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'रुद्रम' ने बढ़ाई भारतीय वायु सेना की ताकत, एंटी-रेडिएशन मिसाइल का सफल परीक्षण

रक्षा अनुसंधान एवं विकास परिषद (Defense Research and Development Organization DRDO) द्वारा रूद्रम मिसाइल को विकसित किया गया है। शुक्रवार को लड़ाकू विमान सुखोई-30 से पूर्वी तट पर मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। इससे पहले क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का परीक्षण किया गया था।

By Neel RajputEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 02:07 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 07:28 PM (IST)
'रुद्रम' ने बढ़ाई भारतीय वायु सेना की ताकत, एंटी-रेडिएशन मिसाइल का सफल परीक्षण
एंटी-रेडिएशन मिसाइल 'रूद्रम' का सफल परीक्षण किया गया

नई दिल्ली, एजेंसियां। मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में भारत ने एक और ऊंची छलांग लगाई है। शुक्रवार को पहली स्वदेशी एंटी-रेडिएशन मिसाइल 'रुद्रम-1' का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल के मिलने से भारतीय वायु सेना की ताकत और बढ़ जाएगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित इस मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के बालासोर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आइटीआर) से सुबह 10.30 बजे लड़ाकू विमान सुखोई-30 से किया गया। परीक्षण के दौरान यह मिसाइल अपने लक्ष्य को पूरी तरह से नष्ट करने में सफल रही। इसकी रफ्तार से हवा से दो गुनी तेज है। लांच के हिसाब से यह अलग-अलग

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दूरी तक मार करने में सक्षम है। अपनी तरह की यह पहली स्वदेशी मिसाइल है। पूरी तरह से विकसित होने के बाद इसे सुखोई-30 एमकेआइ के साथ ही अन्य लड़ाकू विमानों के साथ लगाया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि इसमें (रुद्रम) में अंतिम हमले के लिए आइएनएस-जीपीएस नेविगेशन के साथ पैसिव होमिंग हेड मौजूद है। पैसिव होमिंग हेड अलग-अलग फ्रिक्वेंसी पर लक्ष्यों की पहचान और उन्हें वर्गीकृत कर निशाना साध सकता है। यह मिसाइल दुश्मन के किसी भी तरह के सिग्नल और रेडिएशन को पकड़ कर उसे नष्ट कर सकती है।

हाल में किए गए मिसाइल परीक्षण

- 5 अक्टूबर को ओडिशा के बालासोर से ही एंटी-सबमरीन शस्त्र प्रणाली टारपीडो सुपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था।

- 3 अक्टूबर को बालेश्वर में सुपरसोनिक शौर्य मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। यह 700 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है।

- 1 अक्टूबर को लेजर गाइडेड एंटी-टैंक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। इसे महाराष्ट्र के अहमदनगर में एमबीटी अर्जुन टैंक से फायर किया गया।

- 30 सितंबर को सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस के क्रूज वर्जन का सफल परीक्षण किया गया था।

- पिछले साल सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल के हवा से हवा में मार करने वाले संस्करण का परीक्षण किया गया। इसे भी सुखोई-30एमकेआइ लड़ाकू विमान से फायर किया गया था। 

रक्षा मंत्री ने दी बधाई

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट करके डीआरडीओ को मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा, 'न्यू जनरेशन एंटी-रेडिएशन मिसाइल (रुद्रम -1) पहली स्वदेशी एंटी-रेडिएशन मिसाइल है, जिसे डीआरडीओ ने विकसित किया है। भारतीय वायुसेना के लिए तैयार मिसाइल का आइटीआर, बालासोर पर सफल परीक्षण किया गया। इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ और अन्य हिस्सेदारों को बधाई।'

कुछ दिन पहले हुआ था बालेश्वर में क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफल परीक्षण

कुछ दिन पहले बालेश्वर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और रूस के वैज्ञानिकों के प्रयास से तौयार जमीन से जमीन पर मार करने वाले क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का परीक्षण किया गया था। यह प्रक्षेपास्त्र 8.4 मीटर लंबा तथा 0.6 मीटर चौड़ा है और इसका भार 3000 किलोग्राम है। इस में मिसाइल 300 किलोग्राम वजन तक विस्फोटक ढोने तथा 300 किलोमीटर से 500 किलोमीटर तक वार करने की क्षमता है। इसे पानी जहाज हवाई जहाज जमीन एवं मोबाइल लांचर से छोड़ा जा सकता है। इसका प्रक्षेपण पनडुब्बी हवाई जहाज और जमीन आधारित मोबाइल ऑटोनॉमस लांचर से भी किया जा सकता है।

इसके अलावा पिछले साल दिसंबर महीने में भी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के चांदीपुर से दो ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। इन ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को जमीन और हवाई प्लेटफार्म से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।

बीते माह में किया गया था पृथ्वी-2 मिसाइल का परीक्षण

इससे पहले पिछले महीने स्वदेश में तैयार की गई परमाणु क्षमता वाली पृथ्वी-2 मिसाइल (Prithvi-II missile) का भी सफल परीक्षण किया था। सतह से सतह पर 350 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली पृथ्वी-2 मिसाइल अपने साथ 500 से 1000 किलोग्राम तक के आयुध ले जाने में सक्षम है।


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