Move to Jagran APP

मोदी सरकार की 'अमृत सरोवर योजना' से पेयजल संकट और सूखे की समस्या होगी दूर

खुशहाली का प्रतीक माने जाने वाले तालाबों के उद्धार के लिए सरकार एवं समाज को संयुक्त प्रयास करने की आवश्यकता है। आधुनिक पीढ़ी तालाबों के महत्व को भूलती जा रही है। उन्हें भी तालाबों के पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ के बारे में समझाना होगा।

By TilakrajEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 11:06 AM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 11:06 AM (IST)
मोदी सरकार की 'अमृत सरोवर योजना' से पेयजल संकट और सूखे की समस्या होगी दूर
जीव-जंतुओं के पर्यावास तथा आर्थिक लाभ की दृष्टि से तालाबों का जीवित और तंदुरुस्त होना बेहद जरूरी

सुधीर कुमार। हाल में उत्तर प्रदेश के रामपुर स्थित देश के पहले ‘अमृत सरोवर’ का उद्घाटन किया गया। दिलचस्प यह है कि कुछ दिनों पूर्व तक यह तालाब कूड़े के ढेर में दबा था, लेकिन केंद्र सरकार की अमृत सरोवर योजना के तहत इस तालाब को नया जीवन मिला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 24 अप्रैल को इस अभियान की शुरुआत की थी और 15 अगस्त, 2023 तक देश के हरेक जिले में न्यूनतम 75 तालाबों का विकास एवं कायाकल्प कर उसे अमृत सरोवर बनाने का आह्वान किया था।

loksabha election banner

तालाबों के जीर्णोद्धार पर केंद्रित यह योजना पेयजल संकट और सूखे की समस्या से निजात दिलाने तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में भी प्रभावी भूमिका निभाएगी। भारत में तालाबों की सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक महत्ता रही है। किसी स्थान पर तालाब का होना उस परिवेश के स्वस्थ पारितंत्र, आर्थिक समृद्धि और आत्मनिर्भरता का प्रतीक माना जाता है। तालाब, पानी और आजीविका का स्रोत होने के साथ दर्जनों जीवों-वनस्पतियों का जीवनदाता भी हैं। ये जल संरक्षण और स्थानीय भूजल पुनर्भरण तथा सूखे से बचाव के महत्वपूर्ण सूत्रधार भी होते हैं।

हालांकि, बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के चलते तालाबों का अधिग्रहण तेजी से बढ़ा है। तालाबों की महत्ता को दरकिनार कर उसके ऊपर कंक्रीट की इमारतें खड़ी की जा रही हैं। देश में अनेकों तालाब आज लुप्त हो चुके हैं। जो शेष हैं, उनका अस्तित्व बचाना भी चुनौती ही है। तालाब वर्षा जल संचयन का एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक स्रोत है, जो भूजल स्तर को पाताल में पहुंचने से रोकता है। देश में गर्मी के आगमन के साथ ही जल संकट गहराने लगता है। जल निकायों के समुचित प्रबंधन के अभाव में भूजल का तेजी से क्षरण होता है। इसके कारण पेयजल तथा कृषि गतिविधियों के लिए पानी की कमी होती है, जिससे खाद्य सुरक्षा का संकट भी गहराने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि तालाबों के संरक्षण पर बल दिया जाए और उनका रखरखाव सुनिश्चित किया जाए।

आधुनिक पीढ़ी तालाबों के महत्व को भूलती जा रही है। उन्हें भी तालाबों के पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ के बारे में समझाना होगा।अमृत सरोवर योजना तालाबों को उसके नैसर्गिक स्वरूप में वापस लाने की योजना है। इसके तहत तालाबों के ऊपर हुए अवैध निर्माण और कब्जे हटाए जाएंगे। साथ ही इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा, जिसका लाभ मनरेगा मजदूरों को मिलेगा। जल संरक्षण, वनस्पतियों के विकास और जीव-जंतुओं के पर्यावास तथा आर्थिक लाभ की दृष्टि से तालाबों का जीवित और तंदुरुस्त होना बेहद जरूरी है। अत: खुशहाली का प्रतीक माने जाने वाले तालाबों के उद्धार के लिए सरकार एवं समाज को संयुक्त प्रयास करने की आवश्यकता है।

(लेखक बीएचयू में शोधार्थी हैं)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.