जम्मू में महबूबा और राहुल पर गरजे अमित शाह, बताया क्यों लिया समर्थन वापस
जम्मू कश्मीर में समर्थन वापसी के फैसले को सही बताते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी नहीं चाहती थी कि राज्य में केवल एक ही क्षेत्र विकास करे और जम्मू और लद्दाख पीछे छूट जाए, ऐसी सरकार को समर्थन देना भाजपा को गवारा नहीं था।
जम्मू। जम्मू कश्मीर में पीडीपी सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को जम्मू में एक रैली को संबोधित किया। श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस के मौके पर इस रैली को उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर यदि आज भारत के साथ है तो इसका श्रेय उन्हें ही जाता है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल को भारत में मिलाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। यहां के लिए उन्होंने आंदोलन किया और उस वक्त जम्मू कश्मीर में बैठक प्रधानमंत्री के आदेश से उन्हें पकड़कर जेल में डाल दिया गया। उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस का नाम लिए बिना आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर के जेल में उस वक्त उनकी निर्ममता से हत्या कर दी गई थी। उनका कहना था कि जम्मू कश्मीर और भाजपा का खून का रिश्ता इसलिए भी है क्योंकि उन्होंने इस राज्य को अपने खून से सींचा था। इस दौरान उन्होंने उस दौर में हुए प्रजा परिषद के आंदोलन का भी जिक्र किया। उन्होंने इसको आजाद भारत में हुआ पहला राष्ट्रवादी आंदोलन करार दिया।
इसलिए लिया समर्थन वापस
जम्मू कश्मीर में समर्थन वापसी के फैसले को सही बताते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी नहीं चाहती थी कि राज्य में केवल एक ही क्षेत्र विकास करे और जम्मू और लद्दाख पीछे छूट जाए, ऐसी सरकार को समर्थन देना भाजपा को गवारा नहीं था। यही वजह थी कि उन्होंने प्रदेश की सरकार से समर्थन वापसी का फैसला लिया। करीब एक वर्ष बाद जम्मू में रैली को संबोधित कर रहे शाह ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाब नबी आजाद प्रदेश में भाजपा के समर्थन वापसी का ऐलान करने के बाद एक बयान देते हैं और उसका समर्थन आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा तुरंत कर देता है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से ये सवाल भी किया कि आखिर ये किस तरह की सांठगांठ यहां पर देखने को मिल रही है। इस दौरान उन्होंने सैफुद्दीन सोज के उस बयान पर भी टिप्पणी की जिसमें उन्होंने जम्मू कश्मीर की आजादी की बात कही थी।
राहुल मांगे माफी
शाह ने कहा कि ऐसा वो सपने में भी न सोचें, क्योंकि भाजपा कभी ऐसा नहीं होने देगी। उन्होंने सोज के बयान के लिए राहुल गांधी से माफी मांगने को भी कहा। अपनी इस रैली में शाह राज्य में पीडीपी से सरकार बनाने के कारणों पर भी सफाई देते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि खंडित जनादेश के बाद पार्टी ने पीडीपी को समर्थन करने का फैसला लिया था जिससे राज्य का विकास सही दिशा में हो सके और यहां पर शांति कायम हो सके। उनका कहना था कि उस वक्त मुफ्ती मोहम्मद सईद के साथ पार्टी ने मिलकर एक साझा घोषणापत्र तैयार किया था, जिसमें राज्य के विकास की बात कही गई थी। शाह का कहना था कि यहां के विकास के लिए केंद्र ने कई योजनाओं को हरी झंडी दिखाई। अस्सी हजार करोड़ रुपये की योजनाओं की नींव यहां रखी गई। खुद पीएम मोदी यहां पर आते रहे। लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी यहां पर शांति कायम नहीं हो सकी।
महबूबा मुफ्ती पर आरोप
शाह ने सीधेतौर पर महबूबा मुफ्ती पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की योजनाओं को उन्होंने सही तरीके से लागू नहीं कराया। इतना ही नहीं जम्मू और लद्दाख के साथ लगातार भेदभाव बरता गया। इसी वजह से पार्टी ने अपनी ही सरकार का विरोध करते हुए उससे समर्थन वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि वह आज जम्मू यही बताने आए हैं कि आखिर भाजपा ने राज्य सरकार से समर्थन क्यों वापस लिया। उनका कहना था कि यदि जम्मू और लदृाख का ही विकास नहीं हो सका तो ऐसी सरकार में बने रहने का पार्टी को कोई हक नहीं बनता है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि जो काम पिछले सत्तर वर्षों में जम्मू और लद्दाख के लिए नहीं हो सका वह पीएम मोदी की सरकार ने महज चार वर्षों में कर दिखाया। उनका कहना था कि केंद्र ने राज्य के विकास के लिए जो 80 हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया उसमें से 61 हजार करोड़ रुपये रिलीज भी कर दिए गए थे, लेकिन इनमें से न तो जम्मू के हाथ कुछ लगा न ही लद्दाख के हाथों में कुछ आया।
राज्य सरकार ने किया भेदभाव
केंद्र सरकार ने पश्मीना विकास के लिए 40 करोड़ और पंपोर हाट के लिए 45 करोड़ दिए। राज्य में दो परिवारों, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने तीन पीढ़ियों तक शासन किया। लेकिन पश्मीना और पंपोर हाट के लिए कुछ भी नहीं किया। केंद्र सरकार ने जम्मू और श्रीनगर में एम्स दिया। लेकिन दुख की बात ये है कि जानबूझकर जम्मू में एम्स के निर्माण में बाधा उत्पन्न की गई। केंद्र ने जम्मू में आईआईएम दिया। लेकिन सत्र को जानबूझकर चालू नहीं किया गया। केंद्र ने जम्मू में मेडिकल कॉलेज दिया। लेकिन सत्र चालू नहीं हुआ। गुजर बक्करवाल समुदाय के लोग देशभक्ति के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ते रहे हैं। लेकिन जब उनके लिए एसटी दर्जा देने की बात आई तो राज्य सरकार ने भेदभाव किया। केंद्र सरकार और राज्य में बीजेपी ने ये कोशिश की इस समुदाय को समुचित हक दिलाया जाए। लेकिन दुख की बात ये रही कि महबूबा मुफ्ती ने कभी ध्यान ही नहीं दिया।
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