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जान बचाने के लिए म्‍यांमार से भारतीय सीमा में घुसे 6 हजार शरणार्थी, जानें- इस समस्‍या का कैसे हल चाहता है भारत

म्‍यांमार में खराब होते हालातों के बीच हजारों लोगों को बेघर होना पड़ा है। इसके अलावा अपनी जान बचाने के मकसद से करीब छह हजार लोग भारतीय सीमा में भी दाखिल हुए हैं। यूएन समेत अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों ने वहां के हालात पर चिंता जताई है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 20 May 2021 12:41 PM (IST)Updated: Thu, 20 May 2021 04:35 PM (IST)
जान बचाने के लिए म्‍यांमार से भारतीय सीमा में घुसे 6 हजार शरणार्थी, जानें- इस समस्‍या का कैसे हल चाहता है भारत
म्‍यांमार में लगातार खराब हो रहे हैं हालात

नई दिल्‍ली (रॉयटर्स)। पूरी दुनिया जहां पूरी दुनिया का ध्‍यान कोरोना महामारी से छिड़ी जंग को जीतने में लगा है वहीं भारत के पड़ोसी देश म्‍यांमार में सैन्‍य शासन लगातार निरंकुश होता जा रहा है। 1 फरवरी 2021 को जब म्‍यांमार में सेना प्रमुख द्वारा देश की चुनी गई सरकार का तख्‍ता पलट किया गया था, तब से लेकर अब तक वहां पर सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। वहीं सैन्‍य शासन ने हजारों लोगों को हिरासत में लिया है। इनमें से कई ऐसे हैं जिनकी जानकारी परिवार वालों को भी नहीं दी जा रही है।

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म्‍यांमार में निरंकुश होते सैन्‍य शासन से बचने के लिए कई लोग सीमा पार कर भारतीय राज्‍य मिजोरम में भी दाखिल हुए हैं। मिजोरम की सरकार ने इन लोगों को अस्‍थाई तौर पर शरण भी दी है और इनके खाने-पीने का इंतजाम भी किया है। हालांकि भारत सरकार के आधिकारिक बयान में सरकार ने इनको शरणार्थी नहीं माना है। पिछले माह ही म्‍यांमार की सैन्‍य सरकार द्वारा मिजोरम राज्‍य को लिखे गए एक पत्र में म्‍यांमार के नागरिकों को भारत से वापस किए जाने की मांग की गई थी। इस पत्र में भारत और म्‍यांमार के बेहतर रिश्‍तों का हवाला भी दिया गया था।

संयुक्‍त राष्‍ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटारेस के प्रवक्‍ता स्‍टीफन दुजारिक के मुताबिक भारत में आने वाले म्‍यांमार नागरिकों की संख्‍या करीब 4-6 हजार तक है। जबकि थाईलैंड में मार्च से अप्रैल के बीच करीब 1700 लोग शरणार्थी बनकर पहुंचे हैं। हालांकि इनमें से कई वापस भी लौट चुके हैं। यूनाइटेड नेशन रिफ्यूजी एजेंसी के आंकड़े बताते हैं कि फरवरी से अब तक 60700 लोग विस्‍थापित हुए हैं।

आपको बता दें कि भारत और म्‍यांमार के बीच करीब 1600 किमी लंबी सीमा रेखा मिलती है। अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम से लगता बोर्डर अंतरराष्‍ट्रीय सीमा है। म्‍यांमार में मौजूद संयुक्‍त राष्‍ट्र की टीम ने सभी देशों से अपील की है कि वो अपने यहां पर आने वाले म्‍यांमार के नागरिकों को आने से इनकार न करें और उनकी सुरक्षा या मदद से इनकार न करें। इसके साथ ही यूएन ने सैन्‍य शासन से लोगों पर हो रही कार्रवाई को तुरंत रोकने की अपील की है। इमसें कहा गया है कि सेना प्रदर्शनकारियों पर हथियारों का प्रयोग न करे। दुजारिक का यहां तक कहना है कि म्‍यांमार में मौजूद यूएन की टीम तख्‍तापलट के बाद दूसरे देशों में शरण लेने वाले म्‍यांमार के नागरिकों को लेकर चिंतित है।

यूएन के मुताबिक म्‍यांमार के सैन्‍य शासन मानवीय मूल्‍यों को ताक पर रखते हुए कार्रवाई कर रहा है, जिसे किसी भी सूरत में स्‍वीकार नहीं किया जा सकता है। संयुक्‍त राष्‍ट्र प्रमुख का कहना है कि सैन्‍य शासन को विश्‍व जगत में उठ रही मांग को मानते हुए देश में लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था बहाल करनी चाहिए। ये न सिर्फ इस क्षेत्र की स्थिरता के लिए जरूरी है बल्कि म्‍यांमार के भी हित में है। गुटारेस ने आसियान देशों से अपील की है कि वो इस संबंध में अपने प्रभाव का इस्‍तेमाल करें। उनके मुताबिक अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय इस संबंध में उठाए गए कदमों का स्‍वागत और समर्थन करने के लिए तैयार है। गुटारेस ने अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय से कहा है कि वो म्‍यांमार में मानवीयता के आधार पर मदद मुहैया करवाएं।

यूएन महासचिव की विशेष दूत क्रिस्‍टीन स्‍क्रानर बर्गेनर फिलहाल म्‍यांमार की स्थिति को लेकर पड़ोसी देशों के संपर्क में हैं। भारत की बात करें तो सरकार ने म्‍यांमार में फैली हिंसा को रोकने की अपील की है। भारत ने म्‍यांमार की मौजूदा सरकार से अपील की है कि वो इस दौरान हिरासत में लिए गए सभी प्रदर्शनकारियों और नेताओं को तुरंत रिहा करे। भारत ये भी मानता है कि मौजूदा स्थिति का शांतिपूर्ण तरीके से हल निकाला जाना चाहिए। भारत ने आसियान देशों द्वारा की गई पहल का भी स्‍वागत किया है। संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत के स्‍थाई सदस्‍य टीएस त्रीमूर्ति ने इस संबंध में ट्वीट भी किया है। इसमें उन्‍होंने कहा कि भारत आसियान द्वारा उठाए सभी पांच कदमों का समर्थन करता है। आपको बता दें कि आसियन ने म्‍यांमार में सीजफायर की अपील की है। पिछले माह ही म्‍यांमार के मुद्दे पर संयुक्‍त राष्‍ट्र ने भी एक आपात बैठक की थी।


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