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बिस्मिल्ला खां की शहनाई से शांत हुआ हाथी मोती का गुस्सा, एक हथिनी की ले चुका है जान

मोती के गुस्से को शांत करने के लिए कई प्रयोग किए जा रहे हैं। बाड़े में म्यूजिक सिस्टम लगाए जाने के साथ ही कुछ अन्य प्रयोग किए गए हैं। इसका सकारात्मक प्रभाव दिखने लगा है।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 12:15 AM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 12:15 AM (IST)
बिस्मिल्ला खां की शहनाई से शांत हुआ हाथी मोती का गुस्सा, एक हथिनी की ले चुका है जान
बिस्मिल्ला खां की शहनाई से शांत हुआ हाथी मोती का गुस्सा, एक हथिनी की ले चुका है जान

इंदौर, जेएनएन। संगीत जैसे इंसानों के चित को शांत कर देता है, ऐसा ही असर जानवरों भी होता है। हाल ही में एक ऐसा उदाहरण सामने आया है। चिडि़याघर में गुस्सैल हाथी मोती को दी जा रही म्यूजिक थेरेपी काम कर रही है। उसका गुस्सा शांत होने लगा है। थेरेपी के लिए उसके बाड़े में म्यूजिक सिस्टम लगाया गया है। मोती को प्रतिदिन दोपहर में तीन से चार घंटे तक बिस्मिल्ला खां की शहनाई, पं. हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी की धुन के साथ ही संतूर की धुन भी सुनाई जा रही है।

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चिडि़याघर प्रबंधन के मुताबिक, अब उसका चिड़चिड़ापन कम हो गया है और उसने बेवजह चिंघाड़ना भी बंद कर दिया है। थेरेपी की शुरुआत 25 अगस्त से हुई थी। थेरेपी शुरू करने के दो दिन पहले गुस्साए मोती ने अपने बाड़े की दीवार तोड़ दी थी और जोर-जोर से चिंघाड़ने लगा था। उसे नियंत्रित करने में कर्मचारियों को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। इसके बाद प्रबंधन ने उसे शांत रखने के लिए म्यूजिक थेरेपी देने का निर्णय लिया। इसके साथ ही बाड़े में जेसीबी, ट्रैक्टर, ट्रक और बसों के पुराने टायर रखवाए गए, ताकि मोती इनसे खेलने में व्यस्त रहे। इस कारण भी उसके गुस्से में कमी आई।

शहर के कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय (चिडि़याघर) के प्रभारी उत्तम यादव का कहना है कि मोती के गुस्से को शांत करने के लिए कई प्रयोग किए जा रहे हैं। बाड़े में म्यूजिक सिस्टम लगाए जाने के साथ ही कुछ अन्य प्रयोग किए गए हैं। इसका सकारात्मक प्रभाव दिखने लगा है। पिछले दिनों में उसका उग्र रूप नजर नहीं आया, लेकिन सावधानी बनाए रखना आवश्यक है। पशु चिकित्सक उसका उपचार भी कर रहे हैं। मोती बचपन से ही इस चिडि़याघर में है। उग्रता की वजह से लंबे समय तक उसे जंजीरों से बांधकर रखा गया था। गुस्से में आकर वह इसी साल दो बार जनवरी और अगस्त में बाड़े को तहस-नहस कर चुका है।

उम्र के साथ बढ़ता है गुस्सा

यादव ने बताया कि हाथियों में गुस्सा उम्र के साथ बढ़ता है। मोती चिडि़याघर में पिछले 40 साल से है। वह वर्षों से दर्शकों का चहेता रहा है। 14 दिसंबर, 2019 को उसने गुस्से में आकर लक्ष्मी नामक हथिनी पर हमला कर दिया था। उसे इतनी जोर से टक्कर मारी थी कि उसकी किडनी क्षतिग्रस्त हो गई थी। दस दिन उपचार के बाद 24 दिसंबर, 2019 को लक्ष्मी की मौत हो गई थी।


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