चीन की दीवार से भी मोटी है धोलाविरा की 5000 साल पुरानी दीवार, जानें पूरी कहानी
धोलाविरा की 5000 साल पुरानी मोटी दीवार अपनी कहानी बयां कर रही है जिससे पता चलता है कि हड़प्पन संस्कृति के लोग सुनामी से अवगत थे।
धोलाविरा (गुजरात)(आइएएनएस)। 2004 की आपदा के बाद हर भारतीय सुनामी शब्द से परिचित होगा। इस आपदा में देश की पूर्वी तट पर विनाशलीला का खेल देखा गया और हजारों की मौत हो गयी थी। लेकिन गोवा में राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के शोधकर्ताओं का कहना है कि करीब 5000 साल पहले हड़प्पन संस्कृति के भारतीय नागरिक सुनामी से अच्छी तरह से अवगत थे और अपनी सुरक्षा के लिए उपाय भी किए थे। गुजरात में हड़प्पन संस्कृति के शहर धोलाविरा में 18 मीटर मोटी दीवार इस बात का गवाह है।
भारत में हड़प्पन संस्कृति का दूसरा बड़ा और सबसे अच्छे तरीके से अनेकों डिविजनों के साथ बनाया गया शहर धोलाविरा है जिसमें कई नए फीचर्स हैं जो अब तक अज्ञात हैं। उनके रिपोर्ट के अनुसार, धोलाविरा के वास्तु में दुर्ग, मध्यम शहर और निचला शहर के बीच बड़ी दीवार से अलग किया गया है।
अपेक्षा से अधिक मोटी दीवार से यह अनुमान लगाया गया है कि धोलाविरा के प्राचीन निवासी सुनामी से होने वाली तबाही से अवगत थे। शोधकर्ताओं के अनुसार, प्राचीन भारतीयों ने यह मोटी दीवार सुरक्षा के लिए नहीं बनायी होगी। धोलाविरा छोटी नदियों के किनारे स्थित है उत्तर में मानसर और दक्षिण में मानहर।
चीन की विशाल दीवार का बेस भी केवल 9 मीटर मोटाई वाला है और टॉप 3.7 मीटर। दूसरी ओर समुंदर से नजदीक होने के कारण धोलाविरा पर सुनामी जैसी आपदा का खतरा बना हुआ रहता है। भारत के पश्चिमी तट पर समुद्री स्तर में बदलाव होना निश्चित है और 4000 साल पहले समुद्री स्तर अभी की तुलना में कहीं अधिक होगा। 5000 साल पहले भारत-पाकिस्तान अलग नहीं थे। मकरन तट पर होने के कारण धोलावीरा सुनामी का एक्टिव बेल्ट है। जहां अतीत में कई सुनामी आ चुकी हैं।
शोध के अनुसार गुजरात तट पर आने वाली सुनामी की ऊंचाई 2 से 10 मीटर की होती है। 2000 साल पहले गुजरात के तट पर 3.5 मीटर ऊंची सुनामी की लहरें आयी थीं। हड़प्पन इस खतरे से अवगत और सतर्क थे इसलिए ही धोलाविरा में इतने विशाल दीवार बनाए गए होंगे।