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गृह मंत्री अमित शाह ने सांसदों को लिखा पत्र, IPC और CrPc में संशोधन के लिए मांगे सुझाव

गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र जन-केंद्रित कानूनी संरचना बनाने का इरादा रखता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश राज्यों के मुख्यमंत्री केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक बार काउंसिल और कानून विश्वविद्यालयों से भी सुझाव भेजने का अनुरोध किया गया है।

By Neel RajputEdited By: Published: Thu, 06 Jan 2022 12:50 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jan 2022 12:50 PM (IST)
गृह मंत्री अमित शाह ने सांसदों को लिखा पत्र, IPC और CrPc में संशोधन के लिए मांगे सुझाव
शाह ने कहा, भारत सरकार ने आपराधिक कानूनों के ढांचे में व्यापक बदलाव करने का संकल्प लिया है (दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, एएनआइ। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सांसदों को पत्र लिखकर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में जल्द से जल्द संशोधन के संबंध में सुझाव मांगे हैं। शाह ने पत्र में कहा कि भारत सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्व, सबका प्रयास' के अपने मंत्र के साथ संवैधानिक और लोकतांत्रिक आकांक्षाओं के अनुरूप भारत के नागरिक, विशेष रूप से कमजोर और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए जल्द से जल्द न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने आपराधिक कानूनों के ढांचे में व्यापक बदलाव करने का संकल्प लिया है।

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सांसदों के लिखे अपने पत्र में शाह ने कहा, भारतीय लोकतंत्र के सात दशकों का अनुभव हमारे आपराधिक कानूनों, विशेष रूप से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की व्यापक समीक्षा की मांग करता है और उन्हें हमारे लोगों की समकालीन जरूरतों और आकांक्षाओं के अनुसार अनुकूलित करता है।

इसके अलावा, गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र 'जन-केंद्रित कानूनी संरचना' बनाने का इरादा रखता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक, बार काउंसिल और कानून विश्वविद्यालयों से भी सुझाव भेजने का अनुरोध किया गया है। शाह ने कहा, आपराधिक न्याय में एक आदर्श बदलाव लाने का प्रयास भारत सरकार की प्रणाली वास्तव में जनभागीदारी की एक बहुत बड़ी कवायद होगी, जो सभी हितधारकों की भागीदारी से ही सफल हो सकती है। उन्होंने कहा, गृह मंत्रालय विभिन्न हितधारकों से सुझाव प्राप्त करने के बाद आपराधिक कानूनों में व्यापक संशोधन करने का इरादा रखता है। लोकतंत्र के तीन स्तंभों में से एक के रूप में संसद के महत्व पर जोर देते हुए शाह ने कहा कि कानून बनाने की प्रक्रिया में एक संसद सदस्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि आपराधिक कानूनों में व्यापक संशोधन की कवायद में संसद सदस्यों के सुझाव अमूल्य होंगे।


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