एंगर मैनेजमेंट : क्रोध पर कंट्रोल के अजब-गजब तरीके, कई गंभीर बीमारियों से मिलेगा छुटकारा
यहां ग्राहक कुछ रकम खर्च एक कमरे में जमकर तोड़फोड़ करते हैं। इसके लिए उन्हें पैसे भी चुकाने पड़ते हैं। बावजूद ऐसे अजब-गजब तरीके भारत समेत दुनियाभर में लोकप्रिय हो रहे हैं।
नई दिल्ली [स्मिता]। क्रोध लगभग हर किसी को आता है। किसी को कम तो किसी को ज्यातदा। माना जाता है कि गुस्सेर को दबाकर रखने की बजाय इसे किसी न किसी तरह से बाहर निकाल देना चाहिए। इस बारे में दुनिया में तरह-तरह के प्रयोग होते रहे हैं। गुस्सेर से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए माना जाता है कि इसे किसी व्यनक्ति पर नहीं, बल्कि सामान पर उतारना चाहिए। इससे आप तनावमुक्तस और शांत हो सकेंगे। अमेरिका के कॉलोराडो राज्या की राजधानी डेनवर में कॉलोराडो रेज रूम नाम से एक ऐसा जिम तैयार किया गया है, जहां लोग अपने गुस्से को निकालने के लिए किसी भारी चीज से सामान की तोड़-फोड़ करते हैं। उन्हें उठा कर फेंकते भी हैं। भले ही बाद में उन्हें तोड़े गए सामान की कीमत चुकानी पड़ती हो। इस जिम को एंगर मैनेजमेंट रूम भी कहा जा रहा है।
निकल जाते हैं निगेटिव इमोशंस
विशेषज्ञ बताते हैं कि रेज रूम या एंगर मैनेजमेंट रूम इंसान के अंदर से निगेटिव इमोशंस को बाहर निकालने का काम करते हैं, जो बहुत जरूरी है। निगेटिव इमोशंस के कारण ही व्य क्ति तनाव, ब्लजडप्रेशर और शुगर का शिकार होता है। अमेरिका की तर्ज पर ब्रिटेन, फ्रांस और अब जापान में भी एंगर मैनेजमेंट जिम या रेज रूम खुल रहे हैं। संभवत: अगस्ते 2008 में अमेरिका के डलास शहर में सबसे पहले डोना एलेक्जें डर नाम की महिला ने एंगर रूम खोला था।
यहां ग्राहक कुछ रकम खर्च करते हैं और बदले में उन्हेंे अपना फ्रस्टेतशन निकालने के लिए बेसबॉल बैट या हथौड़े जैसा सामान दिया जाता है। इसके बाद ग्राहक एंगर रूम में मौजूद सामान की तोड़-फोड़ करते हैं। डोना ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि वे अपने पड़ोसियों को गुस्सेक में आकर सामान को उठाकर फेंकते हुए अक्सीर देखा करती थीं। यहीं से उनके मन में यह आइडिया पनपा और उन्होंपने एंगर रूम खोल लिया। मनोवैज्ञानिक ईशा सिंह कहती हैं कि तनावमुक्तथ होने का सबसे बढि़या तरीका है, अकेले में अपने अंदर के तनाव को निकाल देने का। भारत में भी क्रोध को मैनेज करने के लिए एंगर बर्न आउट होम या एंगर कंट्रोल क्लाीसेस ट्रेंड में है।
जरूरी है क्रोध पर काबू पाना
दरअसल, हम जब अपनी इच्छा के विपरीत कोई भी काम होते हुए देखते हैं या कोई चीज सुनते हैं, तो हमें अच्छाे नहीं लगता है और हम क्रोध से बेकाबू होने लगते हैं। पर बेलगाम घोड़े जैसे क्रोध को अपने वश में करना न सिर्फ अपने लिए, बल्कि समाज के लिए भी जरूरी होता है। ऐसा नहीं है कि विदेश में ही एंगर मैनेजमेंट के लिए ऐसी रोचक पहल की गई है। भारत में भी क्रोध को काबू में लाने के नुस्खेह को बचपन से ही आजमाने की सीख दी जाती रही है। इसमें सबसे अधिक कॉमन है गुस्साी आते ही उल्टीक गिनती शुरू कर देने को कहना या फिर ठंडा पानी पीने की हिदायत देना। भारत में तो कई कॉरपोरेट कंपनियों ने अपने यहां एम्लॉई को गुस्सा निकालने के लिए स्ट्रेरस फ्री रूम मुहैया कराने लगी हैं, ताकि वे क्रोधमुक्त होकर कंपनी के आउटपुट को बढ़ा सकें।
बॉस के प्रतिरूप पर निकालते हैं गुस्सा
नोएडा की एक विख्या त कंपनी में काम करने वाली टियारा कहती हैं कि हमारे ऑफिस में पम्पी आउट एंगर नाम से एक रूम है, जहां दीवारों से कई बॉक्सिंग पिलो लटके रहते हैं। हमें जब भी किसी पर क्रोध आता है, तो हम उस पिलो पर उसका चेहरा इमेजिन कर उस पर खूब मुक्का मारते हैं। एक सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि कॉरपोरेट कंपनियों में जितने भी एंगर मैनेजमेंट रूम बने हैं, 80 प्रतिशत एम्लॉब म ई या तो एम्लॉ् यर या फिर इमीडिएट बॉस की काल्पपनिक तस्वीीरों पर ही गुस्साउ निकालते हैं।
गुस्से को बदलें पॉजिटिव एनर्जी में
यहां एक दिलचस्पक कहानी यह है कि पद्मावत फिल्मब रिलीज होने से पहले जब राजस्था्न में विवाद हुआ, तो फिल्मस के स्टादर रणवीर सिंह को बहुत गुस्साप आया। उन्होंवने कहा कि मेरे अंदर क्रोध की ज्वाला जलने लगी। मुझे लगता था कि मैं किसी का गला दबा दूंगा। मगर उस आग को मैं डिस्ट्रक्टिव तरीके से सामने नहीं लाना चाहता था। तब मैंने उस गुस्से की आग को पॉजिटिव एनर्जी में कन्वैर्ट कर दिया और अपनी परफॉर्मेंस में उसे झोंक दिया। मैंने पाया कि मेरे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। क्रोध को बदलने का यह सबसे क्रिएटिव उपाय है।
क्रोध का करें मैनेजमेंट
आध्या त्मिक गुरु ओशो ने भी कहा है कि जब कभी आपको गुस्सात आए, तो आप अपने-आपको एक कमरे में बंद कर उस आदमी का चित्र बनाएं और फिर उस पर लात-घूंसे बरसाएं। जब आप किसी चीज को दबाते हैं, तो उस क्रिया के बदले में प्रतिक्रिया जरूर होती है। इसके बाद किसी दूसरी बात पर आपको और अधिक गुस्सा। आएगा। इसलिए अपने अंदर के क्रोध को बाहर निकाल दें फिर आप उसी तरह शांत हो जाएंगे जिस तरह शांत बहती नदी का पानी। इसी तर्ज पर सुप्रसिद्ध हॉलीवुड अभिनेत्री डेमी मूर गुस्साा, तनाव और खराब व्यइवहार के कारण जब रिहैबिलिएशन सेंटर पहुंची, तो उन्हेंत सबसे पहले एक कमरे में बंद कर अपने अंदर के क्रोध को निकालने की ही बात कही गई थी।
-जब हम क्रोध में होते हैं, तो सजग नहीं होते हैं और किसी भी चीज को समझने की सुध-बुध खो देते हैं। जब तक हम परिस्थिति को यथावत स्वीकारते नहीं हैं तब तक हम उसे सजगता के साथ सुधार भी नहीं सकते हैं।
-यदि हम 10-15 मिनट समय ध्या न-योग पर दें, तो धीरे-धीरे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करना और सहज होना सीख सकते हैं। सूर्य नमस्कािर, योगासन हमें इस कार्य में सबसे अधिक मदद करता है। आध्यातत्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के अनुसार, यदि हम लयबद्ध तरीके से सांस लेना सीख जाएं तो न सिर्फ क्रोध पर नियंत्रण बल्कि शरीर में पॉजिटिव एनर्जी के स्तेर को भी बढ़ा सकते हैं।