Move to Jagran APP

ज्यादा गुस्सा दे सकता है बुजुर्गों को हृदय रोग, कैंसर समेत कई बीमारियां, रहें सावधान!

शोधकर्ताओं का कहना है कि बुजुर्ग लोगों के लिए उदासी से ज्यादा गुस्सा नुकसानदेह होता है। इससे स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं मसलन इंफ्लेमेशन (सूजन) हो सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 11 May 2019 01:33 PM (IST)Updated: Sun, 12 May 2019 09:30 AM (IST)
ज्यादा गुस्सा दे सकता है बुजुर्गों को हृदय रोग, कैंसर समेत कई बीमारियां, रहें सावधान!
ज्यादा गुस्सा दे सकता है बुजुर्गों को हृदय रोग, कैंसर समेत कई बीमारियां, रहें सावधान!

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। गुस्सा हमारी निर्णय लेने की क्षमता को न केवल कमजोर करता है, बल्कि लगातार गुस्सा करने से यह क्षमता समाप्त भी हो सकती है। गुस्से से कार्यक्षमता प्रभावित होती है और करियर व रिश्तों पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। वे लोग जो अपने गुस्से को प्रकट नहीं कर पाते और मन में ही दबा कर रख लेते हैं, वे ज्यादा चिड़चिड़े हो जाते हैं। उनमें शारीरिक और मानसिक बीमारियां होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।

loksabha election banner

शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि गुस्से का दिल पर काफी बुरा असर पड़ सकता है और इससे अचानक मौत भी हो सकती है। तो इस बार जब सड़क पर भारी यातायात के बीच जब कोई आपकी गाड़ी को टक्कर मार दे तो गुस्से में उत्तेजित होने से पहले थोड़ा रूक कर सोचिए कि क्या ऐसा करना ठीक होगा!

शोध के परिणाम
शोधकर्ताओं का कहना है कि बुजुर्ग लोगों के लिए उदासी से ज्यादा गुस्सा नुकसानदेह होता है। इससे स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं मसलन इंफ्लेमेशन (सूजन) हो सकता है। इसका संबंध हृदय रोग, गठिया और कैंसर जैसे रोगों से होता है। साइकोलॉजी एंड एजिंग जर्नल में छपे अध्ययन के अनुसार, नतीजों से यह जाहिर होता है कि गुस्से से इस तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है, लेकिन उदासी से नहीं। यह निष्कर्ष 59 से 93 साल की उम्र के 226 बुजुर्गों के डाटा के विश्लेषण के आधार पर निकाला गया है।

अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों से उनकी उदासी और गुस्से के बारे में प्रश्नावली भरवाई गई थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि थेरेपी से बुजुर्गों में गुस्से को कम करने में मदद मिल सकती है। अमेरिका की कोंकोर्डिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता मेघन ए बार्लोव ने कहा, ‘बुजुर्गों में उदासी से उम्र संबंधी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं में गिरावट को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।’

गुस्सा अनुवांशिक भी हो सकता है
देखा गया है कि कुछ लोगों को गुस्सा बहुत ज्यादा आता है। आमतौर पर ऐसे गुस्से के दो बड़े कारण, अनुवांशिक या फिर शारीरिक संरचना हो सकते हैं। बहुत सारे बच्चे ऐसे होते हैं, जो जन्म से ही चिड़चिड़े होते हैं। शोधों से मालूम चला है कि पारिवारिक पृष्ठभूमि भी गुस्से वाला स्वभाव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा करती है। ऐसे लोग जिनके परिवार के लोग अवरूद्घ मानसिकता, परिस्थितियों को उलझाने वाले और भावनात्मक संवाद में कमजोर होते हैं, वे बड़ी जल्दी क्रोधित हो जाते हैं। हालांकि गुस्सा आने के कई और कारण भी हो सकते हैं।

कैसे पा सकते हैं काबू
आमतौर पर स्वस्थ्य खान-पान, योग और बेहतर लोगों में उठ-बैठ से गुस्सा आने की समस्या को कम किया जा सकता है। लेकिन गुस्से के इलाज के लिए कुछ फिजियोलॉजिकल टेस्ट भी होते हैं। इन फिजियोलॉजिकल टेस्ट से गुस्से की तीव्रता को मापा जा सकता है। इस प्रकार जांच से मालूम चलता है कि व्यक्ति गुस्से के प्रति कितना संवेदनशील है और इस पर काबू कैसे पाता है। यदि गुस्सा आपे से बाहर है तो ऐसे में मनोवैज्ञानिक की मदद लेनी चाहिए। मनोवैज्ञानिक आपको इस पर काबू पाने के तरीके बता सकते हैं। आमतौर पर मनोवैज्ञानिक गुस्से की स्थिति और सीमा का पता लगा कर आपकी सहायता करते हैं।

हमारी खुद की आदतें बढ़ाती हैं तनाव
आप अपने बढ़ते तनाव के लिए कभी कामकाज और दफ्तर के माहौल को दोष देते हैं या फिर किसी गहरी समस्या को, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि आपकी भी कुछ ऐसी आदतें हैं जो तनाव को बढ़ाने का काम करती हैं। आइए जानें, कौन सी आदतें बढ़ा सकती हैं आपका तनाव।

कम नींद लेना
नींद की कमी आपको चि़ड़चिड़ा और सुस्त बना देती है। स्वस्थ जीवन के लिए दिन में कम से कम 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। इससे कम नींद लेने वाले लोगों में तनाव की आशंका काफी बढ़ जाती है। इसलिए अगर आपको कम सोने की आदत है तो इसे जल्द से जल्द बदल लें।

असंतुलित आहार
अक्सर ऐसा होता है कि जब हम परेशान होते हैं या गुस्से में होते हैं तो चीज़ी पिज्जा, आईस्क्रीम जैसी चीज़ें खाने लगते हैं। वहीं, हम वक्त पर खाना नहीं खाते। ऐसा करने से कभी हम भूखे रह जाते हैं या कभी भूख और जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं। दोनों ही मामलों में शरीर व मन दोनों पर बुरा असर पड़ता है। स्वस्थ व तनावमुक्त रहने के लिए समय पर भोजन करने के साथ साथ, पौष्टिर और संतुलित आहार खाना आवश्यक है।

बहुत ज्यादा काम
दिन में सिर्फ 24 घंटे होते हैं। कभी कभी हम इतना काम ले लेते हैं जितना हम इस समय में नहीं निपटा सकते। ऐसे में काम नहीं निपट पाता और हम तनाव में आ जाते हैं। इससे बचने के लिए अपने दिन की योजना बनाएं। वक्त के हिसाब से काम करें, और थोड़ा वक्त किसी अचानक आए काम के लिए भी छोड़ दें।

व्यायाम न करना
जब हम बहुत ज्यादा व्यस्त होते हैं, और अपना बोझ कम करने के लिए काम कम करते हैं तो व्यायाम वो पहली चीज़ होती है जिसे हम लिस्ट से बाहर कर देते हैं। ऐसा न करें। ये आपका थोड़ा वक्त जरूर लेता है लेकिन इससे तनाव दूर होता है। आप सोने से पहले भी हल्का व्यायाम कर सकते हैं जो आपका तनाव दूर करते आपको गहरी नींद भी सुलाएगा।

बहुत ज्यादा कैफीन पीना
हम आपसे ये नहीं कह रहे हैं कि आप एक साथ कैफीन पीना छोड़ दें। लेकिन एक दिन में कॉफी के बहुत सारे कप पीने से आप अनावश्यक रूप से तनाव महसूस करते हैं। इसलिए कैफीन कम से कम लें। इसकी बजाय ग्रीन टी और जूस पियें। ये आपको कॉफी से ज्यादा ताज़गी देंगे।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.