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    'कोई जिम्मेदार नहीं, भगवान की मर्जी थी', आंध्र प्रदेश मंदिर के बाद क्या बोले निर्माणकर्ता हरि मुकुंद पांडा?

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 11:30 AM (IST)

    आंध्र प्रदेश में मंदिर गिरने के बाद, निर्माणकर्ता हरि मुकुंद पांडा ने कहा कि इसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं है, यह 'भगवान की मर्जी' थी। उन्होंने निर्माण में लापरवाही से इनकार किया और इसे दैवीय इच्छा बताया, जिससे मंदिर निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।

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    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में एक निजी मंदिर में भगदड़ मच गई। कार्तिक एकादशी के मौके पर 20 हजार से ज्यादा श्रद्धालु जमा थे। इस दौरान संकरी सीढ़ी पर रेलिंग टूटने से अफरा-तफरी मच गई। हादसे में नौ लोग मारे गए, जिनमें आठ महिलाएं और एक 13 साल का लड़का शामिल है। भगदड़ में 25 से ज्यादा घायल हैं, कुछ की हालत गंभीर है।

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    मृतकों में ई चिन्नम्मी (46), आर विजया (48), एम नीलम्मा (60), डी राजेश्वरी (60), जी रूपा (50), बी बृंदा, च यशोदम्मा (56), डी अम्मुलम्मा और एल निखिल (13) शामिल हैं। दो महिलाएं बी कलावती और आर कुमारी गंभीर रूप से घायल हैं।

    मंदिर और आयोजक की लापरवाही पर उठते सवाल

    वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर कासीबुग्गा में है। इसे 94 साल के हरि मुकुंद पांडा ने बनवाया था। चार महीने पहले ही खुला था। तिरुपति की तरह बनाया गया है। एक ही गेट था आने-जाने के लिए। भीड़ नियंत्रण नहीं था। कोई सरकारी मंजूरी नहीं ली गई। पांडा बोले, "कोई जिम्मेदार नहीं, भगवान की मर्जी थी।"

    लेकिन पुलिस का कहना है कि मंदिर वाले ने पहले सूचना नहीं दी। जिला पुलिस अधीक्षक केवी महेश्वर रेड्डी ने बताया, "पहली मंजिल पर गर्भगृह है। 20 सीढ़ियां हैं। रेलिंग कमजोर थी, टूट गई। एक व्यक्ति गिरा, फिर भगदड़ शुरू हो गई।"

    पुलिस की कार्रवाई कहां तक पहुंची?

    मामला बीएनएस की धारा 100 (गैर इरादतन हत्या) के तहत दर्ज हुआ। चार मंदिर कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया। मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा, "अगर पहले पता होता तो पुलिस भीड़ संभाल लेती। जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी।" घायलों के इलाज का आदेश दिया।

    प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस हादसे पर दुख जताया। मृतकों के परिवार को 2 लाख और घायलों को 50 हजार रुपये की मदद घोषित की। मंदिर एंडोमेंट विभाग में रजिस्टर्ड नहीं है। शनिवार को आम तौर पर 3 हजार लोग आते हैं, लेकिन पहली कार्तिक एकादशी पर सात गुना भीड़ आई।

    इस साल की तीसरी घटना

    श्रद्धालु आर रामनम्मा ने बताया, "सुबह 9 बजे तक सब ठीक था। अचानक भीड़ बढ़ी। सीढ़ी पर जगह नहीं थी। रेलिंग टूटी, लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे।"

    यह आंध्र प्रदेश में इस साल की तीसरी बड़ी मंदिर दुर्घटना है। जनवरी में तिरुपति में वैकुंठ एकादशी पर छह मौतें हुई थीं। अप्रैल में विशाखापट्टनम के सिंहाचलम मंदिर में दीवार गिरने से सात लोग मारे गए थे।

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