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200 किमी की रफ्तार वाला एयरोडायनेमिक इंजन तैयार, खूबी जानकार हैरान रह जाएंगे

चित्तरंजन रेल इंजन कारखाना (चिरेका) ने देश का पहला स्वदेशी एयरोडायनेमिक रेल इंजन बनाकर प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में परचम लहरा दिया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 25 Oct 2018 09:54 PM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 12:26 PM (IST)
200 किमी की रफ्तार वाला एयरोडायनेमिक इंजन तैयार, खूबी जानकार हैरान रह जाएंगे
200 किमी की रफ्तार वाला एयरोडायनेमिक इंजन तैयार, खूबी जानकार हैरान रह जाएंगे

जामताड़ा, मुकेश मिश्रा विज्ञान की बेमिसाल तकनीक का दम अब रेल पटरियों पर दिखेगा। चित्तरंजन रेल इंजन कारखाना (चिरेका) ने बुधवार को देश का पहला स्वदेशी एयरोडायनेमिक रेल इंजन बनाकर प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में परचम लहरा दिया है। यह रेल इंजन 200 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से पटरी पर दौड़ेगा।

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यह इंजन कई खूबियां समेटे हैं। इसकी बनावट ऐसी है कि रफ्तार बढ़ाने और हवा का असर कम करने के लिए अन्य इंजनों की तुलना में सामने का हिस्सा अधिक नोंकदार है। इससे अत्यधिक गति की स्थिति में भी इसमें कंपन नहीं होगा। मौजूदा समय की तुलना में यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने का लक्ष्य कम समय में पूरा करने में यह इंजन सक्षम है। अभी देश में सबसे तेज रफ्तार ट्रेन गतिमान है जिसकी अधिकतम रफ्तार 160 किमी प्रतिघंटा है।

चिरेका ने 26 जनवरी 1950 को अपनी उत्पादन गतिविधियां वाष्प इंजन के निर्माण से शुरू की थीं। वक्त के साथ तकनीक से कदमताल कर आज कारखाना इस मुकाम पर पहुंच गया है कि उसने एयरोडायनेमिक रेल इंजन बना लिया।

उच्च तकनीक से लैस इंजन
इंजन में ऑनबोर्ड ड्राइविंग डेटा रिकॉर्डिग और विश्लेषण के लिए क्रू वॉयर और वीडियो रिकॉर्डिग सिस्टम (सीवीवीआरएस) लगाया गया है। इंजन के अंदर आधा दर्जन कैमरे लगे हैं। बाहर भी चार कैमरे लगे हैं। अंदर वाले कैमरे से चालक, मोटर सेक्शन, मशीन की गड़बड़ी या शॉर्ट सर्किट पर नजर रख सकेंगे। इसके अलावा इंजन के बाहर लगे कैमरे बाहर के दृश्य को रिकॉर्ड करेंगे।

हाल के दिनों में अमृतसर में रेल हादसा हुआ। उसमें चालकों ने कहा था कि सामने कुछ दिखा नहीं। इस कारण दुर्घटना हो गई। इस इंजन के बाहर लगे कैमरे दूर तक देख सकेंगे और चालक को इसकी जानकारी देंगे। फिर भी कोई अनहोनी होती है तो कैमरे और माइक्रोफोन में सुरक्षित डाटा के अवलोकन से अनहोनी का कारण पता लगेगा।

इंजन में विद्युत कर्षण प्रोद्यौगिकी का प्रयोग हुआ है। इस तकनीक में रेल इंजन को मिलने वाली विद्युत धारा को ट्रैक्शन में भेजा जाता है जहां से 25 हजार वोल्ट के करंट को थ्री फेज विद्युत धारा में बदला जा सकता है। यह इंजन के शानदार परिचालन में काम आएगा।

13 करोड़ रुपये की लागत
इंजन को 200 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलाने के लिए रेलवे की पटरियों में भी कुछ बदलाव आवश्यक करना होगा। इंजन की लागत करीब 13 करोड़ रुपये है। इसे बनाने में छह माह लगे। इस इंजन को राजधानी, शताब्दी जैसी तेज रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेनों में लगाया जाएगा।

एयरोडायनेमिक इंजन में कई खूबियां हैं। यह पूर्व के स्पीड इंजन से अलग है। इस इंजन का निर्माण पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है।
-मंतार सिंह, प्रवक्ता, चिरेका।


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