भूख और कुपोषण से एक और 'लाड़ली लक्ष्मी' ने तोड़ा दम
पिछली तीन मौतें हालांकि बीमारी से होना बताया जा रहा है, लेकिन श्योपुर जिला कुपोषण के लिए कुख्यात है।
श्योपुर [नईदुनिया]। श्योपुर, मध्यप्रदेश स्थित झारबड़ौदा गांव की एक और बच्ची की मौत हो गई। बुधवार की सुबह ग्वालियर के जय आरोग्य अस्पताल में भूख और बीमारी से घिरी आठ महीने की अति कुपोषित बालिका रोशनी ने दम तोड़ दिया। 15 दिन के भीतर इसी गांव में यह चौथे बच्चे की मौत है।
पिछली तीन मौतें हालांकि बीमारी से होना बताया जा रहा है, लेकिन श्योपुर जिला कुपोषण के लिए कुख्यात है। कुपोषण के कारण मौतों का सिलसिला यहां अरसे से जारी है। 'भारत का इथोपिया' कहे जाने वाले श्योपुर जिले में कुपोषण से हो रहीं मौतों ने सरकार की तमाम योजनाओं और उन पर हो रहे करोड़ों रुपए के खर्च पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
झारबड़ौदा गांव में हुई तीन बच्चों की मौत के बाद मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंची थी। गांव में और तीन कुपोषित बच्चे मिले थे। रोशनी गंभीर कुपोषण के साथ बुखार व चर्म रोग से ग्रसित थी। कुपोषण के कारण उस पर दवाएं भी काम नहीं कर रही थीं।
मंगलवार को ही विजयपुर अस्पताल से रोशनी को ग्वालियर रैफर कर दिया गया। बुधवार की सुबह करीब चार बजे रोशनी ने ग्वालियर के अस्पताल में दम तोड़ दिया। झारबडौदा गांव में पिछले पंद्रह दिनों जिन तीन बच्चियों की मौत हुई है, उनमें मधु (दो साल) पुत्री श्रीपद, मुस्कान (दो साल) पुत्री माखन और नीलम (पांच साल) पुत्री रमुआ आदिवासी शामिल हैं। इनका नाम कुपोषित बच्चों की सूची में शामिल नहीं था।
अधिकारियों की दलील है कि गंभीर कुपोषण से ग्रसित कई बच्चों को मां-बाप एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) में भर्ती नहीं करवाते। इस समस्या से महिला एवं बाल विकास विभाग सालों से जूझ रहा है। कमलाराजा अस्पताल की एनआरसी में वर्तमान में करीब 12 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं।
रोशनी कुपोषण के साथ बुखार व अन्य बीमारियों से ग्रसित थी। बालिका का बुखार कम नहीं हो रहा था। दवाएं काम नहीं कर रही थीं। बुखार में ही उसने दम तोड़ दिया।
-डॉ. एसएन मेवाफरोश, बीएमओ, विजयपुर
बचेगी तभी तो पढ़ेगी लाड़ली :
लाड़ली लक्ष्मी योजना को मप्र में कानून का दर्जा मिल गया है। बच्ची के 21 साल की होने पर उसे एक लाख रुपये मिलने का कानूनी अधिकार रहेगा। इधर, श्योपुर में आदिवासी समुदाय की बच्चियां 21 माह भी मुश्किल से जी पा रही हैं। साल 2016 के अगस्त-सितंबर में जिले में 55 से ज्यादा बच्चों की मौत कुपोषण से हुई थी। मीडिया में आई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मप्र में कुपोषण के चलते प्रति दिन 92 बच्चों की मौत हो रही है।