले 29 अक्टूबर 2005 को धनतेरस के दिन आतंकियों ने सिलसिलेवार धमाके कर राजधानी दिल्ली को दहला दिया। पाकिस्तानी आतंकी संगठन इस्लामिक रेवोल्यूशनरी फ्रंट ने दिल्ली में तीन धमाके किए। इनमें से दो धमाके तो सरोजनी नगर और पहाड़गंज के मुख्य बाजारों में हुए, जबकि तीसरा धमाका गोविंदपुरी इलाके में एक बस में हुआ। इन धमाकों में 63 लोगों की असामयिक मौत हुई, जबकि 210 लोगों को चोटें आईं।
5. 2006 मुंबई ट्रेन धमाके
मुंबई की लाइफलाइन कही जानी वाली लोकल ट्रेन में 11 जुलाई 2006 को सिलसिलेवार ढंग से 7 बम धमाके हुए। सभी बम प्रेसर कुकर के अंदर फर्स्ट क्लास कोच में रखे गए थे। सभी बम उपनगरीय रेलवे स्टेशनों के पास फटे, जिनमें माटुंगा रोड, माहिम, बांद्रा, खार रोड, जोगेश्वरी, भयंदर और बोरीवली स्टेशन शामिल थे। इन धमाकों में 210 लोग मारे गए, जबकि 715 यात्रियों को चोटें आईं। कई दौर की जांच के बाद पाया गया कि इन धमाकों के लिए इंडियन मुजाहिद्दीन नामक आतंकी संगठन जिम्मेदार था।
6. 2008 जयपुर धमाके
गुलाबी शहर नाम से मशहूर जयपुर को आतंकवादियों ने 13 मई 2008 को खून से लाल करने की साजिश रची। सिर्फ 15 मिनट के अंदर शहर में 9 सिलसिलेवार बम धामके हुए, जबकि सुरक्षा एजेंसियों को 10 बम को डिफ्यूज करने में सफलता मिली। बम 6 अलग-अलग जगहों- बड़ी चौपार, मनक चौक पुलिस स्टेशन इलाका, जौहरी बाजार, त्रिपोली बाजार, छोटी चौपार और कोतवाली इलाके में रखे गए थे। इन धमाकों में 63 लोगों की जान गई, जबकि 210 लोग घायल हो गए। जयपुर में इससे पहले कभी कोई आतंकी हमला नहीं हुआ था, 9 में से एक धमाका तो शहर के मशहूर हवा महल महल के पास हुआ।
7. 2008 असम धमाके
असम में 30 अक्टूबर 2008 को अलग-अलग इलाकों में 18 बम धमाके हुए। राजधानी गुवाहाटी के अलावा बारपेटा रोड, बोंगाईगांव और कोकराझार में यह धमाके हुए। ज्यादातर बम धमाके मुख्य बाजारों के आसपास ऐसे वक्त पर हुए, जब उनमें सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। इन धमाकों में 81 लोगों की मौत हुई, जबकि 470 लोग घायल हुए थे। इन धमाकों की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली, लेकिन इनमें एनडीएफबी का हाथ होने की सबूत मिले थे।
8. 2001 संसद भवन हमला
13 दिसंबर 2001 को दिल्ली स्थित संसद भवन पर हमले में 6 पुलिसकर्मियों और 3 संसद कर्मचारियों सहित 9 लोगों की मौत हुए। लेकिन यह हमला इस लिहाज से ज्यादा बड़ा था कि आतंकियों ने लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले संसद को निशाना बनाने का दुस्साहस किया था। पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के 5 आतंकवादियों ने इस हमले को अंजाम दिया था। हमले के वक्त उस समय के गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित 100 से ज्यादा एमपी संसद भवन के अंदर मौजूद थे।
9. 1998 कोयंबटूर धमाके
14 फरवरी 1998 को कोयंबटूर में 11 अलग-अलग स्थानों पर 12 बम धमाके हुए। इन धमाकों में मुख्य निशाना भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी थे, जो उस समय एक चुनावी मीटिंग के लिए शहर में थे। ज्यादातर बम शहर के हिंदू बहुल इलाकों में रखे गए थे। इन धमाकों में 60 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 200 से ज्यादा जोल जख्मी हो गए थे।
10. 2001 जम्मू-कश्मीर विधानसभा हमला
1 अक्टूबर 2001 को जैश-ए-मोहम्मद के 3 आत्मघाती आतंकी एक कार बम के साथ श्रीनगर स्थित विधानसभा में घुस गए। इस आतंकी हमले में 38 लोगों की असामयिक मौत हो गई, जबकि तीनों आतंकी भी इस हमले में मारे गए।
11. 2007 समझौता एक्सप्रेस धमाके
भारत में दिल्ली और पाकिस्तान में लाहौर के बीच हफ्ते में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 की रात धमाके हुए। ट्रेन के दो डिब्बों में बम रखे गए थे। दिल्ली से करीब 80 किमी दूर पानीपत के पास दीवाना स्टेशन के पास ट्रेन में यह धमाके हुए। धमाके और आग लगने के कारण 68 लोगों की जान चली गई, जबकि दर्जनों घायल हो गए। हताहतों में ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक थे। इस घटना के लिए तश्कर-ए-तैयबा और हिन्दू राष्ट्रवादी संगठनों को जिम्मेदार माना जाता है।
12. 1999 कांधार विमान हाइजेक
नेपाल की राजधानी काठमांडू से दिल्ली आ रही इंडियन एयरलाइंस की उड़ान संख्या आईसी 814 को हरकत-उल-मुजाहिद्दिन के आतंकवादियों ने 24 दिसंबर 1999 को हवा में ही हाईजैक कर लिया। आतंकी विमान को अमृतसर, लाहौर और दुबई ले जाने के बाद आतंकवादियों ने विमान को अफगानिस्तान में कांधार हवाई अड्डे पर उतारा। उस समय अफगानिस्तान पर तालिबान का राज था। यह बंधक संकट 31 दिसंबर को तीन खूंखार आतंकवादियों मुस्ताक अहमद जर्गर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर की रिहाई के साथ खत्म हुआ। इसमें आतंकियों ने एक यात्री को मार दिया था, जबकि 176 यात्री व 15 चालक दल के सदस्यों को सुरक्षित बचा लिया गया।