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भीमा कोरेगांव मामला: गौतम नवलखा मामले से एक और जज ने किया किनारा

भीमा कोरेगांव व एल्‍गार परिषद मामलों में आरोपी गौतम नवलखा पर माओवाद से लिंक जुड़े होने का आरोप है।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 01:03 PM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 01:08 PM (IST)
भीमा कोरेगांव मामला: गौतम नवलखा मामले से एक और जज ने किया किनारा
भीमा कोरेगांव मामला: गौतम नवलखा मामले से एक और जज ने किया किनारा

नई दिल्‍ली, आइएएनएस। सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा मामले से एक और सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने किनारा कर लिया है। पहले चीफ जस्‍टिस गोगोई फिर तीन जज एनवी रमना, बीआर गवई और आर सुभाष रेड्डी और अब जस्‍टिस रविंद्र भट ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया।

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बांबे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली गौतम नवलखा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जा रही है। भीमा कोरेगांव मामले में पुणे पुलिस द्वारा नवलखा पर दर्ज किए गए मामले को खारिज करने से बांबे हाई कोर्ट ने इंकार कर दिया था जिसे उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

तीन जजों जस्‍टिस अरुण मिश्रा, विनीत शरण और एस रविंद्र भट की बेंच के पास सुनवाई के लिए यह मामला है। इस मामले से जस्‍टिस भट ने खुद को हटा लिया जिसके बाद कोर्ट ने अन्‍य बेंच के पास इस मामले को भेजा है। बता दें कि तीसरी बार ऐसा हुआ है। 1 अक्‍टूबर को तीन जजों एनवी रमना, बीआर गवई और आर सुभाष रेड्डी ने खुद को इस मामले से अलग किया था इसके पहले चीफ जस्‍टिस रंजन गोगोई ने किनारा पकड़ा था। 13 सितंबर को बांबे हाई कोर्ट ने नवलखा की याचिका खारिज की थी। याचिका में उन्‍होंने अपने ऊपर लगाए गए पुणे पुलिस के मामले को खारिज करने की मांग की थी।

उल्‍लेखनीय है कि भीमा कोरेगांव व एल्‍गार परिषद मामलों में नवलखा के शामिल होने व माओवाद से लिंक जुड़े होने का आरोप है और पुणे पुलिस के पास मामला दर्ज है। उल्‍लेखनीय है कि भीमा कोरेगांव व एल्‍गार परिषद मामलों में नवलखा के शामिल होने व माओवाद से लिंक जुड़े होने का आरोप है और पुणे पुलिस के पास मामला दर्ज है।

बांबे हाई कोर्ट से याचिका रद होने के तुरंत बाद महाराष्‍ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दाखिल की ताकि नवलखा का पक्ष भी सुना जा सके। कैविएट का मतलब है कि दूसरे पक्ष को सुने बगैर कोर्ट आदेश पारित नहीं कर सकती है।

नवलखा व नौ अन्‍य मानवाधिकार कार्यकताओं को देश के विभिन्‍न हिस्‍सों से पुणे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इनपर पुणे में 31 दिसंबर 2017 को एल्‍गार परिषद मीटिंग में हिस्‍सा लेने का आरोप है जिसके बाद 1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव में जातिगत हिंसा हुई थी। इनपर माओवाद से जुड़े होने व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्‍या का साजिश रचने का आरोप है। 

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